भारतीय रुपए के रोचक तथ्य | Indian Currency Facts in Hindi:
सभी का यही हाल है, रुपए के बिना किसी का काम नहीं चलता। जिन्दगी में हर छोटे-बड़े काम के लिए रुपए की जरूरत होती है। हम रुपए के बेहद नजदीक होते हैं, इसके बावजूद अपनी करेन्सी के तथ्यों से अन्जान रहते हैं। अगर मैं आपसे कहूं कि नोट बनाने के लिए काग़ज़ का नही, बल्कि कॉटन का प्रयोग किया जाता है, तो क्या आप मानेंगे? भारतीय करेन्सी से जुड़े हुए ऐसे कई मजेदार और रोचक तथ्य हैं, जिन्हें जानकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे।
- 18वीं सदी में पेपर करेन्सी जारी करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। सर्वप्रथम बैंक ऑफ हिन्दुस्तान, बैंक ऑफ बंबई, बैंक ऑफ बंगाल और बैंक ऑफ मद्रास जैसे निजी बैंक पेपर करेन्सी को मुद्रित करते थे।
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सन 1938 में RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) ने 10,000 और 5000 रुपए के नोट भी जारी किए थे, जिसे सन 1978 में बन्द कर दिया गया था|
- 1947 (आजादी) के बाद भी पाकिस्तान, भारतीय नोटों का प्रयोग पाकिस्तानी मुहर लगा कर करता था, जब जानकारीतक कि वह खुद पर्याप्त मात्रा में प्रिंट करने की स्थिति में नही आ गया।
- 1 रुपए के नोट को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है और इन पर सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।
- भारत में 75, 100 और 1,000₹ के भी सिक्के छप चुके हैं।
- आपके पास किसी भी फटे नोट का 51% से अधिक का हिस्सा है, तो आप उसे बैंक ले जाकर बदल सकते हैं।
- सुरक्षा कारणों की वजह से आपको एक नोट के नंबर पैनल में आइ, जे, ओ, एक्स, वाइ, ज़ेड अक्षर नही मिलेंगे।
- डॉ. उदय कुमार ने रुपए के चिह्न को बनाया था| इसे 2010 में मान्यता मिल गई
- भारत के सभी नोटों में ज़रूर कुछ भारतीय स्थानों को दिखाया जाता है। जैसे 20 रुपए के नोट में अंडमान द्वीप समूह को दिखाया गया है।
- एक 10 रुपए के सिक्के को बनाने में लागत 10 रुपए की आती है|
- भारतीय नोटों की छपाई नासिक, देवास, मैसूर और सालबोनी के प्रिंटिंग प्रेस में होती है। जबकि मुंबई, नोएडा, कोलकाता और हैदराबाद में सिक्कों की ढलाई होती है।
- आजादी के पहले रुपए की कीमत डॉलर से ज्यादा थी। 1917 में एक रुपए की कीमत 13 अमेरिकी डॉलर थी। अब भले ही एक डॉलर की कीमत 66 रूपए पहुंच गई है|
- हिंदी और अंग्रेजी के अलावा भारतीय नोट में 15 भाषाओं का इस्तेमाल होता है। कोई भी नोट जैसे 10, 20, 50 पर हिंदी और अंग्रेजी के साथ असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और उर्दू में उसकी कीमत लिखी होती है।
- सन 1938 में पहली बार रिजर्व बैंक ने 10,000 रुपए का नोट भारत में छापा था। रिजर्व बैंक ने जनवरी 1938 में पहली पेपर करंसी छापी थी, जो 5 रुपए नोट की थी। इसी साल 10 रुपए, 100 रुपए, 1,000 रुपए और 10,000 रुपए के नोट भी छापे गए थे। लेकिन, 1946 में 1,000 और 10 हजार के नोट बंद कर दिए गए थे। जबकि सन 1954 में एक बार फिर से 1,000 और 10,000 रुपए के नोट छापे गए। साथ ही 5,000 रुपए के नोट की भी छपाई की गई। लेकिन, 1978 में 10,000 और 5,000 के नोट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
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एक रुपए का नोट वित्त मंत्रालय जारी करता है। बाकी सभी नोट जारी करने का अधिकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पास है। इस नोट पर आरबीआई गवर्नर की जगह फाइनेंस सेक्रेटरी का सिग्नेचर होता है।
- भारत में करंसी का इतिहास 2500 वर्ष पुराना हैं। इसकी शुरूआत एक राजा द्वारा की गई थी।
- अंग्रेजों का बस चलता तो आज भारत की करंसी पाउंड होती. लेकिन रुपएकी मजबूती के कारण ऐसा संभव नही हुआ।
- सुरक्षा कारणों की वजह से आपको नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z अक्षर नही मिलेंगे
- RBI, ने जनवरी 1938 में पहली बार 5₹ की पेपर करंसी छापी थी. जिस पर किंग जार्ज-6 का चित्र था। इसी साल 10,000₹ का नोट भी छापा गया था लेकिन 1978 में इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया।
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भारतीय नोट किसी आम कागज के नही, बल्कि काॅटन के बने होते हैं। ये इतने मजबूत होते हैं कि आप नए नोट के दोनो सिरों को पकड़कर उसे फाड़ नही सकते।
- एक समय ऐसा था, जब बांग्लादेश ब्लेड बनाने के लिए भारत से 5 रूपए के सिक्के मंगाया करता था. 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड बनते थे. 1 ब्लेड की कीमत 2 रूपए होती थी तो ब्लेड बनाने वाले को अच्छा फायदा होता था. इसे देखते हुए भारत सरकार ने सिक्का बनाने वाला मेटल ही बदल दिया।
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भारत में आजादी (1947) के बाद सिक्के तांबे के बनते थे। उसके बाद 1964 में एल्युमिनियम के और 1988 में स्टेनलेस स्टील के बनने शुरू हुए।
- रूपया भारत के अलावा इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका की भी करंसी हैं।
- ₹ के इस चिन्ह को 2010 में उदय कुमार ने बनाया था। इसके लिए इनको 5 लाख रूपयें का इनाम भी मिला था।
- भारत में कितने नोट छाप सकते हैं इसका निर्धारण मुद्रा स्फीति, जीडीपी ग्रोथ, बैंक नोट्स के रिप्लेसमेंट और रिजर्व बैंक के स्टॉक के आधार पर किया जाता है।