भारत की समृद्धि और ज्ञान के कारण विदेशी सदा से ही इस पावन भूमि को अपने राज्य विस्तार की लालसा का ग्रास बनाना चाहते थे |
इस क्रम में हजारों सालों से आक्रमणकारी लगातार आक्रमणों से इसे आघात पहुचाते रहे और धीरे धीरे भारत के दक्षिण तक तमाम युद्धों को लड़ते हुए भारत पर राज कायम किया | नीचे भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्ध के बारे में जानकारी संकलित कर रहा हूँ | आशा है की यह आपको अच्छी और ज्ञानवर्धक लगेगी |
ई.पू.
ई.पू 326 वितस्ता (झेलम) का युद्ध:
इसे हाइडेस्पीज के नाम से भी जाना जाता है| सिकंदर और पंजाब के राजा पोरस के बीच इसका परिणाम अज्ञात है | जिसमे रोमन इतिहास के मतानुसार सिकंदर की विजय हुई पर भारतीय साक्ष्यों के अनुसार पोरस की सेनाओं की वीरता ने सिकंदर को वापस लौटने को मजबूर कर दिया | ऐसा प्रतीत होता है की रोमन इतिहासकारों ने अपने सिकंदर जैसे हीरो के बारे में हार की बात को छुपा लिया |
ई. पू. 305 चन्द्रगुप्त मौर्य – सेल्यूकस युद्ध
मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस निकेटर के बीच युद्ध हुआ जिसमें चन्द्रगुप्त मौर्य विजयी हुआ। सेल्यूकस ने इस युद्ध में चन्द्रगुप्त से संधि कर जिसके अनुसार काबुल, कंधार, हेरात, तथा मकरान चन्द्रगुप्त को दिया गया। सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दिया।
ई.पू 261 कलिंग की लड़ाई:
सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया था और युद्ध के रक्तपात से विचलित होकर उन्होंने युद्ध न करने की कसम खाई |
ईस्वी
630 – 634 ईस्वी हर्ष-पुलेकेशिन द्वितीय युद्ध:
यह युद्ध लगभग 630 – 634 ई. में पुष्यभूति वंश के हर्षवर्धन तथा चालुक्य शासक पुलेकेशिन द्वितीय के बीच हुआ था जिसमें हर्षवर्धन पराजित हो गया था। इस युद्ध की जानकारी पुलेकिशन द्वितीय के एहोल लेख से प्राप्त होती है।
712 ईस्वी सिंध की लड़ाई:
मोहम्मद कासिम ने अरबों की सत्ता स्थापित की |
1191 ईस्वी तराईन का प्रथम युद्ध:
यह युद्ध 1191 ई. में मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान बीच हुआ था। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान विजयी हुआ।
1192 ईस्वी तराईन का द्वितीय युद्ध:
1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान एवं मुहम्मद गौरी के बीच दोबारा युद्ध हुआ जिसमें मुहम्मद गौरी विजयी हुआ।
1194 ईस्वी चंदावर का युद्ध:
चन्दावर का युद्ध 1194 ई. में मुहम्मद गौरी एवं कन्नौज के राजा जयचन्द के बीच हुआ था जिसमें गौरी विजयी हुआ।
1526 ईस्वी पानीपत का प्रथम युद्ध:
यह युद्ध बाबर एवं इब्राहिम लोदी के बीच 12 अप्रैल 1526 ई. में हुआ था । इस युद्ध में बाबर ने विजय प्राप्त करके मुगल साम्राज्य की स्थापना की।बाबर द्वारा इस युद्ध में पहली बार तोपख़ाना एवं तुगलमा नीति का प्रयोग किया था।
1527 ईस्वी खानवा का युद्ध:
बाबर एवं राणा सांगा के बीच यह युद्ध 16 मार्च 1527 ई. को हुआ जिसमें बाबर विजयी हुआ।
1528 ईस्वी चन्देरी का युद्ध:
चन्देरी का युद्ध 29 जनवरी 1528 को बाबर एवं मेदिनीराय के बीच हुआ था। इसमें भी बाबर विजयी हुआ।
1529 ईस्वी घाघरा का युद्ध:
इसमें बाबर ने महमूद लोदी के नेतृत्व में अफगानों को हराया |
1539 ईस्वी चौसा का युद्ध:
यह युद्ध 1539 ई. को हुमायूं एवं शेरशाह सूरी के बीच हुआ था इसमें शेरशाह सूरी विजयी हुआ था।
1540 ईस्वी कन्नौज (बिलग्राम का युद्ध):
हुमायूं एवं शेरशाह सूरी के बीच 1540 ई. में बिलग्राम या कन्नौज का युद्ध हुआ जिसमें फिर से शेरशाह सूरी विजयी हुआ । पराजित होकर हुमायूं सिंध चला गया तथा शेरशाह सूरी ने दिल्ली एवं आगरा में कब्जा कर लिया ।
1555 ई. सरहिन्दी का युद्ध:
1555 ई. में हुमायूं ने सरहिन्दी के युद्ध में सूरी के वंशजों को हराकर पुनः दिल्ली में अपना अधिकार कर लिया।
1556 ईस्वी पानीपत का द्वितीय युद्ध:
यह युद्ध 5 नवम्बर 1556 ई में अकबर एवं हेमू के बीच हुआ था। इस युद्ध में अकबर की सेना ने हेमू को पराजित कर दिया।
1565 ईस्वी तालीकोटा (रक्षसी-तंगड़ी या बन्नीहट्टी) का युद्ध:
इस युद्ध से विजयनगर साम्राज्य का अंत हो गया क्यूंकि बीजापुर,बीदर,अहमदनगर व गोलकुंडा की संगठित सेना ने लड़ी थी | 1565 ई. मे हुआ इस युद्ध को राक्षसी – तंगड़ी या बन्नीहट्टी का युद्ध भी कहा जाता है। यह युद्ध विजयनगर साम्राज्य एवं दक्षिण के राज्यों के बीच हुआ था।
