भारतीय सेना की 10 अत्याधुनिक हथियार जिनसे डरते हैं चीन और पाक

Spread the love! Please share!!

सैन्य शक्ति और सामरिक दृष्टि के आधार पर भारत देश दुनिया में चौथे स्थान पर है. इसके पास अनेक एडवांस एवं बेहद उम्दा हथियार और युद्धक साजो सामान मौजूद है जिससे पडोसी शत्रुओं में सिहरन हो जाना लाजमी है. भारत यह जनता है की अब शक्ति का अर्थ जवानों की वीरता के साथ हथियारों की क्षमता और कुशलता भी है |
आइये जानते हैं तकनीकी रूप से उन्नत भारतीय सेना की के वह हथियार कौन से हैं जिन्हें संसार ललचाई आँखों से देख रहा और और पडोसी शत्रु देश भय से देख रहे हैं: indian advanced weapons, indian army weapons 2020

1. फॉल्कन अवाक्स (Phalcon Airborne Warning and Control System)

एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम का संक्षिप्त नाम है अवाक्स  (एडब्ल्यूएसीएस), जिसका इस्तेमाल एयरक्राफ्ट, शिप और वाहनों  को डिटेक्ट  करने के लिए किया जाता है| भारत अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए स्वदेशी वायुक्षेत्र चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली :अवाक्स (AWACS) विकसित कर चुका है |
इस परियोजना के तहत अत्यधिक क्षमता वाले रडार आईएल-76 या बोइंग जैसे शक्तिशाली विमानों के ऊपर लगाए जाते हैं। फिलहाल, वायुसेना तीन फाल्कन अवाक्स संचालित कर रहा है जिसे इस्राइल से खरीदा गया था। ये अवाक्स रूसी विमान आईएल 76 के उपर लगाए गए हैं। डीआरडीओ अवाक्स के छोटे प्रारूप को भी विकसित कर रहा है जिसे ‘एयर बोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल’ (एईडब्ल्यू एंड सी) प्रणाली के रूप में जाना जाता है।
phalcon-airborne-warning-and-control-system-iaf
 भारतीय वायु सेना के पास दुनिया के एडवांस्ड  अवाक्स मौजूद हैं, जिनमें से तीन सक्रिय सेवा में हैं. एक A-50 फॉल्कन  अवाक्स है, जो इजराइली एल्टा इएल/ डब्ल्यू-2090 राडार से सुसज्जित है. किसी  एयरक्राफ्ट, शिप या वाहन के खोज अभियान के समय इसके राडार सभी दिशाओं में  इलेक्ट्रॉनिकली स्कैनिंग करने में सक्षम हैं. कंट्रोल सेंटर से दिशानिर्देश  हासिल करने में सक्षम यह अपने लक्ष्य को 400 किमी के दायरे में तलाश सकता  है. इसमें एरियल रिफ्यूलिंग सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम भी लगा  है.

2. भीष्म टैंक (T-90)

 
रूस द्वारा भारत के  लिए निर्मित टी-90 टैंक को भीष्म नाम दिया गया है. टी-80यू और टी-90यू को  मिला कर बनाया गया भीष्म टैंक (T-90) टैंक फायर कंट्रोल सिस्टम और मोबिलिटी के मामले  में सर्वश्रेष्ठ है. बिना किसी मरम्मत के  तीन दशकों तक इन टैंकों का  इस्तेमाल किया जा सकता है. इन टैंकों में सर्वाधिक एडवांस्ड जैमिंग सिस्टम,  लेजर वार्निंग रिसीवर, दिन-रात स्पष्टता से दिखनेवाली तकनीक आदि इंस्टॉल  किये गये हैं. तीन जवानों की क्षमतावाले भीष्म टैंक का वजन 48 हजार  किलोग्राम है. 1,600 लीटर ईंधन की क्षमतावाला यह टैंक राह में नदियों को भी  पार कर सकता है यानी पांच मीटर की गहराई तक पानी में भी चल सकता है. इसे  मैनुअली और रिमोट, दोनों ही माध्यमों से संचालित किया जा सकता है. ऐसे 700  टैंक रूस से खरीदे गये थे, जबकि 347 टैंकों का निर्माण अब भारत में ही किया  जा रहा है.

