जैसे जैसे दुनिया के देश शक्तिशाली और परमाणु सम्पन्न होते जा रहे हैं, आमने सामने की लड़ाई की जगह पर परोक्ष / शीत युद्ध लड़ने की रणनीति ज्यादा कारगर होती जा रही है| शत्रु देश को अन्य तरीकों से घेरकर उनको ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुँचाने और आतंरिक समस्यनों में उलझाने की रणनीति अधिक प्रभावी अस्त्र के रूप में काम कर रही है|
आजादी के बाद से ही भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच दो मोर्चों पर युद्ध में उलझा रहा और बहुत जन बल का नुकसान हुआ| अब भारत के परमाणु सम्पन्न होने की स्थिति में चीन/ पाकिस्तान भी भारत से परोक्ष युद्ध ही लड़ना चाहेगा|
साइबर युद्ध क्या है?
आज की दुनिया में इन्टरनेट के कारण संसार के सभी मुख्य देशों के अधिकतर कार्य और सूचना संचार इन्टरनेट के माध्यमों पर हैं और धीरे धीरे हमने एक साइबर संसार का भी निर्माण कर लिया है| राडार, संचार, विमानन, सूचना विश्लेषण के साथ अन्य सभी कार्य साइबर तकनीकि के हैं|
यदि कोई देश अपने शत्रु देश की संचार व्यवस्था को तोड़ दे, राडार प्रणाली को बिगाड़ दे तो उस देश की मोबाइल नेटवर्क, सारे एअरपोर्ट के काम या अन्य सामाजिक कार्य नही फंस जायेंगे और उस देश के प्रसाशन के लिए बाहरी युद्ध के साथ आतंरिक सामाजिक समस्याएं भी खड़ी हो जाएँगी| इससे शत्रु देश पर एक मनोवैज्ञानिक विजय हासिल करने में मदद मिलती है और कोई भी देश इस हथियार से स्वयं को निर्णायक विजय दिला सकता है|
साइबर कमांड क्या होता है?
साइबर कमांड, सेना की एक समर्पित और समेकित इकाई, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सरकार और सैन्य आईटी संपत्तियों की सुरक्षा, अखंडता, गोपनीयता और प्रशासन सुनिश्चित करना है और कड़े सरकारी सूचना सुरक्षा नीतियों का विश्लेषण, निर्माण और कार्यान्वयन के साथ-साथ सतत निगरानी और रखरखाव करना है।
साइबर कमांड की प्रमुख जिम्मेदारियां कंप्यूटिंग नेटवर्क संचालन की योजना, समन्वय, सिंक्रनाइज़ेशन और संचालन है। इसके अलावा, साइबर कमांड आने वाले साइबर हमले के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर साइबरस्पेस ऑपरेशन करने में सक्षम होता है।
साइबर कमांड युद्ध या शांति के समय में हर तरह के देश विरोधी साइबर गतिविधियों को पहचानने, उनसे बचने और उनको नाकाम करने के साथ ही त्वरित कार्यवाही करने हेतु होती है|
साइबर कमांड की जरुरत क्यों थी?
