50 Interesting Facts about ISRO
इसरो के बारे में 50 रोचक तथ्य
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ISRO ने अंतरिक्ष में अब तक की सबसे ऊंची उड़ान बुधवार को भरी. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-सी37 लॉन्च किया गया. 9 बजकर 28 मिनट पर 104 सैटेलाइट्स का प्रक्षेपण हुआ|10: 02 मिनट पर इसरो की ओर से इस मिशन के कामयाब होने का ऐलान किया गया. बता दें कि ये पहला मौका है जब एक साथ 104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गए. इनमें अमेरिका के अलावा इजरायल, हॉलैंड, यूएई, स्विट्जरलैंड और कजाकिस्तान के छोटे आकार के सैटेलाइट शामिल हैं. भारत के सिर्फ तीन सैटेलाइट शामिल हैं,आइये जाने इसरो के बारे में 50 रोचक तथ्य….
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ISRO “Indian Space Research Organisation”. इसका हेडक्वार्टर बेंगलूर में है यह अंतरिक्ष विभाग द्वारा कंट्रोल की जाती है जो सीधे भारत के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजता है। भारत में इसरो के कुल 13 सेंटर है।
- ISRO की स्थापना डाॅ. विक्रम साराभाई ने सन् 1969 में स्वतंत्रता दिवस के दिन की थी। इन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक भी माना जाता है।
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अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, चीन समेत भारत दुनिया के उन छः देशों में शामिल है जो अपनी भूमि पर सैटेलाइट बनाने और उसे लाॅन्च करने की क्षमता रखते है।
- भारत के लिए 86 satellites लांच करने के अलावा ISRO ने अभी तक 21 अलग-अलग देशों के लिए भी 79 satellites लांच किए है।
- इसरो का बजट केंद्र सरकार के कुल खर्च का 0.34% और GDP का 0.08% है। यह कोई ज्यादा खर्च नही है।
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ISRO का पिछले 40 साल का खर्च NASA के एक साल के खर्च का आधा है। वहीं नासा की इंटरनेट स्पीड 91GBps है और इसरो की इंटरनेट स्पीड 2GBps है।
- पाकिस्तान की भी एक स्पेस एजेंसी है जिसका नाम है SUPARCO. यह 1961 में बनी थी जबकि ISRO 1969 में। ISRO आज तक अपने लिए 86 satellites लांच कर चुका है बल्कि SUPARCO सिर्फ 2 वो भी विदेशी देशों की मदद से।
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भारत के पहले राॅकेट के लांच के समय भारतीय वैज्ञानिक हर रोज तिरूवंतपूरम से बसों में आते थे और रेलवे स्टेशन से दोपहर का खाना खाते थे। पहले राॅकेट के कुछ हिस्सों को साइकिल पर ले जाया गया था।
- आर्यभट्ट, इसरो का पहला उपग्रह जो 19 अप्रैल 1975 को रूस की सहायता से लांच किया गया था।
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इस सेटेलाइट को कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन के जरिए कास्पुतिन यान से प्रक्षेपित किया गया था. सबसे खास बात यह थी कि इस उपग्रह का निर्माण पूरी तरह से भारत में ही हुआ था.
- 1981 में APPLE Satellite को संसाधनों की कमी की वजह से बैलगाड़ी पर ले जाया गया था।
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SLV-3 भारत द्वारा लांच किया गया पहला स्वदेशी उपग्रह था और इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर डाॅ. ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम थे।
- ANTRIX, यह इसरो की कमर्शियल डिविजन है जो हमारी स्पेस तकनीक को दूसरे देशों तक पहुंचाती है। ANTRIX के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर देश के दो बड़े उद्योगपति रतन टाटा और जमशेद गोदरेज है।
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किसी और संगठन की अपेक्षा इसरो में सबसे ज्यादा single scientist है इन्होनें कभी शादी नही की और पूरा जीवन संगठन को समर्पित कर दिया।
- 2008-09 में इसरो ने चंद्रयान-1 लाॅन्च किया था जिसका बजट 350 करोड़ रूपए यानि नासा से 8-9 गुना कम था। इसी ने चाँद पर पानी की खोज की थी।
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भारत (इसरो) अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला एकमात्र देश है। अमेरिका 5 बार सेवियत संघ 8 बार और चीन, रूस भी अपने पहले प्रयास में असफल रहे थे।
- ISRO का मंगल मिशन आज तक का सबसे सस्ता है सिर्फ 450 करोड़ रूपए अर्थात 12 रूपए प्रति किलोमीटर, जो एक ऑटो के किराए के बराबर है। हमारा मंगल मिशन कई हाॅलीवुड फिल्मों से भी सस्ता है।
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इसरो ने गूगल अर्थ का देशी वर्जन भुवन बनाया है यह वेब आधारित 3D सेटेलाइट इमेजरी टूल है।
- जब बहुत से देश navigational purpose के लिए अमेरिका के GPS पर निर्भर थे तब ISRO सफलतापूर्वक अपने navigational satellites, IRNSS लांच कर चुका था।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने 28 अप्रैल 2016 भारत का सातवां नेविगेशन उपग्रह IRNSS (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) लॉन्च किया।
- आप चाहे तो इसरो से सैटेलाइट डाटा भी खरीद सकते है। HD चित्रों आदि की जरूरत पड़ने पर इस अवसर का लाभ उठा सकते है।
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क्या आपको लगता है कि ISRO छोटी सी संस्था है ? लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इसरो ने पिछले साल 14 अरब रूपए की कमाई की थी।
- भारत के इसरो ने बुधवार को मेगा मिशन के जरिए विश्व रिकॉर्ड बना लिया है. PSLV के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट का सफल लॉन्च किया गया है
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यह रिकार्ड रूस के नाम है, जो 2014 में 37 सैटेलाइट एक साथ भेजने में कामयाब रहा है| इस लॉन्च में जो 101 छोटे सैटेलाइट्स हैं उनका वजन 664 किलो ग्राम था. इन्हें कुछ वैसे ही अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया जैसे स्कूल बस बच्चों को क्रम से अलग-अलग ठिकानों पर छोड़ती जाती हैं.