3. INS चक्र

रूस द्वारा निर्मित यह एक परमाणु-ऊर्जा चालित पनडुब्बी है. यह पनडुब्बी  लगातार कई दिनों तक पानी के भीतर रहने में सक्षम है, जबकि आम तौर पर  पारंपरिक पनडुब्बियों को रोजाना कम से कम एक बार पानी की सतह पर आना होता  है. 80 सैनिकों की क्षमतावाली इस पनडुब्बी में 36 तारपीडो और एंटी-शिप  मिसाइल लगे हैं. जीरो न्वॉइज लेवल यानी बिल्कुल आवाज नहीं करनेवाले इस  सबमरीन को बड़ी रकम (900 मिलियन डॉलर से ज्यादा) चुका कर रूस से खरीदा गया  है.

ins-chakra
भारतीय नौसेना में आइएनएस चक्र का शामिल होना हिंद महासागर में उसकी ताकत को बड़े पैमाने पर बढ़ायेगा। इसको एक सौ कर्मियों की सहायता से पांच हजार किलोमीटर दूर रूस के व्लादिवोस्तक के रास्ते जापान, चीन, फिलीपींस और इंडोनेशिया के समुद्र तल से होते हुए गोपनीय रास्ते से यहाँ लाया गया। यही इसकी ताकत और टिकाऊ क्षमता का पहला प्रदर्शन है।

4. सुखोइ SU-30 MKI

sukhoi-su-30mki-flanker-iaf-001
भारतीय  वायु सेना में मौजूदा मिग और जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों का दौर बीत रहा है  और अब सुखोइ एसयू-30 एमकेआइ को इसमें शामिल किया जा रहा है. इस लड़ाकू  विमान को भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया  है.
हालांकि, मूल रूप से इसे एसयू-30 एमके ने विकसित किया, लेकिन भारतीय जरूरतों के मुताबिक इसे भारत में नये सिरे से डिजाइन किया गया, जिस कारण  इसके नाम के आखिर में ‘आइ’ जोड़ा गया है. यह विमान अपने साथ आठ टन हथियार  ले कर जा सकता है और जल्द ही इसे ब्रह्मोस और निर्भय क्रूज मिसाइलों से भी  लैस किया जायेगा.

5. पिनाका MBRLS (Pinaka Multi-barrel Rocket Launch System)

pinaka MBRLS

पिनाका एमबीआरएलएस  (मल्टीपल बैरल रॉकेट लॉन्च सिस्टम) का उत्पादन भारतीय सेना के लिए डिफेंस  रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑरगेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा किया गया. यह बेहद ठंडे  और पहाड़ी इलाकों के लिए उपयोगी है. वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान  यह उपयोगी साबित हो चुका है. यह महज 44 सेकेंड में 40 से 65 किमी की रेंज  तक 12 मिसाइल/ रॉकेट दागने में सक्षम है. खास वाहन पर लोड पिनाका में मोशन सेंसर्स और रोटेशन सेंसर्स का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि किसी चलती-फिरती  चीज को भी निशाना बनाया जा सके. इसे कई मोड में संचालित किया जा सकता है.  डीआरडीओ इसमें जीपीएस गाइडेंस सिस्टम को सेट करने पर काम कर रही है, ताकि  इसे ज्यादा से ज्यादा सटीक बनाया जा सके. साथ ही इसकी रेंज को बढ़ाते हुए  120 किमी तक किया जा रहा है.

