फेसबुक के द्वारा राष्ट्रवादियों की अभिव्यक्ति का अन्यायपूर्ण दमन
फेसबुक के द्वारा वर्तमान में कई ऐसे बदलाव किए गए जो उसके लाभ कमाने की मंशा हेतु किए जा रहे हैं। साथ ही कुछ अन्यायपूर्ण कार्य भी किए जा रहे हैं जैसे लोगों के अकाउंट की रीच को शून्य करना। मेरे तथा एक मेरे मित्र जिस पर लोग ज्यादा इंगेज करते हैं लाइक और कमेंट का ऑप्शन ही हटा दिया है फेसबुक ने। इसका सीधा सा अर्थ है फेसबुक जानबूझकर आपको एक औसत यूज़र इंगेजमेंट पर ही बनाए रखना चाहता है।
फीड में दिखाना बहुत कम कर दिया है:
कुछ लोगों को फेसबुक के द्वारा उनके फॉलोअर्स कम करने की शिकायत करते बीते दिनों देखा गया। फेसबुक ने अपने लाभ को बढ़ाने के लिए तथा वीडियो कंटेंट पर यूजर इंगेजमेंट अधिक करने के लिए फेसबुक अकाउंट के द्वारा किए जाने वाले पोस्ट को लोगों की फीड में दिखाना बहुत कम कर दिया है। आपको अपने फीड में केवल उन्हीं के पोस्ट दिखेंगे जिनके साथ आप ज्यादा इंगेजमेंट रखते हैं। साथ ही फेसबुक अपने स्पॉन्सर्ड पेज तथा वीडियो कंटेंट को लोगों को दिखा रहा है जिससे उसको अधिक लाभ मिले। यदि आप किसी वेबसाइट का लिंक फेसबुक पर पोस्ट करेंगे तो आप देखेंगे कि उसकी रीच शून्य कर दी जाती है।
राष्ट्रवादी विषयों को बलपूर्वक दबाया जा रहा:
फेसबुक को भारत में पता है कि राष्ट्रवादी कंटेंट पर ज्यादा यूज़र इंगेजमेंट है यही कारण है कि राष्ट्रवादी विषयों पर लिखने वाले लोगों को बलपूर्वक दबाया जा रहा है। आप ऐसे पोस्ट देखते होंगे जिसमें लाइक या कमेंट का ऑप्शन नहीं दिखाया जाता है। फेसबुक ऐसा करके अपने लाइक और कमेंट की पद्धति को केवल स्पॉन्सर्ड माध्यमों में अधिक दिखाना चाहता है।
यदि आप हिंदू धर्म राष्ट्रवाद पर लिखते हैं साथ ही इस्लाम या ईसाइयत के विरोध में लिखते हैं तो आपकी रीच को फेसबुक द्वारा लगभग शून्य कर दिया जाता है। फेसबुक इस्लामि या ईसाई विरोधी कंटेंट के यूजर इंगेजमेंट को घटाना चाहता है इसलिए जानबूझकर ऐसा किया जाता है।
फेसबुक चाहता है कि उसके विजिटर व्यावसायिक गतिविधियों पर इंगेज करें ना कि ऐसे राष्ट्रवादी कंटेंट पर जिससे फेसबुक को कोई लाभ नहीं होता साथ ही उसे ईसाई एवं इस्लामिक देशों की नाराजगी झेलनी पड़ती है जिससे उसके निवेश पर असर पड़ता है।
फेसबुक पर न्यू*ड तथा सेमी न्यू*ड कंटेंट की बाढ़:
आपको लाइक कमेंट या शेयर तभी मिलेगा जब हां फेसबुक पेज के माध्यम से पेड कंटेंट प्रमोट करेंगे। फेसबुक पर न्यू*ड तथा सेमी न्यू*ड कंटेंट की बाढ़ आई है जो एफिलिएट मार्केटिंग से लाभ कमाने हेतु है। साथ ही फेसबुक जानता है कि भारत के लोग या राष्ट्रवादी कंटेंट पढ़ते हैं या फिर गंदी चीजें देखते हैं। इसलिए उसने गंदी चीजें से कमाना प्रारंभ कर दिया है क्योंकि राष्ट्रवादी कंटेंट में उसका कोई लाभ नहीं है।
मेटा वर्ष के लांच करने के बाद फेसबुक लगातार नुकसान झेल रहा है और इसकी भरपाई के लिए उसे अब किसी भी कीमत पर लाभ कमाना ही है इसलिए अब फेसबुक कंटेंट मोनेटाइजेशन भी कर रहा है जिससे वेबसाइट की ट्रैफिक को फेसबुक पर लाया जा सके।