- इसरो नौवहन केन्द्र की बयालालू में भारतीय गहन अंतरिक्ष नेटवर्क (आईडीएसएन) के परिसर में स्थापना की गई है। यह बेंगलुरू से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर है।
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इसरो नौवहन केन्द्र का उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री श्री वी.नारायणसामी ने किया। यह केन्द्र भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- यह एक स्वतंत्र नौवहन उपग्रह प्रणाली है, जिसे भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- सितंबर 2014 भारतीय मंगलयान ने इसरो को दुनिया के नक्शे पर चमका दिया. मंगल तक पहुंचने में पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना।
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2014 में मंगल ग्रह की परिक्रमा करने के लिए मंगलयान को छोड़ा गया। इस मिशन की खासियत ये भी थी कि भारत ने पूरे अभियान को अमेरिका के मंगल मिशन की तुलना में 10 फीसदी कम कीमत में कर दिखाया।
- 27 अगस्त 2015 को स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज (सीयूएस) से लैस भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-डी 6) ने भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में देश के उन्नत संचार उपग्रह जीसैट-6 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।
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यह स्वदेशी सीयूएस वाली जीएसएलवी की लगातार दूसरी सफल उड़ान थी, जो अत्यधिक जटिल क्रायोजेनिक रॉकेट प्रणोदन प्रौद्योगिकी में माहिर होने की इसरो की क्षमता और सफलता को रेखांकित करती है।
- 28 अप्रैल 2016 को इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के सातवें उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
- भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम के समान अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मिल गया। इससे पहले यह उपलब्धि केवल अमेरिका और रूस को ही हासिल थी।
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जून 2016 इसरो ने 2008 में बनाए गए अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए पीएसएलवी सी-34 के माध्यम से रिकॉर्ड 20 उपग्रह एक साथ छोड़े।
- पीएसएलवी का वजन 1,288 किलोग्राम है। इस सैटेलाइट का उद्देश्य शहरी ग्रामीण, तटीय भूमि और जल वितरण आदि की जानकारी प्राप्त करना था।
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2016 में ही इस साल इसरो ने कुल 34 उपग्रहों को अंतरिक्ष में उनकी कक्षा में स्थापित किया, जिनमें से 33 उपग्रहों को स्वदेश निर्मित रॉकेट से और एक उपग्रह (जीएसएटी-18) को फ्रांसीसी कंपनी एरियानेस्पेस द्वारा निर्मित रॉकेट से प्रक्षेपित किया।
- भारतीय रॉकेट से प्रक्षेपित किए गए 33 उपग्रहों में से 22 उपग्रह दूसरे देशों के थे, जबकि शेष 11 उपग्रह इसरो और भारतीय शिक्षण संस्थानों द्वारा निर्मित थे।
- मिशन के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने एक्सएल वैरियंट का इस्तेमाल किया है जो सबसे शक्तिशाली रॉकेट है. आपको बता दें कि इस रॉकेट का इस्तेमाल चंद्रयान और मंगलयान जैसी अहम मिशन के लिए किया जा चुका है
- अंतरिक्ष में इसरो की ये नई बुलंदी सिर्फ सेटेलाइट की संख्या के लिहाज से बेमिसाल नहीं है. इस लॉन्च के और भी कई ऐसे मायने हैं जो स्पेस तकनीक को नया आयाम देंगे|
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ऐसा पहली बार है जब एक ही प्रक्षेपण में 7 देशों के 104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े जाएंगे. इससे पहले रूस ने 2014 में एक ही रॉकेट के जरिये 37 उपग्रह भेजे थे. पिछले साल जून में इसरो ने एक साथ 20 सेटेलाइट्स का प्रक्षेपण किया था|
- 104 उपग्रहों में से 88 अमेरिकी कंपनी Planet Labs के हैं. ‘डव सेटेलाइट्स’ कहलाने वाले ये छोटे उपग्रह 100 ऐसे उपग्रहों का हिस्सा हैं जिनकी मदद से धरती की सटीक और उच्च-क्वालिटी की तस्वीरें खीचीं जा सकें|
- बेहद तेज गति से चलने वाले अंतरिक्ष रॉकेट के साथ एक-एक सेटेलाइट के प्रक्षेपण का तालमेल बिठाने के लिए बेहद काबिल तकनीशियनों और इंजीनियरों की जरुरत पड़ती है. हर सेटेलाइट तकरीबन 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से प्रक्षेपित होगा|
- अंतरिक्ष प्रक्षेपण के बेहद फायदेमंद बिजनेस में इसरो को नया खिलाड़ी माना जाता है. इस कीर्तिमान के साथ सस्ती और भरोसेमंद लॉन्चिंग में इसरो की ब्रांड वेल्यू में इजाफा होगा. इससे लॉन्चिंग के कई और कॉन्ट्रेक्ट एजेंसी की झोली में गिरने की उम्मीद है|