चंद्रयान 2 अभियान की पूरी जानकारी | All about Chandrayaan 2 Mission in Hindi
चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) मिशन को 18 सितंबर 2008 को मंजूरी मिली थी। करीब 8 साल बाद 2016 में इस मिशन के लिए टेस्ट को शुरू किया गया। ISRO ने इस साल मई में Chandrayaan 2 के लॉन्च के बारे में घोषणा किया था। इसके लिए 9 जुलाई से लेकर 16 जुलाई 2019 का टाइम लाइन तय किया गया था।
इस मिशन की खास बात यह है कि इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर (नाम विक्रम) और एक रोवर (नाम प्रज्ञान) होगा। इस मिशन का मुख्य उदेश्य चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंड करना और उसकी सतह का अध्ययन करना होगा। यह मिशन पहले के किए गए मून मिशन का अगला पड़ाव होगा।
चंद्रयान 2 का उद्देश्य:
- मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्त्वों का अध्ययन कर यह पता लगाना कि उसके चट्टान और मिट्टी किन तत्त्वों से बनी है।
- वहाँ मौजूद खाइयों और चोटियों की संरचना का अध्ययन।
- चंद्रमा की सतह का घनत्व और उसमें होने वाले परिवर्तन का अध्ययन।
- ध्रुवों के पास की तापीय गुणों, चंद्रमा के आयनोंस्फीयर में इलेक्ट्रानों की मात्रा का अध्ययन।
- चंद्रमा की सतह पर जल, हाइड्रॉक्सिल के निशान ढूंढने के अलावा चंद्रमा के सतह की 3D तस्वीरें लेना।
अभूतपूर्व क्यों है Chandrayaan 2 मिशन?:
- Chandrayaan 2 दुनिया का पहला ऐसा मिशन होगा जो चन्द्रमा के साउथ पोलर रीजन में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
- यही नहीं यह भारत का पहला ऐसा मिशन है जो पूरी तरीके से विकसित स्वदेशी तकनीक के साथ चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
- इस मिशन के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा जो चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
- एक्सपेरिमेंट की बात करें तो इसमें जिन पे-लोड के इस्तेमाल किए गए हैं वो चन्द्रमा की सतह पर ट्रोपोग्राफी, मिनरल आइडेंटिफिकेशन और इसके डिस्ट्रीब्यूशन के साथ मिट्टी की थर्मो-फिजिकर कैरेक्टर, सर्फेस केमिकल कम्पोजिशन और चन्द्रमा के वातावरण का अध्ययन करेंगे।
चंद्रयान 2 की लैंडिंग योजना:
- चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम की बात करें तो यह चन्द्रयान को चन्द्रमा की सतह पर 6 सितंबर तक सुरक्षित लैंड कराएगा।
- इस प्रोजेक्ट की लाइफ, मिशन कंपोनेंट्स ऑर्बिटर करीब 1 साल में फंक्शनल (सक्रिय) हो जाएगा।
- विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का मिशन एक ल्यूनर डे (14 दिन) में पूरा होगा।
- इसका ऑर्बिटर कुल 8 साइंटिफिक पेलोड ले गया है जो चांद की सतह का अध्ययन करेंगे। इसके अलावा ये ऑर्बिटर चन्द्रमा के वातावरण के बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे।
सबसे पावरफुल लॉन्चर GSLV Mk-III का प्रयोग:
- Chandrayaan 2 को भारत का सबसे पावरफुल लॉन्चर GSLV Mk-III यानि भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 की मदद से चन्द्रमा की ऑर्बिट में भेजा जाएगा।
- GSLV Mk-III लॉन्चर की क्षमता की बात करें तो यह 4 टन के सेटेलाइट्स को GTO (जियोसिन्क्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में भेज सकता है।
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इसके कॉम्पोनेन्ट्स की बात करें तो इसमें थ्री-स्टेज लॉन्चर दिए गए हैं जिसमें S200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर, L110 लिक्विड स्टेज और C25 अपर स्टेज शामिल हैं।
- इसके ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है जो 1000W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है।
- इसे एक 100×100 km के ल्यूनर पोलर ऑर्बिट में प्लेस किया गया है। विक्रम लैंडर का वजन 1,471 किलोग्राम है जो 650W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है।
- विक्रम साराभाई के नाम पर इसके लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है।
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6 पहिए वाले प्रज्ञान रोवर की बात करें तो इसका वजन 27 किलोग्राम है जो 50W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है। यह 500 मीटर तक ट्रैवल कर सकता है और फंक्शनिंग के लिए सोलर उर्जा पर निर्भर करता है।
चंद्रयान 2 के अहम पड़ाव:
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श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण किया जाएगा।
- इसरो के मुताबिक चंद्र अभियान के तीनों मॉड्यूल- ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान)- प्रक्षेपण के लिये तैयार किये जा रहे हैं
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लैंडर के सितंबर की शुरुआत में चंद्रमा की सतह को छूने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर छह सितंबर को उतरेगा। चंद्रमा के इस क्षेत्र में अब तक कोई नहीं पहुंचा है।
- इसरो ने बताया कि बारिश से प्रक्षेपण को किसी तरह के खतरे की आशंका को खारिज किया। इसका कोई प्रभाव नहीं होगा क्योंकि प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी मैक-3) बारिश में भी सुरक्षित रहता है।
- 8-चंद्रयान-2 को जीएसएलवी मैक-3 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा जिसे भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा “बाहुबली” कहा जाता है क्योंकि यह चार टन क्षमता तक के उपग्रह ले जाने की क्षमता रखता है।
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चंद्रयान-2 मिशन की कुल लागत एक हजार करोड़ रुपये है।