6. पीएडी/ एएडी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम

ashwin-ballistic-missile-interceptor
पाकिस्तान  और चीन से सेंसिंग बैलिस्टिक मिसाइल से जुड़ी चुनौतियों के मद्देनजर भारत  ने बीएमडी डिफेंस सिस्टम को लॉन्च किया. बैलिस्टिक मिसाइल  एक शॉर्ट-रेंज  मिसाइल है, जिसे बेहद कम समय में निर्देशित किया जा सकता है. बीएमडी सिस्टम  से पांच हजार किमी से किसी बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट किया जा सकता है.  बीएमडी में दो इंटरसेप्टर मिसाइल्स हैं- ज्यादा ऊंचाई के लिए पृथ्वी एयर  डिफें स (पीएडी) मिसाइल और कम ऊंचाई के लिए एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी)  मिसाइल. बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से युक्त इस संदर्भ में भारतीय  सेना दुनिया में चौथे स्थान पर है. पृथ्वी एयर डिफेंस और एडवांस्ड एयर  डिफेंस की मारक क्षमता 99.8 फीसदी तक सटीक पायी गयी है.

7. ब्रह्मोस मिसाइल

brahmos-interesting-facts-shiveshpratap
ब्रह्मोस दुनिया का सबसे  तेज क्रूज मिसाइल है. इसमें किये जाने वाले अनेक सुधारों के बाद वर्ष 2017  में भारत दुनिया का एकमात्र देश हो जायेगा, जिसकी जल, थल और वायु सेना  तीनों ही को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की क्षमता हासिल हो जायेगी. इसी श्रेणी  के अन्य मिसाइलों के मुकाबले ब्रह्मोस की वेलोसिटी और फ्लाइट रेंज तीन  गुना ज्यादा है. फिलहाल देश में सालाना ऐसे 100 मिसाइलों का निर्माण किया  जा रहा है.

8. INS विशाखापत्तनम

 ins-vishakhapattanam
यह एक उन्नत पोत विध्वंसक है, जिसे  वर्ष 2018 में भारतीय नौसेना में शामिल किया जायेगा. 163 मीटर लंबा और  7,300 टन वजनी इस पोत पर आठ सुपरसोनिक ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइल, 32 बराक-8 लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल समेत अनेक आधुनिक हथियार मौजूद होंगे. समुद्र में यह एक साथ कई चुनौतियों से निबटने में सक्षम होगा.

9. नाग मिसाइल और नामिका (नाग मिसाइल कैरियर) 

nag_with_namica_defexpo-2008

नाग, डीआरडीओ द्वारा विकसित एक मिसाइल है, जो ‘फायर एंड फॉरगेट’ यानी दागो और  भूल जाओ के सिद्धांत पर आधारित है. इस एंटी-टैंक मिसाइल को दुनिया के  सर्वाधिक टैंक विध्वंसक मिसाइलों में शामिल किया जाता है, जो पूरी तरह से  फाइबरग्लास का बना है. इसका वजन महज 42 किलोग्राम है और इंफ्रारेड इमेजिंग  सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए इसे 230 किमी प्रति सेकेंड की स्पीड से चार से  पांच किमी की रेंज तक लक्ष्य को भेदा जा सकता है. नामिका नाग मिसाइल  कैरियर है, जो अपने साथ 12 मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है, जिनमें से आठ  ‘रेडी-टू-फायर’ मोड में होते हैं.

10. INS विक्रमादित्य

ins_vikramaditya_in_baltic_sea
बाल्टिक सागर में शान से खड़ा INS विक्रमादित्य
284 मीटर लंबे इस युद्ध पोत  पर मिग-29के, कामोव 31 और कामोव 28 पनडुब्बी रोधी युद्धक समेत समुद्री  निगरानी के लिए 6 एडल्यूएस/ एइडब्ल्यू हेलिकॉप्टर तैनात हैं. 45 हजार  किलोग्राम वजन का यह युद्ध पोत भारतीय समुद्री सीमा की निगरानी करनेवाला  सबसे बड़ा पोत है. इस युद्ध पोत में सेंसर सेट किया गया है, जिस कारण इसे  एयरबॉर्न राडार सिस्टम से ट्रैक नहीं किया जा सकता है. हालांकि, रूस से  इसकी खरीदारी वर्ष 2004 में ही तय की गयी थी, लेकिन भारतीय नौसेना में  आधिकारिक तौर पर इसे जून, 2014 को शामिल किया जा सका. इस युद्ध पोत का  जीवनकाल करीब 40 वर्ष बताया गया है.

Spread the love! Please share!!
Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is the copyright of Shivesh Pratap.