बेल (बेलपत्र) का पेड़ का महत्व एवं फायदे
बेलपत्र का उपयोग
बेल (बेलपत्र) का वानस्पतिक नाम: ऐग्ले मार्मेलोस
संस्कृत नाम: बिल्व, श्रीफल
अंग्रेजी नाम: Aegle marmelos
धार्मिक महत्त्व: हिन्दू धर्म में बेल (बिल्व) वृक्ष को भगवान शिव का रूप माना जाता है।
बेल (बेलपत्र) का परिचय:
बेल (बिल्व) का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्त्व हैं ये एक धार्मिक पेड़ है और इसका आयुर्वेदिक महत्व बहुत ज़्यादा हैं।
#बेल (बिल्व) का पेड़ 20 से 30 फुट ऊँचा और पत्तियाँ तीन और कभी-कभी पाँच पत्र युक्त होती हैं।
पत्तिया एकांतर क्रम में जमी होती हैं। इसके फल गेंद के समान गोल तथा कठोर आवरण वाले होते हैं। फल कवच कच्ची अवस्था में हरे रंग और पकने पर सुनहरे पीले रंग का हो जाता है।
बेल (बिल्व) वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है।
प्राकृतिक रूप से भारत के अलावा दक्षिणी नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया एवं थाईलैंड में उगते हैं।
बेल (बिल्व) के फल के 100 ग्राम गूदे का रासायनिक विश्लेषण: नमी 61.5%, वसा 3%, प्रोटीन 1.8%, फाइबर 2.9%, कार्बोहाइड्रेट 31.8%, कैल्शियम 85 मिलीग्राम, फॉस्फोरस 50 मिलीग्राम, आयरन 2.6 मिलीग्राम, विटामिन C 2 मिलीग्राम | और बेल में 137 कैलोरी ऊर्जा तथा कुछ मात्रा में विटामिन बी भी पाया जाता है।
वायुमंडल में व्याप्त अशुद्धियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बेल (बिल्व) वृक्ष में होती है।
बेल के पेड़ के फायदे:
मधुमेह में लाभ:
15 बेलपत्र और 5 कालीमिर्च पीसकर चटनी बनाकर, एक कप पानी में घोलकर पीने से मधुमेह ठीक हो जाता हैं। नित्य प्रात: बेलपत्र का रस 30 ग्राम पीने से भी लाभ होता हैं।
आँखों की पीड़ा में लाभ:
आँखें दुखने पर पत्तों का रस, स्वच्छ पतले वस्त्र से छानकर एक-दो बूँद आँखों में टपकाएँ। दुखती आँखों की पीड़ा, चुभन, शूल ठीक होकर, नेत्र ज्योति बढ़ेगी।
बेलपत्र का चूर्ण:
अतिसार में लाभ:
पके बेल के गूदे को सुखाकर उसका चूर्ण बना ले। इस चूर्ण की एक एक चम्मच मात्रा सुबह शाम लेने से अतिसार ठीक हो जाता हैं। प्रयोग 5-7 दिन करे। गूदे को सूर्य की कड़क धुप में सुखाया जाना चाहिए।
जले अंग पर लाभ:
जल जाने पर बिल्व चूर्ण, गरम किए तेल को ठंडा करके पेस्ट बना लें। जले अंग पर लेप करने से फौरन आराम आएगा। चूर्ण न होने पर बेल का पक्का गूदा साफ़ करके भी लेपा जा सकता है।
पेट दर्द में लाभ:
पेट में दर्द की समस्या हो तो बिल्व के पत्ते 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ले कर पीस ले। इस मिश्रण को गिलास में डालकर स्वाद अनुसार मिश्री मिलाये। यह शरबत तैयार हो जायेगा। इस तरह शरबत बना कर दिन में 3 बार पिए, पेट दर्द में आराम मिलेगा।
दमा में लाभ:
दमा में कफ निकालने के लिए बेल की पत्तियों का काढ़ा दस-दस ग्राम सुबह-शाम शहद मिला कर पिएँ। अथवा पाँच ग्राम रस में पाँच ग्राम सरसों का शुद्ध तेल मिला कर पिलाएँ।
बेलपत्र का महत्व:
पीलिया में लाभ:
पीलिया में बेल की कोंपलों का पचास ग्राम रस, एक ग्राम पिसी काली मिर्च मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ। शरीर में सूजन भी हो तो पत्र रस तेल की तरह मलिए।
फोड़े फुंसी :
बिल्व की ताज़ी पत्तियों को भली प्रकार पीस ले। इस प्रकार प्राप्त पेस्ट को फोड़े पर बाँधने से वे ठीक हो जाते हैं।
बवासीर में लाभ:
एक चम्मच बेल का गूदा ले तथा उसमे आधा चम्मच या उससे भी कम मिश्री मिलाये और इसको छाछ या गुनगुने पानी के साथ लीजिये। इसको दिन में 3 बार लीजिये। और इसको लेने के बाद और पहले एक घंटे तक कुछ भी खाए पिए नहीं।
दस्त रोकने में लाभ:
दस्त लग जाने की स्थिति में बेल का मुरब्बा लेना हितकारी हैं। इस हेतु बच्चो को 15 ग्राम तथा बड़ो को 30 ग्राम तक यह मुरब्बा नियमित लेना चाहिए।