जनरल सगत सिंह राठौर: वो अफसर जिसने बिना PM की अनुमति के तोपों से 300 चीनियों को मारा

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लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह राठौर:

वर्ष 1965 में सगत सिंह को मेजर जनरल के रूप में नियुक्ति देकर 17 माउंटेन डिविजन की कमांड देकर चीन की चुनौती का सामना करने के लिए सिक्किम में तैनात किया गया था।

पाकिस्तान से युद्ध में उलझे भारत को देख चीन ने फायदा उठाने की सोच कर नाथू ला और जेलेप ला में लाउड स्पीकर लगाकर भारतीय सेना को चेतावनी दी की ये चीन का क्षेत्र है इसे खाली करो।

भारतीय सेना हेड क्वार्टर ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जेलेप ला और नाथू ला से भारतीय सेना को पीछे हटने का आदेश दिया।
जेलेप ला से सेना पीछे हट गई लेकिन नाथुला दर्रे पर तैनात भारतीय सेना के सेना नायक सगत सिंह ने अविचलित होकर अपना काम जारी रखा, और मुख्यालय के आदेश को नहीं मानते हुए चीनी सैनिको को उन्ही की भाषा में जवाब दिया और सीमा निर्धारण कर तार बाड का काम जारी रखा जिसे रोकने की चीन ने पूरी कोशिश की

भारत-चीन युद्ध 1967 की जीत के हीरो थे जनरल सगत सिंह:

Lt. Gen. Sagat Singh and Maj. Gen. K. V. Krishna Rao with Hav. Dil Bahadur Chettri at Sylhet

बात अगर सिक्किम के पास नाथू ला में हुए भारत-चीन युद्ध 1967 की करें तो उसमें भारत ने चीन को धुल चटा दी थी। उस जंग में चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे जबकि भारत को सिर्फ़ 65 सैनिकों का नुक़सान उठाना पड़ा था।

भारत-चीन युद्ध 1962 के पांच साल बाद 1967 में हुई जंग में भारत जीता था और जीत के हीरो रहे थे राजस्थान के लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह राठौड़। भारतीय सेना का वो बहादुर अफसर जिसने प्रधानमंत्री की बिना अनुमति के तोपों का मुंह खोल दिया और गोले बरसाकर चीन के तीन सौ से ज्यादा सैनिक ढेर कर दिए।

इन्हीं सगत सिंह द्वारा नाथू ला को ख़ाली न करने का निर्णय आज भी देश के काम आ रहा है और नाथू ला आज भी भारत के कब्जे में है जबकि जेलेप ला चीन के कब्जे में चला गया।

वर्ष 1967 में सगत सिंह को जनरल सैम मानेकशा ने मिजोरम में अलगाववादियों से निपटने की जिम्मेदारी दी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और

बांग्लादेश मुक्ति में ढाका पर कब्जा करने वाले सेना नायक यही सगत सिंह राठौर ही थे। सैन्य इतिहासकार मेजर चंद्रकांत सिंह बांग्लादेश की आजादी का पूरा श्रेय सगत सिंह को देते हैं।

आदेश को दरकिनार कर घेर लिया ढाका:

जनरल सगत वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अगरतला सेक्टर की तरफ से हमला बोला और अपनी सेना को लेकर आगे बढ़ते रहे। जनरल अरोड़ा ने उन्हें मेघना नदी पार नहीं करने का आदेश दिया। लेकिन हेलिकॉप्टरों की मदद से चार किलोमीटर चौड़ी मेघना नदी के पार उन्होंने पूरी ब्रिगेड उतार दी और आगे बढ़ गए।

जनरल सगत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने ढाका को घेर लिया और जनरल नियाजी को आत्मसमर्पण का संदेश भेजा। इसके बाद 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण और बांग्ला देश का उदय अपने आप में इतिहास बन गया।

देश का दुर्भाग्य देखिए कि इतने महान और बहादुर सेना नायक को देश ने एक वीर चक्र भी नहीं दिया। और सगत सिंह के शौर्य और पराक्रम का उन्हें कोई इनाम नही मिला।

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Shivesh Pratap

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