30 BRAHMOS Missile Interesting Facts | ब्रह्मोस रोचक तथ्य:
- ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।
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ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र के जनक जाने-माने रक्षा प्रद्योगिकीविद अपथूकथा शिवतनु पिल्लै हैं | पिल्लै को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 7 अक्टूबर 2014 को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया| पिल्लै को 2000 में पद्मश्री और 2013 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है|
- भारत ने रविवार 5 सितम्बर, 2010 को उड़ीसा तटीय क्षेत्र में चाँदीपुर के एकीकृत परीक्षण स्थल (आईटीआर) से 290 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के उन्नतम संस्करण का सफल परीक्षण किया था। भारतीय रक्षा बलों द्वारा इसकी क्षमताओं को दुरूस्त करने के परीक्षणों के तहत यह परीक्षण किया गया था।
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ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र है। इस सुपरसॉनिक मिसाइल की गति ध्वनि की गति से क़रीब तीन गुना अधिक होती है यानि लगभग 1Km प्रति सेकंड की गति।
- क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र उसे कहते हैं जो कम ऊँचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और इस तरह से रडार की आँख से बच जाती है।
- इसकी सटीकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह ज़मीनी लक्ष्य को दस मीटर की उँचाई तक से प्रभावी ढंग से निशाना बना सकती है।
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ब्रह्मोस को ब्रह्मोस कॉरपोरेशन द्वारा बनाया जा रहा है। यह कंपनी भारत के DRDO (डीआरडीओ) और रूस के NPO Mashinostroeyenia (एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया) का ज्वॉइंट वेंचर है।
- इस सयुक्त उपक्रम (JV) में भारत की हिस्सेदारी 50.5% एवं रसिया की हिस्सेदारी 49.5% हैं|
- -ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में लॉन्चिंग तकनीक उपलब्ध करवा रहा है।
- इसके अलावा उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है।
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ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है और यह 300 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री अपने साथ ले जा सकता है।
- ब्रह्मोस को लेकर चीन की घबराहट की सबसे बड़ी वजह इसका न्यूक्लियर वॉर हेड तकनीक से लैस होना है। यह 290 किलोमीटर दूरी तक के लक्ष्य को भेद सकती है।
- चीनी सेना का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर ब्रह्मोस की तैनाती के बाद उनके तिब्बत और युन्नान प्रांत पर खतरा मंडराने लगा है। हालांकि परमाणु हथियारों को लेकर भारत की नीति हमेशा से स्पष्ट रही है कि वह पहले परमाणु हमला नहीं करेगा और रिहायशी इलाकों में तबाही नहीं मचाएगा।
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- चीन की चिंता का दूसरा बड़ा कारण यह है कि ब्रह्मोस मिसाइल जमीन से, पनडुब्बी या पानी के जहाज से या विमान से भी छोड़ा जा सकता है। इसे पनडुब्बी से दागने के लिए दो सफल परीक्षण किए जा चुके हैं।
- ब्रह्मोस मिसाइल पनडुब्बी, जहाज, विमान और ज़मीन स्थित मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर जैसे बहु मंचों से दागी जा सकती है।
- इतना ही नहीं एयरफोर्स के सुखोई विमान ने भी कुछ समय पहले सुपरसॉनिक ब्रह्मोस के साथ सफलतापूर्वक उड़ान भरी है।
- इस उड़ान के साथ ही भारतीय वायुसेना दुनिया की पहली ऐसी एयरफोर्स बन गई है, जिसके जंगी बेड़े में सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल शामिल हो गई है। भारत इसे सुखोई से दागने की तकनीक और बेहतर करने में जुटा है।
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ब्रह्मोस मेनुवरेबल तकनीक से लैस है। यानी दागे जाने के बाद यदि लक्ष्य रास्ता बदल ले तो यह मिसाइल भी अपना रास्ता बदल लेती है और उसे निशाना बनाती है।
- दरअसल, दूसरे मिसाइल्स का लक्ष्य टैंक से दागे गए गोलों की तरह पहले से तय होता है और वे वहीं जाकर गिरती हैं। या फिर मिसाइल्स लेजर गाइडेड होती हैं, जो लेजर किरणों के आधार पर लक्ष्य को साधती हैं।
- मगर कोई लक्ष्य गतिशील हो तो उसे निशाना बनाना कठिन हो सकता है। यहीं मेनुवरेबल तकनीक काम आती है।
- भारतीय नौसेना ने 2005 से अग्रिम मोर्चे के अपने सभी जंगी जहाजों पर ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली के पहले संस्करण की तैनाती शुरू कर दी थी।
- आम मिसाइलों के विपरित यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।
- भारतीय सेना में 290 किलोमीटर के दायरे वाली ब्रह्मोस-1 की एक रेजीमेंट पहले से ही संचालित है जिसमें 67 मिसाइलें, 12X12 के वाहनों पर पाँच मोबाइल ऑटोनामस लांचर और दो चलित कमान चौकियों के अलावा कुछ अन्य उपकरण शामिल हैं।
- ब्रह्मोस मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण एकीकृत परीक्षण क्षेत्र से 12 जून, 2001को किया गया था और इसी स्थान से 5 सितंबर, 2010 को अंतिम सफल परीक्षण किया गया।
- इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है।
- रडार ही नहीं किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असम्भव है।
- ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है।
- ब्रह्मोस-२ नाम से हाइपर सोनिक मिसाइल भी बनाई गई है जो 7 मैक (ध्वनि की गति से साथ गुना तेज) यानि 2.38 किलोमीटर/सेकंड की गति से वार करेगी।
- ब्रह्मोस कारपोरेशन अगले 10 साल में करीब 2000 ब्रह्मोस मिसाइल बनाएगा।
- फिलीपींस सहित अनेक देशों जैसे वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, ओमान, और ब्रुनेई ब्रह्मोस मिसाइल को भारत से खरीदने के लिए कतार में खड़े है |