भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े की पूरी जानकारी
Information about Indian Navy Flotilla
जिस प्रकार जमीन पर लड़ने वाली सेनाओं में प्राचीन काल में पैदल सेना, अश्व सेना, गज सेना और रथ सेना तथा आधुनिक काल के युद्ध में पैदल सेना, टैंक, तोपखाने मिलाकर एक पूर्ण सेना का निर्माण करते हैं और सामरिक रूप से एक दूसरे का सहयोग करते हुए किसी भी युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाते हैं इसी प्रकार नौसेना में भी कई प्रकार के सेनांग मिलकर एक संपूर्ण बेड़ा या फ्लीट बनाते हैं |
इसमें कई प्रकार की जहाजों को उनके उपयोगिता के आधार पर बेड़े में शामिल किया जाता है जिससे की युद्ध में विजयश्री हासिल किया जा सके|
भारतीय नौसेना के युद्धपोत:
भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत | Air Craft Carrier Ship:
विमान वाहक पोत वह दैत्याकार शिप हैं जो असीम समुद्र के मध्य तमाम छोटे और तेजी से आक्रमण करने वाले लाईट मशीन गन स्पीड बोट, युद्धक वायुयान, हेलिकॉप्टर, उनके ईधन, मिसाइलों, गोला बारूदों के स्टेशन के रूप में काम आता है | इसके उन्नत राडार तकनीकियों से समुद्र में शत्रु की किसी भी नापाक हरकत को पकड़ कर उसके प्रत्युत्तर के लिए हर संभव एक्शन लिया जा सकता है |
- विक्रमादित्य
- विराट
- विक्रांत
भारतीय नौसेना के विध्वंसक | Destroyers:
नौसैनिक शब्दावली में, एक विध्वंसक या Destroyer नौसेना के काफिले (flotilla) में, एक तेज़, फुर्तीला, टैक्टिकल, लंबी दूरी तक संचालित हो सकने वाला युद्धपोत होता है | किसी बेड़े या युद्ध समूह में बड़े जहाजों की रक्षा करने और छोटे, लघु-सीमा वाले हमलावरों के खिलाफ बचाव करने के लिए होता है। यह बेड़े में एक व्यूह कि रचना कर उसे हर प्रकार के जल, नभ शत्रु आक्रमण से बचाते हुए आगे बढ़ते हैं|
विध्वंसक शिप के आकार में तेजी से वृद्धि हुई है जो 5,000 से 10,000 टन तक पहुच गई है | आम तौर पर एक विध्वंसक जहाज़ उसे माना जाता है जिसमें सभी सेंसर (एक परिष्कृत रडार, स्टेल्थ तकनीकि), युद्ध प्रणाली और उन्नत हथियार हों और अति उच्च खतरे वाले स्थिति में मोर्चा सम्हालने में सक्षम हो।
भारतीय नौसेना में वर्तमान में सेवारत विध्वंशक;
- दिल्ली श्रेणी
- राजपूत श्रेणी
- कोलकाता श्रेणी
भारतीय नौसेना के फ्रिगेट्स:
एक फ्रिगेट एक मध्यम आकार की (2,000 और 5,000 टन के बीच) बैटल शिप है जो कि एंटी सबमरीन वारफेयर और एंटी एयर वारफेयर में एक विशिष्ट भूमिका के लिए उपयुक्त होती है| इसमें Destroyers की तुलना में कम क्षमताएं होती हैं | फ्रिगेट एक विध्वंसक की तुलना में कम सक्षम हो सकता है, लेकिन यह एक कवचयुक्त परिष्कृत तकनिकी है |
एक फ्रिगेट आमतौर पर सबसे छोटी लड़ाकू शिप होती है जो एक उच्च खतरे वाले वातावरण में समुद्र के असीम नीले पानी के मिशन का संचालन करता है।
- शिवालिक श्रेणी – शिवालिक , सतपुड़ा, सहयाद्रि
- तलवार श्रेणी – तलवार, त्रिशूल, तबर, तेग, तरकश, त्रिकंड
- ब्रह्मपुत्र श्रेणी, – ब्रह्मपुत्र, ब्यास, बेतवा
- गोदावरी श्रेणी, – गोदावरी, गोमती, गंगा
भारतीय नौसेना के कॉर्वेट्स | Corvettes:
कार्वेट द्रुतगामी (लगभग 25 नाटिकल मील या अधिक स्पीड), सशस्त्र जहाज होते हैं जिनकी जल विस्थापन क्षमता 700 से 2000 टन के बीच होती है। एक कार्वेट आम तौर पर सुदूर महासागरीय युद्ध परिचालन के लिए नहीं होता है, और यह तटीय परिचालनों के लिए सर्वोत्तम और अनुकूल है।
कार्वेट आमतौर पर सबसे छोटे प्लेटफार्म हैं जो एक मध्यम खतरे वाले वातावरण में संचालित करने के लिए आवश्यक सेंसर, हथियार और युद्ध प्रणाली को समायोजित करने में सक्षम हैं। कार्वेटों को कभी-कभी हल्के फ्रिगेट्स भी कहा जाता है।
