दिक्कालाद्यनवच्छिन्नानन्तचिन्मात्रमूर्तये ।
स्वानुभूत्येकमानाय नम: शान्ताय तेजसे ।। 1 ।।
dikkālādyanavacchinnānantacinmātramūrtaye ।
svānubhūtyekamānāya nama: śāntāya tejase ।। 1 ।।
तेजरूप परब्रह्म को नमस्कार हेतु श्लोक
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अर्थ:
दशों दिशाओं और तीनो कालों से परिपूर्ण, अनंत और चैतन्य-स्वरुप अपने ही अनुभव से प्रत्यक्ष होने योग्य, शान्त और तेजरूप परब्रह्म को नमस्कार है ।
My salutation to the peaceful light, whose form is only pure intelligence unlimited and unconditioned by space, time, and the principal means of knowing which is self-perception.