2. Internet of Things (इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स):
इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) एक कंप्यूटिंग अवधारणा है जिसमें हर भौतिक वस्तुओं को इंटरनेट से जोड़ उनका नियंत्रण व सञ्चालन होता है और कोई उपकरण खुद को अन्य उपकरणों से संपर्क बनाने में सक्षम है। इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स, RFID के साथ निकटता से संचार की विधि स्थापित करता है, हालांकि इसमें अन्य सेंसर तकनीक, वायरलेस तकनीक या QR कोड भी शामिल हो सकते हैं।
IoT महत्वपूर्ण है क्योंकि एक वस्तु जो खुद को डिजिटल रूप से भी प्रस्तुत कर सकती है वह एक सामान्य ऑब्जेक्ट से स्वयं कुछ अधिक हो जाती है। ऑब्जेक्ट अब केवल अपने उपयोगकर्ता से संबंधित नहीं है, बल्कि अब आसपास के ऑब्जेक्ट्स और डेटाबेस डेटा से जुड़ा हुआ हो जाता है। इस तरह जब कई वस्तुएं एकजुट हो जाती हैं, तो उन्हें “ambient intelligence” यानि “व्यापक बुद्धिमत्ता” के रूप में जाना जा सकता है।
मेक इन इंडिया प्रोग्राम में इंटरनेट ऑफ थिंग्स को प्रोत्साहन:
हाल ही में सरकार इंटरनेट ऑफ थिंग्स टेक्नोलॉजी (IoT) पर काम करने वाले स्टार्टअप्स को इंसेटिव देने की योजना बना रही है। मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बूस्ट देने और आईओटी प्रोडक्ट निर्यात को बढ़ाने के मकसद से सरकार यह कदम उठाने की सोच रही है।
इस योजना के जरिए छोटी फर्म खासतौर से ऐसे स्टार्टअप्स को प्रमोट किया जाएगा जो IoT टेक्नोलॉजी के साथ मेमोरी स्टोरेज डिवाईस, प्रोसेसर्स, सेंसर्स पॉवर डिवाईस और सोलर इलेक्ट्रॉनिक्स पैनल और इक्विपमेंट निर्माण काम करते हैं।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक नेटवर्क है जो विभिन्न डिवाईस को एक दूसरे से जोड़ते हैँ। मसलन, बिना किसी के हस्तक्षेप के ये IP कनेक्टिविटी के जरिए डिवाईस को कनेक्ट करते हैं। इसके अलावा सरकार की तैयारी IoT सेंटर्स को भी डेवलप करने की है। सरकार IoT पॉलिसी का ड्राफ्ट बना रही है।
इसके जरिए सरकार का मकसद 2020 तक IoT इंडस्ट्री को 15 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
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