चित्रक का परिचय, उपयोग एवं लाभ
Chitrk Information, Uses & Benefits in Hindi
चित्रक का लैटिन नाम: Plumbogo Zeylanicum (प्लम्बेगो जेलेनिका)
संस्कृत नाम: चित्रक
अंग्रेजी नाम: Rore colour leadwort
हिन्दी नाम: चिता, चितउर
चित्रक का औषधीय भाग: जड़ एवं जड़ त्वक्
रासायनिक संगठन: गुण : लघु , रुक्ष , तीक्ष्ण
रस : कटु
वीर्य : उष्ण
विपाक : कटु
चित्रक की जातियाँ: सफेद चित्रक, लाल चित्रक, नील चित्रक
चित्रक का परिचय:
#चित्रक नाम की इस झाडीदार वनस्पति के गुण बड़े ही अद्भुत हैं। इसकी पत्तियां लट्टू के आकार की या आयत के रूप में होती है।
चित्रक का पौधा 4-6 फुट ऊँचा, गोल, पतला, कोमल, गाँठयुक्त काण्डवाला होता है।
चित्रक पुष्प भेद से तीन प्रकार का होता है सफेद ,लाल, एवं नीले ,फूल वाला सफेद चित्र बहुतायत में मिलता है। चित्रक बंगाल, उत्तर-प्रदेश, दक्षिण भारत और लंका में प्राप्त होता है।
प्लाम्बेगो जिलेनिका या इंडीका लेटिन नाम से प्रचलित इस वनस्पति में ‘प्ल्म्बेगिन’ नामक रसायन पाया जाता है। इस वनस्पति की जड़ों के क्षाल का औषधीय प्रयोग किया जाता है।
यह अत्यंत ही गर्म और तीखे स्वभाव की वनस्पति है जिसे आयुर्वेद में कफ़ एवं वात दोष का शमन करने वाली श्रेष्ठ औषधि माना गया है।
चित्रक का उपयोग एवं लाभ:
बावासीर में लाभ:
चित्रक की जड़ पीसकर उसे एक हाँड़ी में लेप कर दें। फिर उसमें गर्म दूध डालकर दही जमा दें। उस दही का मट्ठा बनाकर पीने से अर्श, संग्रहणी और सूजन में लाभ होता है। यह प्रयोग अनुभूत है।
चित्रक मूल चूर्ण का उपयोग दूध दही या तक्र के साथ उचित मात्रानुसार करने से बावासीर नष्ट होता है।
अतिसार में लाभ:
अतिसार में चित्रक की छाल मठ्ठे में मिलाकर दे |
मोटापा में लाभ:
चित्रक मूल चूर्ण को शहद के साथ उचित मात्रा में लेने से लाभ होता है। और साथ में हितकर आहार लेना भी आवष्यक है।
पाचक स्त्रावो की वृद्धि:
चित्रक मूल पाचन संस्थान में पाचक स्त्रावो की वृद्धि करता। जिससे भूख अच्छी लगती है एवं खाया हुआ अन्न शीघ्र पचता भीहै।
जोड़ों के दर्द में लाभ:
आमवात, संधिषूल में चित्रक से सिद्ध तैल के प्रयोग मालिश के रूप में करने से लाभ प्राप्त होता है । इसके अतिरिक्त चित्रक का प्रयोग यकृत विकार, पाण्डु, सफेद दाग आदि रोग में लाभप्रद है।