असली और नकली अमीरी: सकारात्मक दृष्टिकोण की प्रेरणादायक कहानी
एक समय की बात है, जब एक पत्नी अपने अकेलेपन में बालकनी में जाकर बैठती थी। बालकनी में वह अपने कुछ सकूँ के पल गुजारती थी। वह बालकनी उसकी एकेलेपन का सहारा थी। वहां वह अकेली आसपास के दुनिआ से जुड़ जाती।
पर हर वक़्त उसे एक चीज बहुत सताती की उसके पास वाला घर खाली पड़ा है और न जाने क्यों जब भी वह बालकनी में जाती तभी उसकी नजर उस घर पर अटक जाती। वह घर उसके घर के बालकनी के पास ही था।
नए पडोसी का आगमन:
कुछ दिन बाद, उसकी बेटी दौड़ते हुए उसके पास आयी और बोलने लगी, “माँ, बाजु वाले घर पर लोग रहने आए है।” बेटी की बात सुनकर वह बालकनी में गई और देखने लगी। उसने देखा कुछ लोग बहुत से सामान के साथ उस घर पर रहने आए है। वह मन ही मन बोलने लगी, “इतना सारा सामान! लगता है बहुत पैसेवाले लोग है। ” तभी उसकी बेटी कहती है, “पता है माँ उनकी तीन बड़ी-बड़ी गाड़िया है और उस घर की मालकिन बहुत खूबसूरत भी है।”
पत्नी अपने पति की और देखते हुए कहती है, “लगता है पड़ोसी वाले बहुत पैसेवाले है, आपको क्या लगता है? ” उसका पति कहता है, “तो मैं क्या करूँ? तुम दुसरो की गाड़िया गिनना बंद करो। मुझे काम के लिए देर हो रही है, जाओ जाकर खाना निकालो।” पत्नी चुपचाप रसोई में खाना लाने चली गई।
कुछ समय बाद, पत्नी जब अपने बालकनी में बैठी तो उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक दिख रही थी। उसके सामने वाले घर के बालकनी का दरवाजा खुला था जहाँ एक बड़ा सा आरामदायक झूला लगा हुआ था। और उस घर में काम करने वाले लोग इधर उधर घूम रहे थे। पत्नी सोचने लगी, “लगता है बहुत अमीर है यह लोग। नौकर-चाकर सभी रखा है।
लगता है बड़े बिजनेसमैन होंगे क्योंकि नौकरी करने वालो के पास कहाँ इतना पैसा होता है।” पत्नी के मन में बहुत से विचार आ रहा थी और कुर्सी पर बैठकर वह सिर्फ उस घर के बालकनी में रखे झूले को देख रही थी। अचानक सोचते सोचते उसकी आंखे लग गई।
कुछ समय के बाद गाड़ी की हॉर्न की आवाज से उसकी नींद खुल गई। वह नीचे देखने लगी। उसने देखा की बाजु वाले घर के सामने एक शानदार गाड़ी आकर रुकी और उसमे से शूट-बूट पहना हुआ एक ब्यक्ति बाहर निकला। तभी उस घर से एक बोहुति सुन्दर सी महिला निकली और उस ब्यक्ति का स्वागत किया। उसे लगा की उसकी बेटी सायद इसी महिला की बात कर रही थी। उसने सोचा की सायद यह दोनों पति-पत्नी होंगे।
एक दिन बालकनी में उसने उसी महिला को झूले पर बैठते हुए हुए देखा। वह महिला अपने एक नौकर से अपना मसाज करवा रही थी। अचानक उस महिला की नजर इस पर पड़ी। दोनों सिर्फ एक दूसरे को देख रही थी लेकिन बात किसी ने भी नहीं की। पत्नी सिर्फ यह सोच रही थी की उसकी कितनी अच्छी जीवन है, घर में नौकर है, गाड़िया है कोई कमी नहीं है।
पत्नी को उस महिला पर काफी ईर्ष्या होने लगी। वह अपने जीवन से बहुत तंग आ चुकी थी और अपने पति के चिड़चिड़ेपन से काफी परेशान भी रहती थी। यह सब सोचते हुए पत्नी अचानक अपने घर के अंदर चली गई।
पड़ोसी के जीवन से अपना आंकलन:
अंदर जाकर वह अपने पति से कहने लगती है, “हमारे पड़ोसी को देखो, कितनी अच्छी जीवन है उनकी, कोई कमी नहीं है उन लोगो के पास। और हमे देखो, हम तो सिर्फ साल शायद एक बार ही कपडे खरीदते है और वह लोग महंगी महँगी साड़िया पहनती है। मेरी किस्मत ही बुरी है। इतने साल हो गए लेकिन बाहर घूमने तक नहीं ले गए।
और वहां उसका पति रोज उसे घुमाने ले जाता है। और कई दिनों से तो तुम भी मुझसे अच्छे से बात नहीं करते। उसका पति उसे कितना प्यार करता है और तुम हो की मुझे समय ही नहीं देते हो। कैसे पति हो तुम? प्यार ही नहीं करते मुझसे।
मैंने इस घर के लिए कितना कुछ किया लेकिन बदले में मुझे कुछ नहीं मिला। ” पत्नी सिर्फ गुस्से से अपने पति पर चिल्लाये जा रही थी। इधर उसका पति उसकी पत्नी की बातें सुनकर बहुत दुखी होने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था की उसकी पत्नी के गुस्से को वह कैसे शांत करे। पति सिर्फ उसे समझा रहा था की काम के कारण वह अपने बेटी और पत्नी को समय नहीं दे पा रहा था। लेकिन उसकी पत्नी यह समझने को राजी ही नहीं थी।
बेटी की सलाह एवं सकारात्मक चिंतन:
उसकी बेटी आकर उससे कहने लगी, “माँ आप हमारे लिए सब कुछ है। आप है तभी तो हम है। पापा तो काम की वजह से आपको समय नहीं दे पाते है, लेकिन वह आपसे बहुत प्यार करते है।” उसकी बेटी ने अपने माँ को बहुत समझाया। उसकी माँ कहती है, “बेटी, ज़रा उस बाजु वाले घर के महिला को देखो, उसका पति उसे कितना प्यार करता है, उसे घुमाने ले जाता है, महंगे गिफ्ट देता है।
पर मुझे देखो मेरे पास कुछ भी नहीं है। ” उसकी बेटी बोली, “माँ, आप सिर्फ उस महिला को देख रही है लेकिन उसकी मज़बूरी को नहीं। सायद आपको पता नहीं है की वह महिला अपने जीवन में खुश नहीं है। मज़बूरी में वह सिर्फ वहां रहती है। मैं कुछ दिन से रोज देख रही हूँ की उसका पति रात को उसे बहुत बेरहमी से मारता है। और आप कहते हो की उसका पति उससे बहुत प्यार करता है। अब आप ही बताओ की वह ज्यादा खुश है या फिर आप।
तभी पत्नी को यह एहसास हुआ की उसकी बेटी ठीक कह रही है। उसने अपनी गलती का एहसास हुआ और सोचने लगी की उसके पति ने कभी भी उसके साथ कोई जबरजस्ती काम नहीं करवाया, कभी भी उसके साथ बदसलूकी नहीं की, उसे हमेशा खुश रखा, कभी भी ऑफिस का टेंशन घर नहीं लाते है, कभी भी अपना टेंशन हमे नहीं दिया। यह सब सोचकर उसे अंदर ही अंदर बहुत बुरा लगा। तभी दरवाजे पर किसी की ठकठकाने की आवाज आई।
पति का आगमन और सकारात्मकता की ख़ुशी:
उसकी बेटी ने दरवाजा खोला तो देखा उसके पापा घर आ गए है। उसके पापा अंदर आये और अपने बेटी और पत्नी के लिए दो गिफ्ट लाये हैं। बेटी खुश हो गई की उसके पापा उसके लिए उपहार लाये है। उसके बेटी ने उसे खोला तो देखा एक बहुत ही सुन्दर ड्रेस है। पति ने अपने पत्नी से कहा, “तुम भी अपना उपहार खोलो।” पत्नी ने उपहार खोलकर देखा की उसके पति उसके लिए एक सुन्दर सी साड़ी लाये है।
पति ने कहा, “यह तुम्हारे लिए है। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ दिखावा नहीं आता मुझे। तुम मेरे लिए बहुत मायने रखती हो। तुम्हारे प्यार के कारण ही यह घर आबाद है।” पति कि बातें सुनकर पत्नी रो पड़ी और उठकर बालकनी का दरवाजा बंद कर दिया। तभी पत्नी को अमीर और गरीब में फर्क समझ आया। वह सोचती है की अमीरी से कुछ नहीं होगा साथ ही ख़ुशी भी जरुरी होती है। फिर वह दोनों खुश रहने लगे।