IAS गौरव सिंह सोगरवाल के सफलता की कहानी
किसी ने सच ही कहा है कि;
उन्हीं को सर बुलंदी भी अता होती है दुनिया में,
जो अपने सर के नीचे हाथ का तकिया लगाते हैं|
हम सभी के जीवन में थोड़ी सी समस्या भी आ जाये तो हम हार मानकर नियति और ईश्वर को दोष दे देते हैं और निष्क्रिय बन बैठ जाते हैं | लेकिन इस संसार में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके कर्त्तव्य कर्म का हिमालय इतना उचा है की दुर्भाग्य भी हार मान जाए | गौरव सिंह सोगरवाल की कहानी ऐसे ही कर्मवीर की है जिन्होंने अपने कृतित्व से सबको अचंभित कर दिया |
IAS गौरव सिंह सोगरवाल के संघर्ष कि कहानी:
1991 में 3 साल कि उम्र में गौरव सिंह सोगरवाल को मां कि मृत्यु के बाद, सात साल पिता ने पाला फिर 1997 में पिता ने दूसरा विवाह किया और 2002 में गौरव के 14 साल कि उम्र में शिक्षक पिता का भी साया सर से उठ गया | परिवार के नाम पर सौतेली माता और 2 भाई बहन |
कुल मिलाकर एक इंसान को पूरी तरह से तोड़ कर रख देने में प्रकृति ने कोई कसर न छोड़ी |
भरतपुर राजस्थान के गौरीशंकर कॉलोनी के 14 साल के गौरव के पास खून के कोई रिश्ते नहीं बचे थे और यह वैसा ही है जैसे जीने का उद्देश्य ही खो जाना|
ट्यूशन पढ़ाकर किया सौतेली बहन की शादी:
भरतपुर राजस्थान के गौरव ने ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी किया और फिर एक कोचिंग में पढ़ाकर थोडे पैसे जुटाए | बहन कि शादी किये और भाई को MBA कराया |
हर एक ग्रामीण युवा कि तरह उनका भी सपना था IAS बनना | दिल्ली आ गये और पाणिनि क्लासेज से संस्कृत को अपना विषय बनाकर IAS बनने की तय्यारी में लग गए | संस्कृत से IAS बनना स्वयं के लिए सबसे कठिन रास्ता चुनने जैसा है |
99रैंक लाकर भी हो गए थे सफलता से दूर:
2 प्रयासों ने गौरव को कुछ नहीं दिया पर तीसरे प्रयास में गौरव कि सम्पूर्ण भारत में 99वी रैंक आई | परन्तु दुर्भाग्य ने उनको यहाँ भी अपने साथ ही रखा और हर साल कि तरह इस बार 99वी रैंक वाले को IAS काडर न मिल सका |
आकादमी ज्वाइन कर चौथे प्रयास में 2017 में गौरव ने IAS बनने के लिए पुनः प्रयास किया परन्तु गलती से इनके मित्र के द्वारा परीक्षा का माध्यम हिंदी कि जगह अंग्रेजी चुना गया था |
आखिर नियति ने अपनी हार स्वीकार की और गौरव IAS बन गए:
फिर भी गौरव ने हार नहीं मानी और अंग्रेजी माध्यम से ही उन्होंने परीक्षा दिया | परीक्षा के तीनों दौर में गौरव बेहद दबाव में रहे परन्तु जब 2017 में IAS परीक्षा का परिणाम आया तो गौरव ने सम्पूर्ण भारत में 46वी रैंक हासिल कर प्रकृति के द्वारा अपने साथ सतत होते अन्याय का अंतिम व सफल प्रतिकार कर IAS बन ही गए |
मै गौरव को उनके स्वर्णिम भविष्य कि शुभकामनायें देता हूँ | और गौरव उन लाखों बच्चों के लिए प्रेरणाश्रोत हैं जो निराशा और हताशा के शिकार हैं |
कितनी सही बात है…..
होती नहीं यकीं मगर बात सच है…….इसी दोज़ख के किसी कोने में जन्नत होगी|
I am proud of my bro god always with you
Bahut achha jo apne mehnt aur prishram se apne manjil ko hasil kiya