1576 ईस्वी हल्दी घाटी का युद्ध:
हल्दी घाटी का युद्ध महाराणा प्रताप तथा अकबर की सेना के बीच 1576 ई. में हुआ था। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह एवं आशफखाँ कर रहे थे। अकबर की सेना इस युद्ध में विजयी रही।
1601 ईस्वी असीरगढ़ का युद्ध:
यह अकबर का अंतिम अभियान था जिसमें अकबर ने 1601 ई. में दक्षिण भारत के मीरन बहादुर से युद्ध किया।
1757 ईस्वी प्लासी का युद्ध:
अंग्रेजो और सिराजुद्दौला के बीच, जिसमे अंग्रेजो की विजय हुई और भारत में अंग्रेजी शासन की नीव पड़ी | यह युद्ध अंग्रेजों एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच 1757 ई. में हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व क्लाइव तथा नवाब की सेना का नेतृत्व मीर जाफर कर रहा था। मीर जाफर ने अप्रत्यक्ष रुप से अंग्रेजों का साथ दिया जिससे नवाब की हार हुई।
1760 ईस्वी वांडीवाश का युद्ध:
अंग्रेजो और फ्रांसीसियो के बीच, जिसमे फ्रांसीसियो की हार हुई |
1761 ईस्वी पानीपत का तृतीय युद्ध:
यह युद्ध 1761 ई. में मराठों एवं अहमद शाह अब्दाली के बीच हुआ था। इस युद्ध में मराठों का नेतृत्व सदाशिव भाऊ ने किया था। मराठों की इस युद्ध में हार हो गई थी।
1764 ईस्वी बक्सर का युद्ध:
बक्सर का युद्ध 1764 ई. हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व कैप्टन मुनरो एवं दूसरी ओर अवध के नवाब शुजाउद्दौला ,मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय एवं मीर कासिम की संयुक्त सेना थी अंग्रेजों ने इस युद्ध को जीत लिया। इसके बाद अवध के नवाब तथा मुगल बादशाह अंग्रेजों पर आश्रित हो गए। अंग्रेजो की विजय हुई | अंग्रेजो को भारत वर्ष में सर्वोच्च शक्ति माना जाने लगा |
1767-69 ईस्वी प्रथम मैसूर युद्ध:
यह युद्ध अंग्रेजों एवं मैसूर के शासक हैदर अली के बीच 1767 – 1769 ई में हुआ था। इस युद्ध में हैदर अली विजयी हुआ एवं अंग्रेजों ने हैदर अली के साथ मद्रास की संधि कर ली।
1780-84 ईस्वी द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध:
1780 – 1784 ई. में अंग्रेजों द्वारा मद्रास की संधि का पालन नहीं करने के फलस्वरूप यह युद्ध हुआ। हैदर अली की 1782 ई. में मृत्यु हो गयी । हैदर अली के पुत्र टीपु सुल्तान ने मैसूर सेना की कमान संभाली । अंत में टीपू सुल्तान ने 1784 ई. मे अंग्रेजों से मंगलौर की संधि कर ली ।
1790 ईस्वी तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध:
यह युद्ध 1790 – 1792 ई. में टीपू सुल्तान एवं अंग्रेजों के बीच हुआ जिसमें अंग्रेजों का नेतृत्व कार्नवालिस ने किया था। यह युद्ध 1792 ई. में श्रीरंगपत्तनम की संधि के साथ समाप्त हुआ।
1799 ईस्वी चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध:
इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व लार्ड वेलेजली था उसने टीपू सुल्तान पर अंग्रेजों के षड्यंत्र का आरोप लगाकर 1799 ई. में आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में टीपू सुल्तान मारा गया ।
1849 ईस्वी चिलियान वाला युद्ध:
ईस्ट इंडिया कंपनी और सिखों के बीच हुआ था जिसमे सिखों की हार हुई |
1947 का भारत-पाक युद्ध:
भारत और पाकिस्तान के बीच प्रथम युद्ध सन् १९४७ में हुआ था। यह कश्मीर को लेकर हुआ था जो १९४७-४८ के दौरान चला।
1962 ईस्वी भारत चीन सीमा युद्ध:
चीनी सेना द्वारा भारत के सीमा क्षेत्रो पर आक्रमण | कुछ दिन तक युद्ध होने के बाद एकपक्षीय युद्ध विराम की घोषणा | भारत को अपनी सीमा के कुछ हिस्सों को छोड़ना पड़ा |
1965 ईस्वी भारत-पाक युद्ध:
उन मुठभेड़ों का नाम है जो दोनों देशों के बीच अप्रैल १९६५ से सितम्बर १९६५ के बीच हुई थी। इसे कश्मीर के दूसरे युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
1971 ईस्वी भारत पाक युद्ध:
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जिसमे पाकिस्तान की हार हुई | फलस्वरूप बांग्लादेश एक स्वतन्त्र देश बना |
1999 ईस्वी कारगिल युद्ध:
जम्मू एवं कश्मीर के द्रास और कारगिल क्षेत्रो में पाकिस्तानी घुसपैठियों को लेकर हुए युद्ध में पुनः पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा और भारतीयों को जीत मिली |
Very nice information sir… Bahut accha lga itihas ke bare me jankar