महान सम्राट अशोक के सर्वश्रेष्ठ कथन | Ashoka The Great Quotes in Hindi

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महान सम्राट अशोक के सर्वश्रेष्ठ कथन 
Ashoka The Great Quotes in Hindi

नाम: देवानांप्रिय अशोक मौर्या (Ashoka Maurya)

जन्म: 304 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र, पटना

राजकाल: 269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व

मृत्यु: 232 ईसा पूर्व (72) पाटलिपुत्र, पटना

वंश: मौर्य

सम्राट अशोक के पिता का नाम: बिन्दुसार मौर्या

सम्राट अशोक की माँ का नाम: सुभद्रांगी (रानी धर्मा) 

पत्नी: देवी कारुवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता

उत्तराधिकारी: दशरथ मौर्य

“सबसे महान जीत प्रेम की होती है यह हमेशा के लिए दिल जीत लेती है|”

अन्य सम्प्रदायों की निंदा करना निषेध है; सच्चा आस्तिक उन सम्प्रदायों में जो कुछ भी सम्मान देने योग्य है उसे सम्मान देता है।

सफल राजा वही होता हैं, जिसे पता होता हैं कि जनता को किस चीज की जरूरत हैं|

सभी इन्सान मेरे बच्चे हैं। जो मैं अपने बच्चों के लिए चाहता हूँ, मैं इस दुनिया में और इसके बाद भी उनका भला और ख़ुशी चाहता हूँ, वहीँ मैं हर इंसान के लिए चाहता हूँ। आप नहीं समझते हैं कि किस हद तक मैं ऐसा चाहता हूँ, और अगर कुछ लोग समझते हैं, तो वे ये नहीं समझते कि मेरी इस इच्छा की पूरी हद क्या है।

कोई भी व्यक्ति जो चाहे प्राप्त कर सकता हैं, बस उसे उसकी उचित कीमत चुकानी होगी|

मैंने कुछ जानवरों और कई अन्य प्राणियों को मारने के खिलाफ कानून लागू किया है, लेकिन लोगों के बीच धर्म की सबसे बड़ी प्रगति जीवित प्राणियों को चोट न पहुंचाने और उन्हें मारने से बचने का उपदेश देने से आती है।

एक राजा से ही उसकी प्रजा की पहचान होती है|

हर धर्म में प्रेम, करुणा, और भलाई का पोषक कोर है। बाहरी खोल में अंतर है, लेकिन भीतरी सार को महत्त्व दीजिये और कोई विवाद नहीं होगा। किसी चीज को दोष मत दीजिये, हर धर्म के सार को महत्त्व दीजिये और तब वास्तविक शांति और सद्भाव आएगा।

जानवरों व अन्य प्राणियों को मारने वालो के लिए किसी भी धर्म में कोई जगह नहीं है|

विभिन्न कारणों से अन्य धर्मों का सम्मान करना चाहिए। ऐसा करने से आप अपने धर्म को विकसित करने में मदद करते हैं और दुसरे धर्मों को भी सेवा प्रदान करते हैं।

किसी को सिर्फ अपने धर्म का सम्मान और दूसरों के धर्म की निंदा नहीं करनी चाहिए।

वह जो अपने सम्प्रदाय की महिमा बढाने के इरादे से उसका आदर करता है और दूसरों के संप्रदाय को नीचा दिखाता है, ऐसे कृत्यों से वह अपने ही सम्प्रदाय को गंभीर चोट पहुंचता है।

चलिए हम सब सुनते हैं, और दूसरों के द्वारा बताये गए सिद्धांतों को सुनने के लिए तैयार रहते हैं।

माता-पिता का सम्मान किया जाना चाहिए और बड़ों का भी, जीवित प्राणियों के प्रति दयालुता को मजबूत किया जाना चाहिए और सत्य बोला जाना चाहिए।

जितना कठिन संघर्ष करोगे, आपके जीत कि ख़ुशी भी उतनी ही बढ़ जयेगी|

तीन कार्य जो हमें सदा स्वर्ग की ओर ले जाते हैं, ” माता-पिता का सम्मान, सभी जीवो पर दया, और सत्य वचन ”

“अपने धर्म की प्रगति इसी में हैं कि हम अन्य धर्म का भी सम्मान करे|”

                                                                                                                                                                 Ashoka अशोक

 


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Shweta Pratap

I am a defense geek

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