ब्राह्मी के पौधे का उपयोग एवं लाभ
ब्राह्मी का सेवन कैसे करे
#ब्राह्मी का वानस्पतिक नाम : (Bacapa monnieri) बकोपा मोनिएरा
संस्कृत नाम: सौम्यलता, मण्डूकपर्णी, ब्राह्मीबूटी
उपयोगी भाग: संपूर्ण पौधा
ब्राह्मी के गुण: स्वाद में कड़वी तथा कषाय पचने पर मधुर तथा गुण में हल्की और शीतल होती है।
रासायनिक संघटन:
इसमें एल्केलायड नामक तत्त्व होता है।
पत्तियों में जल 78 प्रतिशत और कुछ उड़नशील तेल होता है जो सूखने पर उड़ जाता है।
सूखी पत्तियों में राल, टेनिन, एल्ब्यूमिन साल्ट, निर्यास, शर्करा, वसामय सुगन्धद्रव्ययुक्त भस्म होती है।
ब्राह्मी के पौधे का परिचय:
ब्राह्मी का पौधा पूर्ण रूप से औषधीय है। भूमि पर फैलनेवाला यह छोटा पौधा पानी के निकट बरसात में अधिक होता है।
इसके तने और पत्तियां मुलायम, गूदेदार और फूल सफेद , नीले और गुलाबी रंगहोते हैं तथा फल छोटे-छोटे कई साल तक लगते हैं।
यह पौधा नम स्थानों में पाया जाता है भारत इसकी उपज भूमि है।
ब्राह्मी मस्तिष्क, सफेद दाग, पीलिया, प्रमेह, खून की खराबी, खांसी, पित्त, सूजन, गले, दिल, मानसिक रोग जैसे पागलपन, कब्ज, गठिया, याददाश्त, नींद, तनाव, बालों आदि रोगो के लिए बेहतरीन औषिधि हैं।
ब्राह्मी का उपयोग एवं लाभ: ब्राह्मी का सेवन कैसे करे:
स्मरण शक्ति वर्द्धक:
10 मिलीलीटर सूखी ब्राह्मी का रस, 1 बादाम की गिरी, 3 ग्राम कालीमिर्च को पानी से पीसकर 3-3 ग्राम की टिकिया बना लें।
इस टिकिया को रोजाना सुबह और शाम दूध के साथ रोगी को देने से दिमाग को ताकत मिलती है।
ब्राह्मी के ताजे रस और बराबर घी को मिलाकर शुद्ध घी में 5 ग्राम की खुराक में सेवन करने से दिमाग को ताकत प्रदान होती है।
दांत दर्द में लाभ:
एक गिलास गुनगुने पानी में ब्राह्मी मिलकर रोजाना कुल्ला करने से दांत दर्द में राहत मिलता है।
अनिद्रा में लाभ:
अनिद्रा में ब्राह्मी चूर्ण 3 माशा (3 ग्राम) गाय के दूध के साथ देते हैं अथवा ब्राह्मी के ताजे 20-25 पत्रों को साफ गाय के आधा सेर दूध में घोंट छानकर 7 दिन तक देते हैं । वर्षों पुराना अनिद्रा रोग इससे ठीक हो जाता है ।
कब्ज में फायदेमंद:
ब्राह्मी में मौजूद औषधीय गुण कब्ज की समस्या को दूर करने में मददगार होते हैं।
इसका नियमित सेवन करने से कब्ज की पुरानी से पुरानी समस्या दूर हो जाती है।
ब्राह्मी में रक्तशोधक गुण पाये जाते हैं जिससे यह पेट की समस्या से बचाते हैं।
हिस्टीरिया:
10-10 ग्राम ब्राह्मी और वचा को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुबह और शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में त्रिफला के जल से खाने पर हिस्टीरिया के रोग में बहुत लाभ होता है।
मूत्रकृच्छ में लाभ:
ब्राह्मी के 2 चम्मच रस में, 1 चम्मच मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेशाब करने की रुकावट दूर हो जाती है।
4 मिलीलीटर ब्राह्मी के रस को शहद के साथ चाटने से मूत्ररोग में लाभ होता है।
दिमाग की स्फूर्ति में लाभ:
ब्राह्मी और बादाम की गिरी की एक भाग ,काली मिर्च का चार भाग लेकर इनको पानी में घोटकर छोटी- छोटी गोली बनाकर एक-एक गोली नियमित रूप से दूध के साथ सेवन करने पर दिमाग की स्फूर्ति बनी रहती है।
हृदय की समस्या में लाभ:
हृदय की बिमारियों में ब्राह्मी बहुत उपयोगी है।
ब्राह्मी में मिलने वाला तत्त्व एल्केलायड हृदय को हमेशा स्वस्थ रखता है।
खांसी और बुखार में लाभ:
ब्राह्मी 2.5 ग्राम, शंखपुष्पी -2.5 ग्राम ,बादाम क़ी गिरी पांच ग्राम, छोटी इलायची का पाउडर -2.5 ग्राम, इन सब को पानी में अच्छी तरह घोलकर छान लें और मिश्री मिलाकर सुबह शाम आधा से एक गिलास पीएं इससे खांसी, बुखार में लाभ मिलता है।
बालों की समस्या:
बालों से सम्बंधित कोई समस्या है जैसे बाल झड़ रहे हों तो परेशान न हों बस ब्राह्मी के पांच अंगों का यानी पंचाग का चूर्ण लेकर एक चम्मच की मात्रा में लें और लाभ देखें।
कमजोरी में लाभ:
40 मिलीलीटर केवांच की जड़ का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से स्नायु की कमजोरी मिट जाती है।
इसके जड़ का रस अगर 10-20 मिलीलीटर सुबह-शाम लिया जाए तो भी कमजोरी में लाभ होता है।
त्वचा सम्बन्धी विकारों जैसे एक्जीमा तथा फोड़े फुंसियों पर इसकी पत्तियों के चूर्ण को लगाने से फायदा होता है।