दुर्गुणों के त्याग पर श्लोक
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः |
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत् त्रयं त्यजेत् ||
– विदुर नीति
भावार्थ – कामवासना , क्रोध्, तथा लोभ ये दुर्गुण नरक के तीन द्वारों के समान हैं और मनुष्य की आत्मा का नाश कर देते हैं। अतः इन तीनों दुर्गुणों को त्याग देना चाहिये।
(इन तीनों दुष्प्रवृत्तियों के कारण मनुष्य का जीवन नारकीय हो जाता है। अतः इस सुभाषित के माध्यम से इन दुर्गुणों को त्याग देने का परामर्श दिया गया है।)
English
trividham narakasyedam dvaram nashanamatmanah |
kamah krodhastatha lobhastasmadetat trayam tyajet ||
IAST
trividhaṃ narakasyedaṃ dvāraṃ nāśanamātmanaḥ |
kāmaḥ krodhastathā lobhastasmādetat trayaṃ tyajet ||
i.e. Uncontrolled sexual urge, anger and greed, these vices are like three doors of the Hell and destroy the soul
of a person indulging in these vices. Therefore, people should shun these three vices.
(If a person indulges in these three vices his life becomes like living in the Hell. Through this Subhashita the author
has warned not to do so.)