सिंधु घाटी हड़प्पा सभ्यता की मुख्य विशेषताएं | 100 Facts of Harappan Civilization in Hindi

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सिंधु घाटी सभ्यता ही हड़प्पा सभ्यता है: 

हड़प्पा सभ्यता का प्रचलित नाम  सिंधु घाटी की सभ्यता है |

हड़प्पा संस्कृति के अन्तर्गत पंजाब, सिन्ध और बलूचिस्तान के भाग ही नहीं, बल्कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमान्त भाग भी थे।

इसका फैलाव उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर पूर्व में मेरठ तक था।

यह सम्पूर्ण क्षेत्र त्रिभुजाकार है और इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर है।

इस तरह यह क्षेत्र आधुनिक पाकिस्तान से तो बड़ा है ही, प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया से भी बड़ा है। ईसा पूर्व तीसरी और दूसरी सहस्त्राब्दी में संसार भार में किसी भी सभ्यता का क्षेत्र हड़प्पा संस्कृति से बड़ा नहीं था।

सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषता:

अब तक भारतीय उपमहाद्वीप में इस सिन्धु घाटी सभ्यता के कुल 1000 स्थलों का पता चल चुका है। इनमें से कुछ आरंभिक अवस्था के हैं तो कुछ परिपक्व अवस्था के और कुछ उत्तरवर्ती अवस्था के। परिपक्व अवस्था वाले कम जगह ही हैं।

इनमें से आधे दर्जनों को ही नगर की संज्ञा दी जा सकती है। इनमें से दो नगर बहुत ही महत्वपूर्ण हैं – पंजाब का हड़प्पा तथा सिन्ध का मोहें जो दड़ो (शाब्दिक अर्थ – प्रेतों का टीला)। दोनो ही स्थल पाकिस्तान में हैं। दोनो एक दूसरे से 483 किमी दूर थे और सिंधु नदी द्वारा जुड़े हुए थे।

तीसरा नगर मोहनजोदड़ो 130 किमी दक्षिण में चन्हुदड़ो स्थल पर था तो चौथा नगर गुजरात के खंभात की खाड़ी के उपर लोथल नामक स्थल पर। इसके अतिरिक्त राजस्थान के उत्तरी भाग में कालीबंगां (शाब्दिक अर्थ -काले रंग की चूड़ियां) तथा हरियाणा के हिसार जिले का बनावली। इन सभी स्थलों पर परिपक्व तथा उन्नत हड़प्पा संस्कृति के दर्शन होते हैं।

सुतकागेंडोर तथा सुरकोतड़ा के समुद्रतटीय नगरों में भी इस संस्कृति की परिपक्व अवस्था दिखाई देती है। इन दोनों की विशेषता है एक एक नगर दुर्ग का होना। उत्तर ङड़प्पा अवस्था गुजरात के कठियावाड़ प्रायद्वीप में रंगपुर और रोजड़ी स्थलों पर भी पाई गई है। इस सभ्य्ता की जाऩकारी सबसे पेहले १८२६ मे चार्ल्समैन को प्राप्त हुई।

जिस काल में मानव की घटनाओं का कोई लिखित वर्णन नहीं होता, उस काल को क्या कहा जाता है—प्रागैतिहासिक काल 

आग का अविष्कार किस युग में हुआ— पुरापाषण युग में 

पुरापाषण युग में मानव की जीविका का मुख्य आधार क्या था— शिकार करना 

पहिए का अविष्कार किस युग में हुआ— नवपाषण युग में 

सिंधु की सभ्यता का काल क्या माना जाता है— 2500 ई. पू. से 1750 ई.पू. 

सिंधु की घाटी सभ्यता में सर्वप्रथम घोड़े के अवशेष कहाँ मिले— सुरकोटदा में 

सिंधु की घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था— व्यापार 

सिंधु की घाटी सभ्यता में घर किससे बने थे— ईंटों से 

हड़प्पा के लोग कौन-सी फसल में सबसे आगे थे— कपास 

हड़प्पा की सभ्यता की खोज सर्वप्रथम किसने की— दयाराम साहनी 

सिंधु सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह कौन-सा था— लोथल (गुजरात)

सिंधु की घाटी सभ्यता का स्थल ‘कालीबंगा’ किस प्रदेश में हैराजस्थान में 

हड़प्पा की सभ्यता की खोज किस वर्ष हुई थी— 1921 ई. 

हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति कैसी थी— उचित समतावादी 

नखलिस्तान सिंधु सभ्यता के किस स्थल को कहा गया है— मोहनजोदड़ो 

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित कालीबंगा स्थान पर १९६१ ई. के मध्य किए गए उत्खनन द्वारा 26 फ़िट ऊँची पश्चिमी थेड़ी (टीले) से प्राप्त अवशेषों से विदित होता है कि लगभग 4500 वर्ष पूर्व यहाँ सरस्वती नदी के किनारे हड़प्पा कालीन सभ्यता फल-फूल रही थी।

कालीबंगा से प्राप्त हल से अंकित रेखाएँ भी प्राप्त हुई हैं जो यह सिद्ध करती हैं कि यहाँ का मानव कृषि कार्य भी करता था। इसकी पुष्टि बैल व अन्य पालतू पशुओं की मूर्तियों से भी होती हैं। बैल व बारहसिंघ की अस्थियों भी प्राप्त हुई हैं। बैलगाड़ी के खिलौने भी मिले हैं।

हड़प्पा की सभ्यता में हल से खेत जोतने का साक्ष्य कहाँ मिला— कालीबंगा 

सैंधव सभ्यता की ईंटों का अलंकरण किस स्थान से प्राप्त हुआ— कालीबंगा 

सिंधु की सभ्यता में एक बड़ा स्नानघर कहाँ मिला— मोहनजोदड़ो में 

सिंधु सभ्यता की मुद्रा पर किस देवता का चित्र अंकित था— आद्यशिव 

मोहनजोदड़ो को एक अन्य किस नाम से जाना जाता है— मृतकों का टीला 

सैंधव स्थलों के उत्खन्न से प्राप्त मोहरों पर किस पशु का प्रकीर्णन सर्वाधिक हुआ— बैल 

सिन्धु सभ्यता का कौन-सा स्थान वर्तमान भारत में स्थित है— लोथल 

भारत में खोजा गया सबसे पहला पुराना शहर कौन-सा था— हड़प्पा 

भारत में चाँदी की उपलब्धता के साक्ष्य कहाँ मिले— हड़प्पा की संस्कृति में 

मांडा किस नदी पर स्थित था— चिनाब पर 

हड़प्पा की सभ्यता का प्रमुख स्थल रोपड़ किस नदी पर स्थित था— सतलज नदी 

हड़प्पा में एक अच्छा जलप्रबंधन का पता किस स्थान से चलता है— धोलावीरा से 

सिंधु सभ्यता के लोग मिट्टी के बर्तनों पर किस रंग का प्रयोग करते थे— लाल रंग 

सिंधु घाटी की सभ्यता किस युग में थी— आद्य-ऐतिहासिक युग में 

सिंधु घाटी का सभ्यता की खोज में जिन दो भारतीय लोगों के नाम जुड़े हैं, वे कौन हैं— दयाराम साहनी और आर.डी. बनर्जी 

सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख फसल कौन-सी थी— जौ एवं गेहूँ 

हड़प्पा की समकालीन सभ्यता रंगपुर कहाँ है— सौराष्ट्र में 

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई किसने कराई— सर जॉन मार्शल 

सिंधु सभ्यता के लोग सबसे अधिक किस देवता में विश्वास रखते थे— मातृशक्ति (दुर्गा)

हड़प्पा की सभ्यता में मोहरे किससे बनी थी— सेलखड़ी से 

किस स्थान से नृत्य मुद्रा वाली स्त्री की कांस्य मूर्ति प्राप्त हुई— मोहनजोदड़ो से 

मोहनजोदड़ो इस समय कहाँ स्थित हैसिंध, पाकिस्तान 

हड़प्पावासियों ने सर्वप्रथम किस धातु का प्रयोग किया— ताँबे का 

स्वतंत्रता के बाद भारत में हड़प्पा के युग के स्थानों की खोज सबसे अधिक किस राज्य में हुई— गुजरात 

हड़प्पा के निवासी किस धातु से परिचित नहीं थे— लोहे से 

हड़प्पा की सभ्यता किस युग की सभ्यता थी— ताम्रयुग 

हड़प्पा का प्रमुख नगर कालीबंगन किस राज्य में है— राजस्थान में 

हड़प्पा के निवासी किस खेल में रूचि रखते थे— शतरंज 

हड़प्पा के किस नगर को ‘सिंध का बाग’ कहा जाता था— मोहनजोदड़ो को 

मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ क्या है— मृतकों का टीला 

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यह भी पढ़ें: मोहनजोदड़ो सभ्यता के रोचक तथ्य एवं विशेषताएं 

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हड़प्पा के निवासी घरों एवं नगरों के विन्यास के लिए किस पद्धति को अपनाते थे— ग्रीड पद्धति को 

यह सभ्यता मुख्यतः 2500 ई.पू. से 1800 ई. पू. तक रही। ऐसा आभास होता है कि यह सभ्य्ता अपने अंतिम चरण में ह्रासोन्मुख थी।


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Shivesh Pratap

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