हिमालय का 4 मुख्य पर्वत श्रेणियों में विभाजन हुआ है;
- ट्रांस हिमालय श्रेणी
- वृहद या सर्वोच्च हिमालय श्रेणी
- मध्य या लघु हिमालय श्रेणी
- शिवालिक श्रेणी
ट्रांस हिमालय श्रेणी:
ट्रांस हिमालय श्रेणी यूरेशियन प्लेट का भाग है और यह हिमालय के जैसे टेथिस सागर के अवसादों के वलन से निर्मित नहीं हुआ है। यह हिमालय से बहुत अधिक पुराना है और तकनीकि रूप से हिमालय नहीं है।
इस श्रेणी में काराकोरम, लद्दाख और जास्कर श्रेणियां पाई जाती हैं।
K2 पर्वत शिखर काराकोरम श्रेणी में ही मिलता है। काराकोरम का विस्तार तिब्बत तक है जहां इसे कैलाश श्रेणी कहते हैं।
सियाचिन, हिस्पर, बियाफो, बालतोरा नाम के 4 प्रमुख ग्लेसियर काराकोरम श्रेणी में ही पाया जाता है।
लद्दाख श्रेणी पर ही राकापोषी शिखर है जो संसार की सबसे तीव्र ढ़ालान वाला पर्वत है।
इस श्रेणी के उत्तर में श्योक और दक्षिण से सिंधु नदी निकलती है। श्योक आगे सिंधु में मिल जाती है।
सिंधु नदी, कैलाश पर्वत के उत्तरी दिशा के बोखार चु ग्लेसियर से निकलता है। सिंधु नदी, लद्दाख और जास्कर के बीच बहती है। लेह, सिंधु के दाहिनी तरफ बसा हुआ है।
वृहद या सर्वोच्च हिमालय:
ट्रांस हिमालय, वृहद हिमालय से शचर जोन द्वारा अलग होता है। बृहद हिमालय नंगा पर्वत से नामचा बरवा, तिब्बत तक फैला है।
वृहद हिमालय इतना ऊंचा है कि दुनिया की 10 सबसे ऊंची चोटियां हिमालय के अंतर्गत आती हैं।
5 सबसे ऊंची चोटियों का क्रम: एवरेस्ट, कंचनजंगा, मकालू, धौलागिरी, अन्नपूर्णा।
पूर्व से पश्चिम तक पर्वत चोटियों का क्रम:
नामचाबरवा, कंचनजंगा, मकालू, एवरेस्ट, मंसालु, धौलागिरी, अन्नपूर्णा, नंदादेवी, बंदरपूंछ, नंगा पर्वत
उत्तराखंड में पर्वत: नंदादेवी, त्रिशूल, बंदरपूंछ, बद्रीनाथ, कोमेट एवं दो ग्लेसियर हैं गंगोत्री व यमुनोत्री
मध्य या लघु हिमालय:
लघु हिमालय, वृहद हिमालय के दक्षिण में इसी के समानांतर फैली है। वृहद हिमालय के विपरीत लघु हिमालय वर्ष भर बर्फ से आच्छादित नहीं रहता। यह शीतोष्ण जलवायु की जगह है और यहां मुलायम घास से मैदान पाए जाते हैं।
इसकी 5 पर्वत श्रेणियां उल्लेखनीय हैं। पीरपंजाल जम्मू कश्मीर में, धौलाधार हिमांचल में, मसूरी उत्तराखंड, महाभारत और नाग टिब्बा नेपाल में स्थित है।
जम्मू पीरपंजाल के दक्षिण एवं श्रीनगर उत्तर में स्थित है। बनिहाल दर्रा (जवाहर सुरंग) इसी पीरपंजाल में स्थित है।
धौलाधार को “हिमाचल हिमालय” भी कहते हैं। शिमला धौलाधार श्रेणी पर ही स्थित है।
जम्मू कश्मीर में लघु हिमालय के शीतोष्ण घास के मैदान मर्ग, उत्तराखंड में बुग्याल और पायल नाम से जाने जाते हैं।
स्वास्थ्य वर्धक पर्यटन स्थल: J&K में गुलमर्ग, सोनमर्ग, हिमाचल में शिमला, मनाली, डलहौजी, उत्तराखंड में मसूरी, रानीखेत, नैनीताल, विंडसर आदि लघु हिमालय में बसे हैं।
वृहद हिमालय और लघु हिमालय के बीच समतल सपाट मैदानी घाटियां पाई जाती हैं। जैसे कश्मीर घाटी, हिमाचल में कुल्लू, कांगड़ा घाटी और नेपाल में काठमांडू घाटी।
चुम्बी घाटी सिक्किम की वृहद एवं लघु हिमालय के बीच की घाटी है।
शिवालिक श्रेणी:
यह हिमालय की सबसे नवीन पर्वत श्रृंखला है। इसे वाह्य हिमालय भी कहते हैं।
शिवालिक का स्पष्ट अस्तित्व पश्चिम से पूर्व में आते आते कोसी नदी तक समाप्त हो जाता है।
अरुणाचल में शिवालिक के चिह्न 4 पहाड़ियों के रूप में मिलता है, क्रमशः पश्चिम से पूर्व में डफला, मिरी, अबोर, मिश्मी पहाड़ियां यहां के जनजातियों के नाम पर रखा गया है।
सिडनी बुरार्ड नाम के भूगर्भ शास्त्री ने हिमालय का नदियों के आधार पर विभाजन किया:
- सिंधु से सतलज तक कश्मीर/ पंजाब हिमालय
- सतलज से काली नदी तक कुमाऊं हिमालय
- काली से तीस्ता नदी तक नेपाल हिमालय
- तीस्ता से ब्रह्मपुत्र नदी तक असम हिमालय के नाम से जाना जाता है।
वैष्णो देवी, अमरनाथ तीर्थ कश्मीर हिमालय में मिलता है।
कुमाऊं हिमालय में नंदादेवी, कॉमेट, त्रिशूल, बंदरपूंछ, बद्रीनाथ, केदारनाथ पर्वत हैं। दून और द्वार घाटियां, फूलों की घाटी आदि भी यहीं हैं।
नेपाल हिमालय में सबसे ऊँचें पहाड़ हैं। धौलागिरी, अन्नपूर्णा, मंसालु, एवरेस्ट, मकालू, कंचनजंगा आदि।