I know 16 types of Sex. Communists, please don’t try to teach me

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सोलह प्रकार से संभोग करके इस राष्ट्र ने ब्रम्हचर्य का व्रत लिया;
आज ये दो कौड़ी के वामपंथी इस देश को सेक्स करना सिखायेंगे l

आज जिस चुम्बन को अभिव्यक्ति की आजादी मानकर समलैंगिकता और बशर्मी को बढाया जा रहा है दरअसल यह बामपंथ की मिटते अस्तित्व की हताशा का परिणाम है|इस देश में कुछ कथित बामपंथी बुद्धीजीवीयों जिस प्रकार से सामाजिक शुचिता और गरिमा को भंग कर सडको पर अभद्र एवम आसामाजिक कृत्योँ से भटके युवाओं के द्वारा प्रदर्शित करवा रहे हैं वह बहुत ही निंदनीय है । इसके पीछे बामपंथी दलील देते हैँ की हम समाज मेँ पीछे की मानसिक ग्रंथियोँ को तोडकर आगे आने के लिए ऐसा कार्य कर रहे । हम समाज की वर्जनाओं को तोड़ रहे हैं |

यदि हम अपनी सांस्कृतिक महायात्रा की विरासत को देखेँ तो हम पाएंगे की वास्तव मेँ संभोग से लेकर मोक्ष तक दुनिया की सबसे उत्कृष्ट सामाजिक शोध परंपरा पर योगदान भारत का रहा है। यहाँ “वर्जनाएँ” व्यक्ति के निजी विचार प्रक्रिया से तय होतीं हैं न की चर्च के पादरी या अरब के शरिया कानूनों से |ऐसी सामाजिक वर्जनाएं तो भारत आदि काल में ही तोड़ चुका है, “कामसूत्र” तो भारत का पुराना पढ़ा हुआ अध्याय है| विचारणीय तथ्य तो यह है की भारत ने कामसूत्र युग को जिया और पुनः ब्रम्हचर्य के व्रत को ही क्यों धारण किया !!! बस इसी कारण भारत के आकर कार्ल मार्क्स, लेनिन और माओ जैसे लोगों की विचार प्रक्रिया भ्रमित हो जाती है|

हमारी संस्कृति और राष्ट्र महिमा को आज हम सभी को समझने की आवश्यकता है की यह कैसा राष्ट्र है जिसने हड़प्पा ओर मोहनजोदड़ो में बडे बडे शयनागार बनाए नालियाँ बनाई परंतु फिर भी उसने एक समान जीवन जीने के लिए नदियों पर सामूहिक स्नान की परंपरा को स्वीकार किया । हमने इंद्रियोँ पर विजय प्राप्त किया उसके बाद हमने कामसूत्र से संसार को ज्ञान दिया। इतना ही नहीँ हमने पूरे संसार को प्रमाणित भी किया कि वास्तव मेँ काम वासना मेँ जो आनंद है उस आनंद को पार करके आगे जाने पर जब हम इंद्रियोँ पर विजय प्राप्त कर आध्यात्म के परमआनंद को पाते हैं तब वास्तवे हमेँ कामवासना मेँ छिपे हुए क्षणिक आनंद की निम्नतम स्थिति का पता चलता है । इसका उदाहरण भी देखिये जितेन्द्रिय “जिन” होने की परंपरा त्रेतायुग से आज तक अखंड चली आ रही है परन्तु कामसूत्र का युग गया और अभी तक नहीं आया है |

आज वामपंथ, जिस चुम्बन, स्पर्शण, केलि को अपनी थाती और पेटेंट मानकर देश की सांस्कृतिक विरासत को ठेंगा दिखा रहा है वह हास्यास्पद है |क्यों की हमारे देश के गौरव शाली परंपरा ने सदियों पहल्रे ही  16 प्रकार के मैथुन और ३ प्रकार के चुबनों के बारे में बता दिया है |कामसूत्र ने बाकायदा “चुम्बनविकल्पास्त्रितियोअध्यायः” तीसरा अध्याय ही चुम्बन पर लिख दिया है |

तद्यथा निमित्तिकम स्फुरितकं घट्टीतकमिति त्रिण कन्याचुम्बनानि  l कामसूत्र तृतीय अध्याय

आज संसार मेँ मेडिकल साइंस सेक्सुअल ट्रांसमिशन डीसीस् (STD) की बात होती है हमारे देश मेँ आयुर्वेद आचार्यों ने संभोग जनित रोगों के बारे मेँ पूरे समाज को हजारोँ वर्षोँ पहले ही चेतन्य कर दिया था l इस देश मेँ इस सामाजिक विचारधारा का नेतृत्व कोई किताब नहीँ करती हे अपितु इस देश के हजारोँ वर्षोँ की महान परंपरा से ही देश का नेतृत्व हो रहा है।

आज एक वर्जना टूटेगी फिर पूरा समाज इस प्रवाह में बह जाएगा क्यों की कामवासना इतनी प्रबल होती है जो हर मर्यादा और सीमाओं को तोड़ कर ही शांत होती है | स्वयं वात्स्यायन में कामसूत्र में लिख भी दिया है की सारा विवेक, शाश्त्र और नियम वासनाओं की संवेग में बह जाता है |

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शाश्त्राणाम विश्यस्तावाद्या वन्मनदरसा नराः |
रतिचक्रे प्रवृत्ते तु नैव शास्त्रं न च क्रमः || कामसूत्र २.२.३१
शास्त्र की मर्यादा और नियमों को ध्यान रखकर प्रेम करने वाला पुरुष निश्चय ही कम उत्तेजना वाला व्यक्ति होगा क्यों की जब रति का ज्वार उठता है तो सभी शास्त्र और नियम  उसमें  बह जाते हैं |”

यह पश्चिम नहीँ है, बामपंथियों को इस बात को समझने की आवश्यकता है। आज भटके हुए युवाओं और युवतियों को समझना चाहिए की एक पतंग आसमान में तभी पहुचता है जब की डोर रुपी मर्यादा उस पतंग के साथ जुडी है | जीवन रुपी पतंग जब सामाजिक अनुशासन रुपी डोर से अलग होगी तो उसे जमीन पर गिरना ही होगा | सामाजिक मर्यादाओं के भंग होने से निर्भया  जैसी घटनाओं का जिम्मेदार कौन होगा ?

वर्जनाए टूटेंगी तो मर्यादाओं के टूटने का हिसाब भी रखना होगा वामपंथ को |

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Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

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