पूरी दुनिया की इतिहासकारों ने जब भारत वर्ष का अध्ययन किया तो वह आश्चर्यचकित रह गए कि एक ऐसा महान देश जिसने इतनी विराट संस्कृति और सभ्यता का निर्माण किया है, जिसने पूरी दुनिया को और हर संस्कृति को समृद्ध किया है परंतु इतनी महान संस्कृति मुट्ठी भर आक्रांताओं के आगे भरभराते हुए गिर पड़ी।
हिंदुत्व की हार या इस्लाम की विजय:
बड़ी ईमानदारी से जिस भी इतिहासकार ने भारतवर्ष में घुसने वाले मुगल आक्रांताओं पर चर्चा की है उसमें किसी ने भी उन आक्रांताओं को वीर और बहादुर नहीं माना अपितु सबने एक स्वर में यही माना कि यह मुगल आक्रांताओं की जीत नहीं थी अपितु भारत के हिंदू समाज की हार थी क्योंकि विजय तो तब कहा जाए जब की विजई व्यक्ति के प्रतिरोध में कोई शक्ति विराजमान होती ।
इतिहासकारों ने हिंदू समाज की घोर विफलता और असफलताओं को लिखते-लिखते शायद अपना माथा पीट लिया की एक ऐसी विराट संस्कृति जिसका इतना पतन हो गया कि हजारों किलोमीटर का भूगोल मुट्ठी भर आक्रांताओं का प्रतिरोध नहीं कर पाए और 200-400 लड़ाके हिंदु कुश के रास्ते घुसकर बंगाल तक को रौंद डालते हैं और विरोधी करने वाला कोई नहीं मिला ।
जब मुगल आक्रांताओं ने भारत पर आक्रमण किया तो उस समय हिंदू समाज इसे अपने ऊपर आक्रमण ना मानकर सिर्फ राजाओं के ऊपर आक्रमण माना और इसलिए इसके विरुद्ध पूरा समाज नहीं खड़ा हुआ और इस का प्रतिफल हुआ की राज्यसत्ता पर मुगल कायम हो गए ।
उसके बाद 1351 में गद्दी पर बैठते ही फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने ब्राह्मणों पर भी जज़िया लगा दिया। उनके कायम होने के बाद बहुत बड़े धार्मिक वर्ग और ब्राम्हणों पर अत्याचार शुरु हुए और तब हमारा शेष आम हिंदू समाज यही सोचता रहा कि वह सिर्फ धर्म का पतन करेंगे लेकिन समाज की निचली स्थिति बरकरार रहेगी।
और समय के साथ एक समय ऐसा भी आया जब कि हर व्यक्ति के सामने तलवार थी और दो शर्तें थी या फिर जजिया दो या फिर मुसलमान बनो।
टुकड़ों में गुलाम बनाने का कुचक्र:
कैसे हिंदू समाज टुकड़ों में गुलाम बन गया । आज जातिवाद का स्वरूप फिर से हमें टुकड़ों में गुलाम बनाने का कुचक्र है और हर हिंदू को इस बात को समझना चाहिए नहीं तो सब मिटेंगे केवल थोडा आगे पीछे होगा पर सब मिटेंगे ।
यद्यपि 1200 से से लेकर 1451 के 250 वर्षों में हिन्दू समाज ने संगरोध पैदा किया। अछूते राजपुताना को छोड़ बाकी आधे भारत में भी इस्लामिक शासन सिकुड़ गया परन्तु तब तक शत्रु ने इतना काम कर दिया था जिसकी सजा अभी तक हम भुगत रहे हैं। आने वाली पीढ़ियां भी भुगतेंगी।
हमारी वर्तमान स्थिति हमारे भूतकाल के कर्मो का परिणाम है। भविष्य में जो स्थिति होगी वह आज वर्तमान के कर्मो का परिणाम होगा। इसीलिए हिन्दुओ एक बनो और कार्य करो।
“धर्मो रक्षति रक्षितः”