पलाश के वृक्ष के औषधीय गुण
Ayurveda Benefits of Palash Tree in Hindi
पलाश का वैज्ञानिक नाम: ब्यूटिया मोनोस्पर्मा
हिंदी नाम: पलाश, परास, ढाक, टेसू, छिडल
संस्कृत नाम: किंशुक, क्षार श्रेष्ठ
अंग्रेजी नम: बस्टर्ड टीक
पलाश की प्रजातियाँ: 1. लाल फूलो वाले पलाश 2. सफेद पुष्पो वाले पलाश |
पलाश का अर्थ:
#पलाश 2 शब्दों से मिलकर बना है- पल एवं अश, पल का अर्थ है मांस एवं अश का अर्थ है खाना, अर्थात् ऐसा पेड़ जिसने माँस खाया हुआ है।
पलाश का परिचय:
पलाश को शास्त्रों में ब्रह्मा के पूजन अर्चन हेतु पवित्र माना है। पलाश के तीन पत्ते भारतीय दर्शनशास्त्र के त्रित्व के प्रतीक है।
#पलाश के पेड़ 5 फीट से लेकर 15-20 फीट या ज्यादा ऊँचे भी होते हैं।इसके एक ही डंठल में तीन पत्ते एक साथ होते है| बसंत ऋतू में इसमे केसरिया लाल राग के फूल लगते हैं
इसका वृक्ष भारत और दक्षिण पूर्वी एशिया के बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड, कम्बोडिया, मलेशिया, श्रीलंका एवं पश्चिम इंडोनेशिया में देखा जा सकता है।
इसके पांचों अंगों- तना, जड़, फल, फूल और बीज से औषधीय बनता हैं। इस पेड़ से गोंद भी मिलता है जिसे ‘कमरकस’ कहा जाता है।
पलाश का उपयोग एवं औषधीय गुण:
कुष्ठरोग में लाभ:
पलाश के फुल कुष्ठरोग, दाह, वायु संबंधी बीमारी, पित्त, कफ, तृषार, रक्तदोष एवं मृतक्रुष आदि रोगों को भगाने में बड़ा काम करते है |
आंखों के रोग में लाभ:
आँखे जलते हो 1-2 फुल घोट के पानी में पी लें लाभ मिलेगा |
पलाश की ताजी जड़ का 1 बूंद रस आंखों में डालने से आंख की झांक, खील, फूली मोतियाबिंद तथा रतौंधी आदि प्रकार के आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
नकसीर में लाभ:
पलाश के 5 से 7 फूलों को रात भर ठंडे पानी में भिगोएं। सुबह के समय में इस पानी से निकाल दें और पानी को छानकर उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पी लें इससे नकसीर में लाभ मिलता है।
अतिसार (दस्त) में लाभ:
टेसू के गोंद लगभग 650 मिलीग्राम से लेकर 2 ग्राम तक लेकर उसमें थोड़ी दालचीनी और अफीम (चावल के एक दाने के बराबर) मिलाकर खाने से दस्त आना बंद हो जाता है।
जोड़ों का दर्द में लाभ:
पलाश के बीजों को बारीक पीसकर शहद के साथ दर्द वाले स्थान पर लेप करने से संधिवात में लाभ मिलता है।
मिर्गी में लाभ:
4 से 5 बूंद टेसू की जड़ों का रस नाक में डालने से मिर्गी का दौरा बंद हो जाता है।
बवासीर में लाभ:
पलाश के पत्तों की सब्जी, घी और थोडा दही डाल के खाये तो बवासीर ठीक हो जाती है |
पलाश के अन्य लाभ:
दूध के साथ प्रतिदिन एक (पलाश) पुष्प पीसकर दूध में मिला के गर्भवती माता को पिलायें-इससे बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है।
इसका गोंद हड्डियों को मजबूत बनाता है।
इसके पुष्प मधुर व शीतल हैं। उनके उपयोग से पित्तजन्य रोग शांत हो जाते हैं।
पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिलाकर धूप करने से बुद्धि शुद्ध होती है व बढ़ती भी है।