यह माना जा सकता है कि एक कार्वेट और एक अपतटीय गश्ती पोत के डिजाइन बहुत समान हैं। अंतर केवल प्रणोदन और आउटफिटिंग में होगा। कार्वेटों में उच्च गति होगी और इसलिए ओपीवी की तुलना में कम रेंज, बहुत अधिक शस्त्र, और लिविंग स्पेस भी कम होगी।
- कोरा श्रेणी – कोरा, किर्च, कुलिश, कर्मुक
- खुकरी श्रेणी – किरपाण, कुठार, खंजर, खुकरी
- वीर श्रेणी – वीर, निर्भीक, निपट, निःशंक, निर्घट, विभूति, विपुल, विनाश, विद्युत, नाशक, प्रलय, प्रबल,
- अभय श्रेणी – अभय, अजय, अक्षय, अग्रय,
- परियोजना 28 कामोर्ता श्रेणी
भारतीय नौसेना की पनडुब्बियाँ:
पनडुब्बियों का उपयोग समुद्र के भीतर ही गुप्त परिवहन के लिये, युद्ध सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता था। साथ ही अब इसे हमलावर भी बना दिया गया है |
- सिंधुघोष श्रेणी – सिंधुघोष, सिंधुध्वज, सिंधुराज, सिंधुवीर, सिंधुरत्न, सिंधुकेसरी, सिंधुकीर्ति, सिंधुविजय, सिंधुरक्षक, सिंधुराष्ट्र
- शिशुमार श्रेणी – शिशुमार, शंकुश, शल्कि, शंकुल
- स्कोर्पीन श्रेणी
भारतीय नौसेना की परमाणु पनडुब्बियाँ:
परमाणु क्षमता से चालित पनडुब्बियों को परमाणु पनडुब्बियाँ;
- अकुला श्रेणी – चक्र
- अरिहन्त
- आधुनिक तकनीक पोत (ए टी वी)
भारतीय नौसेना के उभयचर युद्ध पोत:
इनका उपयोग भारतीय नौसेना में उभयचर अर्थात युद्द व शांति दोनो में होता है | खोजी अभियानों, खाद्य व रसद आपूर्ति के साथ हिन्द महासागर में समुद्री लुटेरों से रक्षा में भी;
- ऑस्टिन श्रेणी- INS जलाश्व
- शार्दूल श्रेणी – शार्दूल, केसरी
- मगर श्रेणी – मगर, घड़ियाल, ऐरावत
- कुम्भीर श्रेणी – चीता, महिष, गुलदार, कुम्भीर
- निकोबार श्रेणी
- एलसीयू- एलसीयू 33, एलसीयू 35, एलसीयू 36, एलसीयू 37, एलसीयू 38, एलसीयू 39
भारतीय नौसेना के गश्त यान/छोटे युद्धक जहाज:
भारत के एक विशाल जल क्षेत्र के साथ तटीय सुरक्षा और आतंकवाद के खतरे का साया हमेशा रहता है | भारतीय जलक्षेत्र संसार का सबसे व्यस्त जल क्षेत्र है क्यों की संसार के 70% व्यापारिक जहाजों के गुजरने के साथ ही इस क्षेत्र में सुरक्षा को सुनिश्चित करना एक चुनौती है |
- सुकन्या श्रेणी – सुकन्या, सुभद्रा, सुवर्णा, सावित्री, शारदा, सुजाता, सरयू, सुनयना, सुमेधा
- बंगरम श्रेणी – बंगरम, बित्र, बट्टी मल्व, बरतंग
- त्रिंकट श्रेणी – त्रिंकट, तरस
- सुपर द्वोरा-II श्रेणी त्वरित आक्रमण यान (फास्ट अटैक क्राफ्ट) – एफएसी टी-80, टी-81, टी-82, टी-83, टी-84
- कार निकोबार श्रेणी’ त्वरित आक्रमण यान (फास्ट अटैक क्राफ्ट)
- सर्वेक्षण पोत- मकर श्रेणी, संधयक श्रेणी- निरूपक, इन्वेस्टीगेटर, जमुना, सतलज, संधयक, निर्देशक, दर्शक, सर्वेक्षक
भारतीय नौसेना के माईनस्वीपर:
समुद्र के भीतर बारूदी सुरंगों को पता लगाना और उनको निष्क्रिय करना तथा बेड़े को आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करना माईनस्वीपर कहलाता है |
- पॉण्डिचेरी श्रेणी – अलेप्पी
- कारवाड़ श्रेणी – कारवाड़, कण्णनौर, कुड्डलौर, काकीनाड़ा, कोझिक्कोड़, कोंकण
- आईएनएस माहे
भारतीय नौसेना के सहायक पोत:
सहायक पोत में टैंकर शिप, रिकवरी जहाजें और निरिक्षण वाली जहाजें शामिल होती हैं|
- टैंकर- दीपक, ज्योति, आदित्य
- तारपीडो रिकवरी पोत- अस्त्रवाहिनी (टीआरवी 71), टीआरवी 72
- अन्य- मातंग, गज, निरीक्षक
भारतीय नौसेना के ट्रेनिंग/शोध पोत:
यह पोत नौसेना के नए कैडेटों, नाविकों और सैनिकों की ट्रेनिंग और शोध कार्यों को समर्पित है |
- तीर,
- तरंगिणी,
- सुदर्शिनी,
- सागरध्वनि