चिरायता का परिचय, उपयोग एवं लाभ | Swertia (Chirata) Information, Uses & Benefits in Hindi

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चिरायता का परिचय, उपयोग एवं लाभ 
Swertia (Chirata) Information, Uses & Benefits in Hindi

चिरायता का वैज्ञानिक नाम: स्वेर्टिया चिरायता (swertia chirayita)

अंग्रेजी नाम:  चिरेट्टा (Chiretta)

संस्कृत नाम: किरात, किराततिक्त

हिंदी नाम: चिरायता

कुल (परिवार): जेंशियानेसिई (Gentianaceae)

चिरायता के औषधीय गुण:

#चिरायता रस में तिक्त, गुण में लघु, प्रकृति में गर्म, विपाक में कटु, प्रभाव में ज्वरहण, दाह्हन, कृमिनाशक होता है |

Chirata त्रिदोष शामक, पलीहा यकृत वृध्दि को रोकने वाला, आमपाचक, दीपन, अजीर्ण, अम्लपित्त, कब्ज, अतिसार, तृष्णा, पीलिया, अग्निमांध, संग्रहणी, ह्रदय की दुर्बलता, रक्त पित्त, रक्त विकार, चर्म विकार, मधुमेह, गठिया, जीवनी शक्तिवर्धक, जीवाणु नाशक गुणों से युक्त होने के कारण इन बीमारियों में उपयोग किया जाता है

चिरायता का परिचय:

चिरायता का पौधा हिमालय प्रदेश में कश्मीर से लेकर अरुणांचल तक 4 से 10 हजार फीट की ऊँचाई पर होता है। नेपाल इसका मूल उत्पादक देश है।

इसका एक दो वर्षीय पौधा 2 से 4 फुट ऊँचा होता है | पत्ते भालाकार, नोकदार, 2-3 इंच लम्बे और 3-4 सेंटीमीटर चौड़े, चिकने, पांच सिरयुक्त होते है | तना स्थूल, लम्बा और शाखा युक्त होता है |

पुष्पदंडों पर हरे पीले रंग के बैंगनी आभायुक्त छोटे छोटे होते हैं | फल 6-7 मिलीमीटर व्यास के अंडाकार तथा बिज छोटे, चिकने, बहुकोणीय, बहुसंख्या में होते हैं |

चिरायता एक एंटी-बायोटिक औषधि है, जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ान में मदद करती है।

चिरायते का पौधे के सभी भाग (पंचांग), क्वाथ, फांट या चूर्ण के रूप में, अन्य द्रव्यों के साथ प्रयोग में लाये जाते हैं।

चिरायता का उपयोग एवं लाभ:

मलेरिया के बुखार में लाभ:

चिरायते का काढ़ा 1 कप की मात्रा में दिन में 3 बार कुछ दिनों तक नियमित रूप से रोगी को पिलाने से मलेरिया रोग के सारे कष्टों में जल्द लाभ मिलता है।

10 मिलीलीटर चिरायता के रस को 10 मिलीलीटर संतरे के रस में मिलाकर रोगी को दिन में 3 बार पिलाने से मलेरिया के रोग में लाभ होता है।

सामान्य ज्वर में लाभ:

4 चम्मच चिरायता का चूर्ण एक गिलास पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें | सुबह छानकर 3-3 चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार पिलाएं |

कैंसर और ट्यूमर से बचाव:

आस्ट्रेलिया में स्थित यूनिवर्सिटी आफ क्वीन्सलैंड में हुए अध्ययन के मुताबिक चिरायता में पांच किस्म के स्टेराइडल सैपोनिन्स होते हैं। वास्तव में यही सैपोनिन्स कैंसर से लड़ने में सहायक है।

नेत्र रोग में लाभ:

चिरायता को पानी में घिसकर आँखों पर लेप करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है और उसके अनेक रोगों में आराम मिलता है |

गर्भवती की उल्टी में लाभ:

चिरायते का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से गर्भवती की उल्टी में लाभ मिलता है।

चर्म रोग में लाभ: 

खुजली, फोड़े फुंसी जैसे चर्म रोगों में चिरायता का लेप लगाएं | इससे आपको काफी लाभ होगा |

रात को पानी में चिरायते की पत्ती को डालकर रख दें। रोजाना सुबह उठते ही इसका पानी पीने से खून साफ हो जाता है और त्वचा के रोग मिट जाते हैं।

1 चम्मच चिरायता 2 कप पानी में रात को भिगोकर सुबह के समय छानकर सेवन करें।

इससे फोड़े-फुन्सी, यकृति-विकार, जी मिचलाना, भूख न लगना आदि रोगों में लाभ होता है। यदि कड़वा पानी पिया नहीं जा सके तो स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीते हैं।

दमा या श्वास रोग में लाभ:

चिरायते का काढ़ा बनाकर पीना दमा रोग में लाभकारी होता है।

पेट में दर्द में लाभ:

 चिरायता और एरण्ड के पेड़ की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है।

पेट के कीडे़ में लाभ:

चिरायता, तुलसी का रस, नीम की छाल का काढ़ा और नीम का तेल मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट के दर्द दूर होता है।

गठिया, दमा, रक्त विकार, मूत्र की रुकावट, खांसी, कब्जियत, भूख न लगाना, पाचन की कमी, मधुमेह, श्वास नालिकाओं की सुजन, अम्ल पित्त और ह्रदय रोगों में चिरायता का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम शहद या देसी घी के साथ नियमित रूप से सेवन करना लाभदायक होता है |

 

 

 


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Shweta Pratap

I am a defense geek

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