एक संवेदनशील कवि और राजनेता श्री अटल जी को स्वरचित कविता से श्रद्धांजलि देकर स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं।
“आज भारत उदास है”
~~~~~~~~~~~
देशभक्ति उदास है, परमाणु शक्ति उदास है,
संयुक्त राष्ट्र संघ की वो हिंदी उदास है,
कौन घुल गया बीते वक़्त की सियाही में,
माँ भारती के मस्तक की बिंदी उदास है।
विरासत उदास है, सियासत उदास है,
उन भाषणों से गूंजी संसद उदास है,
कौन घुल गया बीते वक़्त की सियाही में,
माँ भारती के आँचल की रंगत उदास है।
सहयोगी उदास हैं,विरोधी उदास हैं,
देश का हर बाल, बृद्ध, यौवन उदास है,
कौन घुल गया बीते वक़्त की सियाही में,
माँ भारती का गौरव, वैभव उदास है।
कविता उदास है, शुचिता उदास है,
ईमान ज्ञान निष्ठा की थाती उदास है,
कौन घुल गया बीते वक़्त की सियाही में,
माँ भारती की पावन गोदी उदास है।
© रचना: शिवेश प्रताप
भावभीनी श्रद्धांजलि भारत रत्न श्री अटलजी को!!!