जब कोई अमेरिका से भारत आता है तो भी हम इंग्लिश में बात करते हैं,और जब कोई भारतीय अमेरिका जाता है तो भी इंग्लिश में बात करता है ……चित भी उनकी पट भी उनकी ……
हमारे भारतीय व्यंजन:
सोचिये …..यदि रोटी सब्जी और दाल चावल अमेरिका और चीन का भोजन होता और बर्गर और चाउमीन,मोमो भारत का भोजन होता तो निश्चय ही हम इस तरह से सोच रहे होते …..
चाउमीन,बर्गर,मोमो यदि भारतीय भोजन होता तो हम कहते की हमारे पूर्वज कितने असभ्य थे ….एक खाने की तमीज नहीं सीख पाए …चाउमीन खाते हैं ….खाओ तो आधा मुह में आधा चोप स्टिक पर और बाकि बाउल में …..
चॉपस्टिक संस्कृति इतनी समस्या से भरी हुई है की जापान, ताइवान एवं चीन मे लाखों बच्चों को चॉपस्टिक पकड़ने की कला के लिये 2 महीने की ट्रेनिंग तक करनी पड़ती है | परंतु फिर भी उन्होने अपनी संस्कृति के इस पहचान को त्यागा नहीं अपितु इसे विश्व संस्कृति का हिस्सा बना दिया |आज बाजार मे बच्चों को ट्रेनिंग देने के लिये नन्हे चॉप्स्टिक सेट बिकते हैं एवं हजारों ऑडियो-वीडियो, कितनी किताबें बिक रही हैं |
चोप स्टिक पकड़ने में और उस से खाने में इतनी मेहनत लगती है की सीखने में ४ महीने लग जाएँ |नूडल्स खाने में मुह लटका कर ऐसे खाना पड़ता है की कपडे गंदे हो जाएँ | बर्गर खाने में देखिये टमाटर कहीं गिरा जा रहा है …..प्याज़ कहीं और सबसे पहला सवाल की मुह में घुसे कैसे ………
मोमो बनाम फ़रा:
मोमो का फैशन देखिये ….जब यही हमारे देश में एकादशी के त्यौहार में “फरा” के रूप में बनता था तब हम इसे देहाती कहते थे ……
और यदि हमारे भोजन अमेरिकी होते तो हम कहते ….कितने सभ्य हैं अमेरिका के लोग …..रोटी तोड़ते हैं …अपने मुह के साइज़ के हिसाब से और सब्जी को लपेट कर दाल में डूबा कर खाते हैं | इस तरह से हम चुनाव कर सकते हैं की हमें भिन्डी की सब्जी खानी है या गोभी की ……हमें दाल के साथ खाना है या नही ….और फिर हम चावल को सलीके से खाते हैं ….अपनी हिसाब से कितनी दाल और सब्जी के साथ …..कोई जोर जबरदस्ती नहीं हैं ……कोई सोया सास और अजिनो जैसे नुक्सान वाले पदार्थ नहीं पड़ते हैं …..
कहीं न कहीं हम अपने सोच को भी गुलाम बनाते जा रहे हैं …..सुबह से शाम तक आते हुए प्रचार एक बौधिक आतंकवाद ही तो है ….जो हमारे मन मष्तिस्क में अनायास ही घुसपैठ कर रहे हैं ……
कैडबरी बनाम रसगुल्ले:
कैडबरी चोकलेट “कुछ मीठा हो जाए” का घुसपैठ हमारे भारतीयता की पहचान लड्डू,रसगुल्लों पर आतंकवादी हमला ही तो हैं ……
कृपया मन में भारतीयता का हिमालय स्थापित करें …..धन्यवाद
Media imports foreign thoughts