कल्पना कीजिये की युद्ध के हालत में, देश के भीतर Rupay Card, बैंक सर्वर, इन्टरनेट संचार, राडार तंत्र अथवा उपग्रह संचार को बाधित करने वाले जबरदस्त साइबर अटैक हों और भारत बाहरी लड़ाई के साथ देश के भीतर की समस्याओं में उलझ जाए तो कितनी बड़ी समस्या खड़ी होगी? देश के भीतर सारे बैंक और Transaction रुक जायेंगे और इसका सीधा असर हमारे व्यापर पर और शेयर बाजार पर पड़ेगा| निवेशक अपना पैसा निकल लेंगे और भारत को युद्ध के साथ ही व्यापार में भी जबरदस्त नुकसान होगा|
युद्ध के समय यदि हमारा राडार तंत्र साइबर हमले से नाकाम हो जाए तो हमारी पूरी वायु सेना का काम ठप हो जायेगा | उपग्रह संचार पर साइबर अटैक से गाइडेड मिसाइल के प्रयोग बेकार हो जायेंगे|
लम्बे समय से खुफिया रिपोर्ट्स आ रही थीं कि भारत के प्रमुख प्रतिष्ठान और अहम विभाग चीन और पाकिस्तान के साइबर हमलों की जद में हैं| ये हमला भारत की अहम जानकारियों को तो लीक कर ही सकता है और भारत के तमाम विभागों के जरूरी कामकाज भी बाधित कर सकता है|
यानि युद्ध केवल सीमा पर ही नहीं बल्कि देश के भीतर आम जन मानस के विरुद्ध भी होगा और इस तरह इतने बड़े देश में आम आदमी की परेशानियों के कारण भारत को घुटने टेकने पड़ेंगे|
चीन के पास है दुनिया का सबसे खतरनाक साइबर कमांड:
यहां ध्यान रखना चाहिए कि हमारे असली दुश्मन चीन ने अपनी सेना के पांच कमांड बनाए हुए हैं|
ये पांच कमांड हैं – जमीनी कमांड, नेवी, एयरफोर्स, स्पेस कमांड और साइबर वारफेयर कमांड|
ये सभी कमांड भरपूर ताकत रखती हैं| कहा जाता है कि मौजूदा समय में चीन की साइबर कमांड दुनिया की सबसे दमदार साइबर वारफेयर कमांड है| अगर वो कभी किसी देश पर सीधा अटैक कर दे तो ये वाकई बहुत मारक होगा|
भारतीय सेना का साइबर कमांड:
भारत ने अपना साइबर कमांड तैयार कर लिया है जो ना केवल बाहर से होने वाले तगड़े साइबर अटैक से बचाएगा बल्कि पलटकर मुंहतोड़ जवाब भी देगा|
अब तक आपने सुना होगा कि भारतीय सेना के तीनों अंग अलग-अलग अपना सालाना युद्धाभ्यास करते थे पर अब एक नए तरह की साइबर वारफेयर प्रैक्टिस होने वाली है, जिसे नाम दिया गया है साइबेरेक्स|
पिछले साल शुरू हुई सेना में साइबर कमांड की तैयारियां:
नरेन्द्र मोदी सरकार के आने के बाद ही भारत सरकार की पहल पर कई विभागों ने सेना के साथ मिलकर साइबर वारफेयर कमांड बनाने की तैयारियां शुरू कर दीं| इसके तहत देश के बड़े आईटी संस्थानों के एक हजार से ज्यादा विशेषज्ञ सेना के तीनों अंगों में भेजे गए, ताकि साइबर कमांड तैयार किया जा सके|
साइबर कमांड के मुख्य घटक:
वो बड़े संस्थान जिन्होंने सेना के साथ मिलकर इसमें भूमिका निभाई, उसमें रॉ (RAW) के तहत काम करने वाला नेशनल टैक्निकल रिसर्च आर्गनाइजेशन, डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी, नेशनल क्रिटिकल इनफार्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर, इंडियन कम्प्यूटर इमर्जेंसी रिसर्च टीम शामिल हैं|
ये सभी टीमें भारत सरकार के किसी ना किसी विभाग के साथ मिलकर काम करती हैं और आईटी से लेकर साइबर अटैक मामलों की जानकार मानी जाती हैं|
साइबेरेक्स में शामिल होंगे सेना के तीनों अंग और कई विभाग:
सेना के साइबर युद्धाभ्यास को साइबेरेक्स नाम दिया गया है| इसमें सेना के तीनों हिस्सा लेंगे ही और साथ ही कई और बड़े संस्थान भी साथ होंगे, जिसमें नेशऩल सिक्योरिटी कौंसिल सेक्रेटिएट (NSCS), नेशनल टैक्निकल रिसर्च आर्गनाइजेशन (NTRO) , डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन (DRDO), इंडियन कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम, एनआईसी और कंप्यूटर सिक्योरिटी रिसर्च सेंटर (CSRC) शामिल रहेंगे|
साइबर युद्धाभ्यास कैसे होता है:
साइबेरेक्स के दो दिन के युद्धाभ्यास में, साइबर हमले भी होंगे उनका काउंटर भी होगा और तमाम तरीकों का इस्तेमाल भी होगा|
भारत चाहता है कि वो चीन की टक्कर की साइबर कमांड अपनी सेना के तीनों अंगों के जरिए खड़ा करे, जो भविष्य मजबूत ताकत बने|
क्योंकि अब हर कोई मानने लगा है कि आने वाले समय युद्ध जमीन और हवा में नहीं बल्कि साइबर और स्पेस में लड़े जाएंगे, जिसके जरिए किसी देश को पंगु बनाया जा सकेगा|