भारत के हिमनद या ग्लेशियर एवं दर्रे या पास की पूरी जानकारी

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भारत के हिमनद, हिमानी या ग्लेशियर:

पर्वतों का वह ऊंचाई पर स्थित क्षेत्र जिन पर हिमखंडों के खिसकने, गलने आदि की प्रक्रियाएं होती हैं और इसके फलस्वरूप वहां से कोई जलस्रोत निकलता हो उसे हिमनद, हिमानी या ग्लेशियर कहते हैं।

लद्दाख UT (पूर्व में जम्मू कश्मीर) के ग्लेशियर:

काराकोरम पर्वत श्रेणी में 5 ग्लेशियर पाए जाते हैं।

  1. ससाइमी, (158 किमी)
  2. सियाचीन, (72 किमी)
  3. हिस्पर,
  4. बियाफो,
  5. बालतोर ग्लेशियर

सियाचिन ग्लेसियर काराकोरम दर्रे के पास है। ससाइमी भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर है।

सियाचिन जाने के लिए नुबरा नदी घाटी से होकर जाते हैं। नुबरा नदी सियाचिन से निकलती है।

हिमाचल प्रदेश के ग्लेशियर:

व्यासकुंड, सोनापानी, गोरा, कीलॉन्ग, मियार और पारवती हिमनद मुख्य हैं।

उत्तराखंड के ग्लेशियर:

गंगोत्री, यमुनोत्री, पिंडारी, काली, बन्दरपूँछ और मिलाम ग्लेशियर उत्तराखंड में है।

सिक्किम के ग्लेशियर:

जेमू ग्लेशियर सिक्किम में पाया जाता है। यहाँ से तीस्ता नदी निकलती है।

इसके अलावा राथोंग और लोनक हिमनद हैं।

 

भारत के प्रमुख दर्रे या पास की जानकारी:

दर्रे मनुष्यों के लिए पर्वतों में एक प्राकृतिक मार्ग हैं जिनसे पर्वतों को चढ़ कर लांघने के बजाय आवागमन आसानी से हो सकता है। दर्रों का निर्माण हज़ारों वर्षों में नदियों के बहने से पत्थरों को काट कर गार्ज के निर्माण एवं अवसादों के निक्षेपण से हुआ है।

दर्रे शब्द “दर” यानि स्थान से बना है।  इसका आशय पहाड़ों के बीच समतल स्थान से है

लद्दाख UT एवं जम्मू कश्मीर के दर्रे:

काराकोरम दर्रा: यह भारत का सबसे ऊंचाई का दर्रा है जो भारत व तिब्बत को सैकड़ों वर्षों से जोड़े हुए है। चीन पाकिस्तान का विवादित CPEC राजमार्ग इसी काराकोरम दर्रे से होकर गुजरता है।

खारदुंगला दर्रा: यह लद्दाख पर्वत श्रेणी पर है। लेह से सियाचिन ग्लेसियर जाने के लिए इसी दर्रे का इस्तेमाल करते हैं।

बुर्जिल और जोजिला: जास्कर श्रेणी में, बुर्जिल और जोजिला दर्रा कश्मीर एवम बारालाचा ला और शिपकी ला दर्रा हिमाचल प्रदेश में स्थित है।

बुर्जिल दर्रा श्रीनगर को गिलगिट से जोड़ता है।

बनिहाल दर्रा और पीर पांजाल दर्रा: पीर पांजल श्रेणी में दो दर्रे हैं; बनिहाल दर्रा और पीर पांजाल दर्रा। जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला NH1A राजमार्ग बनिहाल दर्रे से होकर गुजरता है।

हिमाचल प्रदेश के दर्रे:

बारालाचा ला: धौलाधार श्रृंखला पर स्थित शहर शिमला से लद्दाख़ के लेह कस्बे में जाने के लिए हमें बारालाचा ला से होकर गुजरना होता है।
शिपकी ला: शिपकी ला दर्रा शिमला या मंडी से तिब्बत जाने के लिए इस्तेमाल होता है।
रोहतांग दर्रा: मनाली-लेह के मुख्यमार्ग में पड़ता है। इसे लाहोल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।

उत्तराखंड में मुख्यत 4 दर्रे हैं:

मुलिंग, मानाला, नीतिला और लिपुलेख।

नीतिला और लिपुलेख का प्रयोग कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा के लिए होता है।

सिक्किम के दर्रे:

नाथु ला और जेलेप ला: चुम्बी घाटी से होकर तिब्बत जाने का रास्ता नाथु ला और जेलेप ला दर्रों से है। चीन से सड़क मार्ग से होने वाले व्यापार इसी नाथुला दर्रे से होता है।

1962 युद्ध के बाद नाथु ला बंद कर दिया गया था जिसे 2006 में फिर खोला गया।

अरुणाचल प्रदेश के दर्रे:

तिब्बत सीमा पर:  बोमडिला, यांगयाप, कांगरी करपोला है। बोमडिला, तवांग घाटी में है।

म्यांमार सीमा पर:  दिफु, पंगसाड़, लिखापानी है।

मणिपुर में दर्रे:

भारत-म्यांमार सीमा पर तुजू दर्रा है जो मणिपुर राज्य में है।

प्रायद्वीपीय भारत के प्रमुख दर्रे:

थाल घाट: यह मुंबई नासिक को जोड़ता है।

भोर घाट: यह मुंबई पुणे को जोड़ता है।

पाल घाट: यह केरल में नीलगिरि व् अन्नामलाई के बीच में है एवं केरल-तमिलनाडु को जोड़ता है।


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Shivesh Pratap

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