अहमदाबाद की सीदी सैय्यद मस्जिद और उसकी दिलकश नक्काशी

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सीदी सैय्यद मस्जिद का इतिहास:

400 साल पुरानी अहमदाबाद की मशहूर सीदी सैय्यद मस्जिद का निर्माण  प्रारंभ साल 1572 में हुआ था |

ये मुग़ल काल में अहमदाबाद में बनी सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है ।

मस्जिद का निर्माण 1572 में सुल्तान शमसुद्दीन मुजफ्फर शाह के शासनकाल में इथियोपिया के हब्शी सीदी सैयद ने करवाया था

मुजफ्फर शाह गुजरात सल्तनत के आखिरी सुल्तान थे | इन्हें अकबर ने हराकर गुजरात को अपनी सल्तनत में मिला लिया था |

इस तरह यह मस्जिद पूरी तरह बनकर तैयार 1573 में तैयार हुआ, जब मुगल बादशाह अकबर ने गुजरात पर कब्जा कर लिया था

हालांकि इस मस्जिद में जगह ज्‍यादा नहीं है लेकिन नक्काशी के मामले में ये दुनिया की सबसे अच्छी मस्जिदों में से एक मानी जाती है ।

विश्व धरोहरों में शामिल इस मस्जिद की जाली के डिजाइन दुनिया भर में मशहूर हैं|

IIM अहमदाबाद से है अटूट सम्बन्ध:

इस सीदी सैय्यद मस्जिद का IIM से खास नाता है. दरअसल, इस मस्जिद की दीवार पर उकेरी गई जालियां ही आईआईएम अहमदाबाद का लोगो है।

इस जाली को सीदी सैय्यद की जाली के नाम से भी जाना जाता है । ये जाली करीब नौ बाई दस आकार की है

मस्जिद की जाली और सूर्यास्त:

सीदी सैय्यद मस्जिद की पश्चिमी दीवार की खिड़कियों पर उकेरी गई जालियां पूरी दुनिया में मशहूर है. इसीलिए आईआईएम ने इसे अपने लोगो के तौर पर चुना था ।

इन जालियों को देखकर ऐसा लगता है जैसे एक-दूसरे से लिपटी शाखाओं वाला पेड़ हो। इसकी खासियत ही यही है कि ये नक्काशी पत्थर से तैयार की गई है

जब शाम के वक्त ढलते सूरज की किरणें मस्जिद की जाली से निकलती हैं, तो वो नजारा बेहद खूबसूरत होता है ।

शिंजो और उनकी पत्नी का दौरा करने के बाद सीदी सैय्यद मस्जिद एक बार फिर लोगों की ज़ुबान पर है ।


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Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

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