एक बार जब शिशु छः महीने का हो जाता है तब उसे ठोस आहार देने की सलाह दी जाती है। आज कल के भागदौड़ वाली जिंदगी में हमे हर चीज़ पैकेट में चाहिए। यह बात सच है आज बाजार में सब कुछ मिल जाता है। इससे हमारी तेज़ रफ़्तार जिंदगी को बहुत सहूलियत मिल गयी है।
मगर भारतीय आयुर्विज्ञान से सौन्दर्य विशेषज्ञा वनीता जैन का कहना है कि जब बात बच्चों की आती है तब उनके स्वस्थ्य से समझौता नहीं किया जा सकता है। आज-कल बच्चों के लिए शिशु-आहार के रूप में सेरेलक का बड़ा चलन हो गया है।
इससे सब काम बड़ा आसन हो गया है। बस ढक्कन खोला, चार चम्मच कटोरे में सेरेलक डाला, थोडा दूध या पानी मिलाया, हल्का सा पकाया और बस तैयार – बच्चों का झटपट शिशु-आहार।
मगर जरुरी नहीं की हर वो चीज़ जो आसानी से बन जाये – वो पौष्टिक भी हो?
यही बात लागु होती है बाजार से ख़रीदा गया रेडीमेड सेरेलक के बारे में भी। चलिए देखते हैं की आप को अपने शिशु के लिए सेरेलक क्यों घर पे तैयार करना चाहिए और बाजार से ख़रीदे गए सेरेलक से शिशु को क्या-क्या नुक्सान हो सकता है। इसके बाद आप को यह भी बतायंगे की कैसे बनाये अपने नन्हे शिशु के लिए घर में ही सेरेलक
बाजार में उपलब्ध सेरेलक को घर पे तैयार करने के लिए आप को मिश्रण को एक तरीके से बनाना पड़ेगा। जैसे की जितना जरुरी है उतना ही पानी डालना पड़ेगा बाजार निर्मित सेरेलक में। ऐसा नहीं करने पे या तो बच्चे की भूख शांत नहीं होगो और आप को शिशु को सेरेलक बार-बार देते रहना पड़ेगा।
इसकी वजह से बच्चे की फेफड़ों पर प्रभाव पड़ेगा और वो बिमार भी हो सकता है और दूसरी बात यह ही कई बाजार से निर्मित सेरेलक की गुणवता के बारे में आप कुछ भी नहीं कर सकती हैं। गुणवता से मेरे मतलब है की सेरेलक को बनाने में जिन-जिन सामाग्री का इस्तेमाल किया गया है उनकी गुणवता के बारे में आप कुछ भी नहीं कर सकती हैं।
बाजार में उपलब्ध सेरेलक से कब्ज की समस्या:
बहुत से बच्चों में सेरेलक से कब्ज की समस्या को भी होते देखे गया है। ऐसे इस लिए क्यूंकि बाजार में उपलब्ध सेरेलक को बहुत ही परिष्कृत सामग्री से बनाया जाता है। इन सामग्री को रिफाइंड करने से उनका पौष्टिक तत्त्व बहुत हद तक नष्ट हो जाता है। विशेषकर सामग्रियों के बाहरी सतह पे मौजूद फाइबर पूरी तरह निकल जाता है।
उदहारण के तौर पर अगर आटे की बात किया जाये तो इसे बनाने से पहले गेहूं पर से चोकर (बाहरी सतह) पूरी तरह निकाल दिया जाता है। इसी कारण आटा बहुत सफ़ेद दीखता है। लेकिन हकीकत यह है की इसका अधिकांश पोषक्त तत्त्व नष्ट हो चूका। आहार सामग्री में मौजूद ये पोषक तत्व और फाइबर शिशु में पाचन के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। यही कारण है की बाजार में निर्मित सेरेलक को जो बच्चे कहते हैं उन्हें पेट दर्द और मल त्यागने में परेशानी होती है।
अधिकांश बच्चे जिन्हे सेरेलक शुरू से दिया गया है, उनमें सेरेलक के द्वारा एलेर्जी की सम्भावना भी पायी गयी है। जिन बच्चों को कभी भी सेरेलक खाने से एलर्जी हुई हो उन्हें आप सोया, स्टार्च और दुग्ध उत्पाद न दें।
सम्भवता इन्ही सामग्रियों के सेरेलक में मौजूद होने के कारण बच्चों को एलर्जी का सामना करना पड़ता है। यह पता करने के लिए की आप के शिशु को किन-किन आहार सामग्री से एलर्जी, उसे कोई भी आहार सामग्री पहली बार देने से पहले आहार-के-तीन-दिवसीय नियमका पालन अवश्य करें।
सेरेलक बनाने की सामग्री:
1 कप रागी
1 कप बाजरा
1 कप गेहूं
1 कप मकई (छोटी)
1 कप मकई (बड़ी)
1 कप ब्राउन राइस
1 कप मुंग दाल
1 कप चना दाल
1 कप भुना चना
1 कप उरद की दाल
1/2 कप बादाम
सेरेलक बनाने की विधि:
बादाम को छोड़ कर सभी सामग्रियों को रात भर पानी में भिगो के छोड़ दें। अगले दिन पानी को निकाल दें और उसे अच्छी तरह सूखने के लिए धूप में फैला के रख दें। सूख जाने पे इसे तवे पर हल्का भून लें। बादाम मिला लें और सारी सामग्री को ब्लेंडर में पीस लें। अच्छी तरह पीस कर इसे एयर टाइट कंटेनर में रख दें।
खाने के लिए सेरेलक तैयार करने की विधि:
एक कडाही को गैस पे माध्यम आंच पे चढ़ाएँ। इसमें दो बड़े चम्मच घर-पे-निर्मित सेरेलक डालें और हल्का सा भुन लें।
इसमें एक बड़ा गिलास पानी डाल दें और माध्यम आंच पे पकने दें।
अब इसे दलिए की तरह पकाएं।आवश्यकता अनुसार इसमें नमक या चीनी मिलाएं। छोटे शिशु के लिए आहार तैयार करते वक्त इसमें नमक या चीनी मिलान की कोई आवश्यकता नहीं है।