खैर के पेड़ का उपयोग एवं लाभ
Khair Tree of Uses & Benefits in Hindi
खैर (कत्था) का वैज्ञानिक नाम: Senegalia catechu
संस्कृत नाम: खदिर
हिंदी नाम: खैर, कत्था
#खैर (कत्था) का प्रजातियाँ: श्वेत-खदिर, रक्तकर्पिश-खदिर, रक्त-खदिर,
खैर (कत्था) का रासायनिक संघटन: इसमें खदिरसार 35%, टैनिन द्रव्य 57% एवं इसमें कैटेचीन नामक सत्व मिलता है।
खैर (कत्था) का गुण:
यह स्वाद में कड़वा, कसैला, पचने पर कटु, हल्का तथा सूक्ष्म होता है।
खैर की छाल कुष्ठ नाशक है इस के पत्तों का काढ़ा बना कर पिने से खून शुद्ध होता है|
पुराने घाव फोड़े, फुंसी पर इसे लगाने से ये जल्द ठीक होते है|
इसके सेवन से ह्रदय रोग ठीक होते है|
खैर (कत्था) का परिचय:
खैर (कत्था) भारत में पाया जाने वाला एक जंगली वृक्ष है |
यह वृक्ष मध्यमाकार एवं बबूल की जाति का होता है।
इसका वृक्ष 15 से 20 फीट ऊँचा होता है पतियाँ बबूल के सामान ही होती है | पत्र 10 से 15 सेमी. लम्बे होते है जिनपर 40 से 50 के लगभग पक्ष लगे रहते है|
खैर के फूल हल्के-पीले रंग के छोटे-छोटे तथा फली 2-3 इंच तक लम्बी आध-पौन इंच चौड़ी पतली चमकदार और कत्थई रंग की होती है।
प्रत्येक फली में 5 से लेकर 8 तक बीज होते है फली हेमंत ऋतू में लगती है |
खैर (कत्था) का उपयोग एवं लाभ:
कुष्ठ रोग में लाभ:
खदिर-काष्ठ के छोटे-छोटे टुकड़े कर पाताल-यन्त्र से तेल निकाल लें। फिर उसमें घी, शहद और आँवले का रस मिलाकर सेवन करें तो सब प्रकार के कुष्ठ दूर हो जाते हैं।
खैर की जड़ फूल पत्ते फल सभी को मिला कर काढ़ा बनाएं और पिलायें साथ ही इससे स्नान कराएँ. कत्थे का लेप भी हितकारी होता है|
अतिसार में लाभ:
खैर (कत्था) का चूर्ण थोडा सा 2-3 दिन लेने से लाभ होता है|
कान दर्द में लाभ:
कत्थे को पानी में उबालकर उस पानी को कान में डालने से कान की समस्या दूर होती है।
दाँत के रोग में लाभ:
कत्थे को सरसो के तेल के साथ दाँतों में मालिश करने से दाँत दर्द में राहत और दाँतों की समस्या से छुटकारा मिलता है।
खैर से बनने वाली खादिरादी वटी को चूसने से सभी प्रकार के मुंह के रोग मिटते है |
खाँसी के रोग में लाभ:
कत्थे को हल्दी और मिश्री के साथ लेने पर पुरानी से पुरानी खाँसी से छुटकारा मिल जाता है।
Plants 🌲 ki jankari chahiye
Muje thought interaction hai kuch upai bataye
Kher ki kheti k liye podha kaha milega Gujarat me???
Kher Ka beej miljayega sheopur mp dist main
Khair bohut ha hmaray yahan jammu
Himachal mai milega