2018 में मोदी के Prime Minister Science, Technology & Innovation Advisory Council में दुनिया के उत्कृष्ट गणितज्ञ और गणित का नोबेल माना जाने वाला फ़ील्ड मैडल पाने वाले प्रिन्सटन के प्रोफेसर पद्म भूषण श्री मंजुल भार्गव भी होंगे जो हमारे प्रधानमंत्री के आग्रह पर इस टीम का हिस्सा बंनेंगे|
आइये जानते हैं मंजुल भार्गव के बारे में;
देशद्रोही और कम्युनिस्ट बनने वालों को सनातन धर्म का “प्रत्युत्तर” हैं मंजुल:
एक धर्मनिष्ठ हिन्दू “मंजुल भार्गव” को 2014 में गणित के विश्व का सबसे प्रतिष्ठित एवं नोबल पुरस्कार के समकक्ष पुरस्कार फील्ड मेडल दिया गया है जो अपने आप में एक बहुत बड़े गर्व की बात है और मंजुल भार्गव उन सभी के लिए एक उदाहरण हैं जो संस्कृति और शिक्षा को परस्पर विरोधाभाषी मानते हैं |
भार्गव जी को उनकी प्रतिभा के कारण मोदी सरकार ने 2015 में पद्म भूषण से भी नवाजा |
मंजुल भार्गव जी को मै तब जाना जब उन्हें रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और वास्तव में इतने कम समय में उन्होंने गणित में जो योगदान दिया है वो अद्भुद और आश्चर्यजनक है | और इन्हें वर्तमान “रामानुजन” कहना अतिशयोक्ति नहीं है |
जिस पुरस्कार को पाने में पूरा जीवन कम पड जाए उस पुरस्कार को मंजुल भार्गव जी ने मात्र ४० साल की उम्र में पा लिया है |
भार्गव जी एक धर्मनिष्ठ हिन्दू ब्राह्मण परिवार से सम्बंधित हैं जो दो पीढ़ियों से कनाडा और अमेरिका में रहते हुए भी भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम अटूट बनाये हुए हैं |
भार्गव जी मंचों पर अक्सर हिन्दू परिधानों में ही नजर आते हैं |
भार्गव जी जितनी सधी अंग्रेजी बोल सकते हैं उतना ही अच्छा “संस्कृत संभाषण” भी कर सकते हैं | आप के बाबा जी श्री पुरुषोत्तम लाल भार्गव जी एक अति प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरण के विद्वान हैं और इनके संस्कृत के गुरु भी |
क्वांटा मैगजीन को दिए इंटरव्यू में मंजुल ने बताया, ‘उनके दादा राजस्थान में संस्कृत के प्रोफेसर थे। उनके पास मैंने 628 ई.पू. के भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त की संस्कृत में लिखी पांडुलिपि देखी थी, जिसमें जर्मनी के मैथमैटिशन कार्ल फ्रेडरिच गॉस के जटिल नंबर थ्योरी लॉ जैसा सिद्धांत साधारण तरीके से समझाया गया था।’
इस नियम के मुताबिक, दो परफेक्ट स्क्वेयर्स के जोड़ से प्राप्त दो नंबर्स को आपस में गुणा किया जाए, तो नतीजा भी दो परफेक्ट स्क्वेयर्स के जोड़ जितना होगा। भार्गव ने ब्रह्मगुप्त के संस्कृत में लिखे सिद्धांत को फेमस रयूबिक क्यूब पर लागू किया और 18वीं सदी के गॉस के नियम को ज्यादा आसान तरीके से समझाने में कामयाबी हासिल की।
मंजुल ने संस्कृत की कविताओं के रिदम में गणित ढूंढ निकाला। संस्कृत के अक्षरों के क्रम में भी उन्होंने गणित की संरचना बताई है। वह यूनिवर्सिटी में अपने स्टूडेंट्स को समझाने के लिए भी संस्कृत कविताओं और मैथ्स की समानता के उदाहरण पेश करते हैं।
भार्गव जी बहुत अच्छे तबला वादक भी हैं और जाकिर हुसैन से उन्होंने तबला के गुर सीखे हैं |
इनकी माता जी श्री मति मीरा भार्गव भी एक गणितज्ञा और विदुषी हैं | अमरीकी विश्वविद्यालय में गणित की प्रोफेसर हैं |
310 बहुत ही कठिन प्रमेयों को हल करना, जोर्ज पोल्या का दशकों पुराना कंजुगेट हल करना, गणित में कोहेन लंस्त्रा मार्टिनेज ह्युरिस्टिक यानि “गणित का प्रेत” को भी हल करने वाले भार्गव जी ने भारतीय मेधा का नाम विश्व स्तर पर किया है |
एक बेहद साधारण और सरल से चेहरे और जीवनशैली के पीछे आज धरती की सबसे सशक्त मेधा मंजुल भार्गव ने सिद्ध किया की दिखावे और आधुनिकता के कृत्रिम जीवन में कुछ नहीं रखा है |
…………आर्य भट्ट, बारह्मिहिर,सुधाकर द्विवेदी, रामानुजन और अभयंकर की यात्रा को आगे बढ़ाते हुए मंजुल दीर्घायु हों |
चित्र : हिन्दू पारंपरिक परिधान में इनफ़ोसिस पुरस्कार प्राप्त करते श्री भार्गव |