भारतीय सेना के मालवाहक विमान:
मित्रो नेपाल भूकंप के दौरान हो या यमन से भारतीय नगरिकोँ को सुरक्षित निकालने की घटना हो इन दिनोँ मेँ हम ग्लोबमास्टर (Boeing C-17 Globemaster) ओर हरक्यूलिस (Lockheed Martin C-130J Super Hercules) विमानोँ का नाम सुनते हैं | वास्तव मेँ यह विमान क्या होते हैं ?ओर किस लिए प्रयोग किए जाते हे ?? आइए जानते हैं ।
ग्लोबमास्टर और हरक्यूलिस विमान में सैद्धांतिक अन्तर:
यदि लॉजिस्टिक्स के लिहाज से देखा जाए तो विमानोँ को हम दो भागोँ मेँ बांट सकते हे एक बह विमान जो स्ट्रेटजिक एअर लिफ्टिंग करते हैं ओर दूसरे विमान होती हे जो टेक्टिकल एयर लिफ्टिंग करते हैं ।
स्ट्रेटेजिक एयर लिफ्ट:
स्ट्रेटेजिक एयर लिफ्ट की आवश्यकता सामानोँ के आवागमन, हथियारोँ को बहुत अधिक दूर तक ले जाने के लिए होता है । इन की क्षमता इतनी होती हे कि हम धरती के एक ओर से दूसरे ओर तक भी आवागमन कर सकते हैं । टेक्टिकल एयर लिफ्टिंग एयरक्राफ्ट जहाज वह है जो द्रुत (quick) कार्य कर पाने मेँ सक्षम होती है ।इनका मुख्य गुण है कम जगह में भी landing और take off सकते हैं तथा किसी भी जगह अधिक तीव्रता ओर फुर्ती से कार्य करती हे इस प्रकार की जहाज को टर्बो प्रोपेलशन एयरक्राफ्ट भी कहते है ।
C-17 ग्लोबमास्टर vs C-130J हरक्यूलिस:
- हरक्यूलिस विमान 4 इंजन वाले टर्बो प्रोपल्शन तकनीकी के जहाज होते हैं जो 20 टन तक भार को लेकर उडते है और टैक्टिकल एयरक्राफ्ट की श्रेणी मेँ आते हैं । ग्लोबमास्टर विमान की क्षमता 75 टन होती है और यह स्ट्रेटेजिक एयर लिफ्टिग विमानोँ की श्रेणी मेँ आते हैं ।
- हरक्यूलिस विमानोँ की उडा़न क्षमता 3500 किलोमीटर है जबकि ग्लोबमास्टर विमान एक उडा़न मेँ साढे चार हजार (4500) किलोमीटर तक जा सकता है ।
- हरक्यूलिस विमान की स्पीड 540 किलोमीटर प्रतिघंटा होती हे जबकी ग्लोबमास्टर विमान की स्पीड 850 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है ।
- हरक्यूलिस विमानोँ का निर्माण लाकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) के द्वारा किया गया हे जबकि ग्लोब मास्टर विमानोँ का निर्माण mcDonnell डगलस (McDonnell Douglas) + Boeing के द्वारा हुआ है ।
- लगभग समान से दिखने वाले इन विमानों में थोडा अंतर करेँ तो आसानी से पहचाना जा सकता हे क्यूंकि हरक्यूलिस विमानोँ का अग्रभाग डालफिन की शक्ल का होता है जबकि ग्लोबमास्टर विमानोँ का अग्रभाग ब्लू व्हेल से मिलता जुलता है ।
संसार के 4 देशों में एक:
भारत की सेना संसार की उन चार मुख्य सेनाओं मेँ से एक है जिसने ग्लोबमास्टर विमानोँ का प्रयोग सर्वप्रथम किया था इसमेँ अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के साथ चौथा नाम भारत का है ।
आपको याद होगा कि पिछले साल भारत ने संसार के सबसे ऊंचाई पर बने अपने एयरपोर्ट “दौलत बेग ओल्डी” पर चीन के विरूद्ध शक्ति प्रदर्शन के तहत अपने हरक्यूलिस विमान को उतारा था ।
218 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि 14 अरब रूपये वाले यह ग्लोबमास्टर विमान 80 टन वजन के साथ 150 आर्मी के सशस्त्र जवानोँ को किसी भी जगह तत्काल ड्राप कर सकते हैं । एक साधारण युद्धक जेट की तुलना मेँ ग्लोबमास्टर 700 गुना ज्यादा मंहगा है । भारत के अत्यंत दुर्गम क्षेत्रोँ मेँ भी युद्धक टैंक ले जाने की क्षमता रखने वाले ग्लोबमास्टर विमान वास्तव मेँ भारतीय सेना की रीढ बन चुके हैं ।
ग्लोबमास्टर विमानोँ का बेस:
10 ग्लोबमास्टर विमानोँ की भारतीय सेना मेँ सम्मिलित होने की घटना ने चीन और पाकिस्तान दोनोँ को सदमे मेँ डाल दिया है । और भारतीय सेना ने ग्लोबमास्टर विमानोँ का बेस उत्तर प्रदेश गाजियाबाद के हिंडन वायु सेना स्टेशन को बनाया है ।
उल्लेखनीय है कि भारत मेँ 2010 मेँ बोइंग से ग्लोबमास्टर विमानोँ को खरीदा था ओर विमानोँ की ओर आपूर्ति के लिए बात हुई है। यमन मे हुए आपरेशन राहत मे इन विमानोँ का उल्लेखनीय योगदान रहा जिसमें 4500 भारतीय एवम 41 अन्य देशों के एक हजार विदेशी नागरिकोँ को सफलतापूर्वक यमन से भारत लाया गया ।