स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना विस्तार से
All about Smart Ganga City Project in Hindi
गंगा में आने वाले समय में प्रयोग करने लायक पानी की उपलब्धता को लेकर बहस चल रही है। ऐसे में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की उपयोगिता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। हमारे घरों और बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी गंगा में मिलने से ही गंगा प्रदूषित है। यह पानी हमारे घरों और फैक्ट्रियों से बहकर किसी गंगा में पहुंचता है और उनको दूषित कर देता है।
इसको रोकने और दूषित जल को पुन: प्रयोग में लाने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर इसका प्रयोग कर गंगा को स्वच्छ रखने, भूगर्भ जल दोहन रोकने और पेय जलापूर्ति को सुनिश्चित करने के तीन लक्ष्यों को एक साथ साधने का प्रयास मोदी सरकार द्वारा किया गया है।
स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना क्या है?
नमामि गंगा अभियान के तहत वाराणसी सहित 10 शहरों को स्मार्ट गंगा सिटी बनाने की योजना है। लक्ष्य है कि इन सभी शहरों में गंगा में गिरने वाले सीवर व अन्य प्रदूषित जल को रोका जाए। सीवर का पानी गंगा में न जाए इसके लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP, एसटीपी) के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडु ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए देश के 10 प्रमुख शहरों में स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना की शुरूआत किया। ये शहर गंगा के किनारे उत्तराखंड से पश्चिम बंगाल तक क्रमशः हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा-वृंदावन, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, पटना, साहिबगंज और बैरकपुर हैं।
मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के तहत प्रदूषण के उन्मूलन हेतु 2,525 किमी के दायरे में 97 नए सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये मंजूरी दे दी है।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) क्या होता है?
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) दूषित जल उपचार संयंत्र होता है जो मल मूत्र या किसी भी गन्दगी वाले पानी को कई चरणों में साफ़ कर घर में उपयोग हेतु बना देता है। इससे भूगर्भ जल के दोहन पर भी रोक लगती है।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में गंदे पानी और घर में प्रयोग किये गये जल के दूषणकारी अवयवों को विशेष विधि से साफ किया जाता है। इसको साफ करने के लिए भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि का प्रयोग किया जाता है।
इसके माध्यम से दूषित पानी को दोबारा प्रयोग में लाने लायक बनाया जाता है और इससे निकलने वाली गंदगी का इस प्रकार शोधन किया जाता है कि उसका उपयोग वातावरण के सहायक के रूप में किया जा सके ।
स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण:
स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण पीपीपी मॉडल पर कराया जाएगा। लक्ष्य है कि इन सभी शहरों में गंगा में गिरने वाले सीवर व अन्य प्रदूषित जल को रोका जाए। सीवर का पानी गंगा में न जाए इसके लिए एसटीपी के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने सीवेज उपचार के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए हाइब्रिड एन्यूटी आधारित सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर कार्य हेतु प्रथम चरण में इन शहरों का चयन किया है।
स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना अन्य बिंदु:
- पहले इस काम का खर्चा केंद्र और राज्य सरकार 70:30 के अनुपात में उठाते थे, लेकिन इस बार इस पूरे कार्यक्रम का सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।
- कार्यक्रम के सुचारू कार्यान्वयन पर नजर रखने के लिए जिला स्तर पर भी निगरानी समितियों का गठन किया जाएगा।
- देश की कई बड़ी कंपनियों के अलावा कई विदेशी कंपनियों ने भी हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल पर काम करने की इच्छा जताई है।
- पहले चरण में 10 शहरों को शामिल किया गया है, लेकिन धीरे-धीरे इसमें अन्य शहरों को भी शामिल किया जाएगा। अगले दो महीनों में कुछ अन्य शहरों में भी यह कार्यक्रम शुरू करने की योजना है।
- इन 10 शहरों में यह कार्यक्रम करते समय इन शहरों की नदियों की जैव विविधता और उससे जुड़ी सांस्कृतिक विरासत का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना लक्ष्य:
गंगा में गिरने वाले 7300 MLD (millions of liter per day) अपशिष्ट में से 4200 MLD (millions of liter per day) के STP से उपचारित करने के बारे में कार्रवाई शुरू हो गई है, शेष 3100 MLD के बारे में सर्वेक्षण का काम चल रहा है, जिसे अगले 10 महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।