माजूफल का परिचय, उपयोग एवं फायदे | माजूफल के औषधीय गुण
#माजूफल का वैज्ञानिक नाम: क्वेरकस इंफेक्टोरिया (Quercus infecttoria)
हिंदी नाम: माजूफल
संस्कृत नाम: मायाफला
अंग्रेजी नाम: Gall-nut
माजूफल के औषिधि गुण:
माजूफल स्वाद में कषाय, गुण में रुखा, रुक्ष और हल्का है| स्वभाव में ठंडा एवं कटु विपाक है|
#माजूफल दाँतो, मलद्वार, अंडकोष, गर्भ धारण, ल्यूकोरिया, टूटी हुई हड्डी, मुंह के छालो के लिए उपयोगी हैं।
माजूफल का पेड़:
माजूफल कोई फल नहीं होता बल्कि एक जंगली वृक्ष की शाखा का एक विशेष प्रकार के कीडे के द्वारा छेद करने और उन छेदों में अपने अण्डे रखने से वहां गांठे उभर आती है। उन्हीं गांठो को माजूफल कहते हैं।
यह वृक्ष तुर्की, सीरिया, फारस तथा यूनान में पाया जाता है।
माजूफल के उपयोग एवं फायदे:
कैंसर में लाभ:
माजूफल में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते है जो सभी प्रकार के कैंसर को रोकने में कारगर होता है आप इसकी चाय बनाकर पी सकते है|
बवासीर में उपयोग एवं फायदे:
1 गिलास पानी में माजूफल पीसकर डालें और 10 मिनट तक उबाल ले | ठंडा होने के बाद इससे मलद्वार को धोयें इससे मलद्वार का बाहर निकलना और बवासीर का दर्द दूर होता है|
माजूफल के त्वचा के लिये फायदे:
माजूफल में एस्ट्रिजेंट तत्व पाए जाते है जो स्किन के रोगों में लाभदायक होये है मुहासे कील, रेसिश, रूखापन इससे दूर होता है आप इसकी पेस्ट बना कर चेहरे पर लगाये।
मधुमेह में उपयोग एवं फायदे:
माजूफल में गैलिक एसिड पाया जाता है जो अस्थमा और शुगर को रोकने में मदद करता है|
आप मंजाकनी चाय बना कर भी पी सकते हैं शुगर के मरीज इसके सेवन से अपनी परेशानी कम कर सकते है |
अंडकोष के रोग में उपयोग एवं फायदे:
2 ग्राम माजूफल और 6 ग्राम फिटकरी को पानी में पीसकर अंडकोष पर लेप करे | 15 दिन लेप करने से अण्डकोषों में भरा पानी सही हो जाता है|
10-10 ग्राम माजूफल और असगंध लेकर पानी के साथ पीस लें, फिर इसे थोड़ा-सा गर्म करके अण्डकोष पर बांधे | इससे अंडकोष की सूजन मिट जाती है|
दांतों के दर्द में उपयोग एवं फायदे:
1 माजूफल और 1 सुपाड़ी को आग पर भून लें तथा 1 कच्चे माजूफल के साथ मिलाकर बारीक पाउडर बनाकर मंजन बना लें, इससे रोजाना 2 बार मंजन करने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है|
मुंह के छाले में उपयोग:
1-माजूफल के टुकड़े को सुपारी की तरह चबाते रहने से मुंह के छाले और दाने आदि खत्म हो जाते है|
माजूफल से बनी पेस्ट स्वाद में कसेली होती है परंतु अल्सर और पेट के छालों में लाभदायक है इसके लगातार प्रयोग से मुह के छाले समाप्त होने लगते है।
दस्त में उपयोग:
माजूफल को घिसकर या पीसकर बने चूर्ण को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खुराक के रूप में सेवन करने से दस्त में लाभ मिलता है|
श्वेतप्रदर में उपयोग एवं फायदे:
1-2 ग्राम की मात्रा में माजूफल का चूर्ण ताजे पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है|
25 ग्राम माजूफल को लेकर 200 ग्राम पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें. फिर उसमें 3-3 ग्राम रसौत, फिटकरी मिलाकर योनि को साफ करने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है|
योनि की कसावट के लिये उपयोग एवं फायदे:
मलेशिया में माजूफल से बनी क्रीम बहुत प्रचलित है|
1 लीटर पानी में 2 किलो माजूफल डाल कर उबाले जब तक की इनका रंग गहरा ना हो जाये।इस पानी को ठंडा कर लें |
फिर इस पानी से योनि को अच्छे से धोये। ऐसा करने से ना शिर्फ़ योनि में कसावट आती है बल्कि बैक्ट्रिया और दुर्गन्ध भी दूर होती है|
माजूफल, शहद और कपूर को एक साथ पीसकर मिला लें, फिर इसे अंगुली की मदद से योनि में लगाने से योनि संकुचित हो जाती है|
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