1971 के युद्ध का वह गौरवशाली क्षण याद आ गया जब जनरल जगजीत सिंह अरोरा के सामने नियाजी ने 93000 सैनिकोँ के साथ आत्मसमर्पण किया था।
जनरल JFR जैकब के सशक्त रणनीतिक प्रबंधन और जनरल जगजीत सिंह अरोरा की बहादुरी के ऐसा समन्ंवय हुआ कि पाकिस्तान चारोँ खाने चित हो गया ।
जैकब फर्ज रफाएल जैकब एक ऐसे ज्यूस परिवार से आते हैं जिंनके परिवार ने इराक से भाग कर भारत के कलकत्ता मेँ शरण लिया था । सोचता हूँ किस देश मेँ शरण लेने वाले हर व्यक्ति चाहे वो जूस हो या पारसी देश का कर्ज उतार दिया लेकिन यह सदबुद्धि मुसलमानोँ को कब आएगी ।
तंगैल ड्राप के रणनीतिकार
बांग्लादेश की विजय कि सबसे बडी रणनीति तंगैल ड्रॉप जिसके कारण पाकिस्तानी सेना के हाथ पांव फूल गए थे । यहाँ पर साढ़े तीन सौ भारतीय सैनिकोँ को पैराशूट से ड्राप कराया गया था और उसके साथ भारी मात्रा मेँ डमी ड्राप किया गया था जिसके कारण अमेरिका ओर लंदन की खुफिया एजेंसियोँ को यह सूचना मिली कि भारत ने 5 हजार सैनिकोँ को तंगैल मेँ ड्रॉप कराया है ।
जनरल जैकब के प्रतिभा पर सैम मानेकशा और जगजीत सिंह अरोरा को कितना विश्वास था की पाकिस्तान द्वारा आत्मसमर्पण कराए जाने की पूरी जिम्मेदारी जनरल जैकब पर थी ।
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Must Read:
“तंगैल एयर ड्राप” जिसने लिखी 90000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण की पटकथा
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जब जनरल जैकब ने सैम से आत्म समर्पण के अनुबंध पर सलाह लेनी चाहिए तो मानेकशा ने यह कहते हुए फोन काट दिया था की तुम यह अच्छी तरह जानते हो कि तुम्हेँ क्या करना है । ओर वह बहादुर सेनानायक जनरल जैकब ही थे जिंहोन्ने आत्म समर्पण के अनुबंध को लेकर अकेले ढाका की सडको से होते हुए पाकिस्तान की सैनिक छावनी मेँ घुसकर नियाजी की टेबल पर दे मारा ।
जनरल जैकब ने सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किया ओर राष्ट्र के सुरक्षा सलाहकार के रुप मेँ अपनी सेवाएँ देते रहे । तत्पश्चात भारतीय जनता पार्टी ने उनहे गोवा ओर पंजाब के गवर्नर पद पर भी सुशोभित किया ।
जनरल जैकब की आत्मकथा “An Odyssey in War & Peace” बडी प्रेरणा दायक है ।
भारत का यह वीर सपूत को 92 वर्ष की उम्र में सदा सदा के लिए सो गया | भारत माता को अपने लाल पर सदैव गर्व रहेगा |
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