राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) क्या है:
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) एक केन्द्रीय प्रायोजित योजना है जो पात्र राज्य उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं को वित्तपोषित करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में प्रारंभ किया गया था। केन्द्रीय वित्त पोषण (सामान्य वर्ग के राज्यों के लिए 65:35 के अनुपात में और विशेष वर्ग के राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में) मापदंड आधारित और आउटकम अधीन होगा। चिन्हित संस्थानों में पहुंचने से पहले निधियन केन्द्रीय मंत्रालय से राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों के माध्यम से राज्य उच्चतर शिक्षा परिषदों को जाता है। राज्य उच्चतर शिक्षा योजनाओं के समालोचनात्मक मूल्यांकन के आधार पर राज्यों को निधियन दिया जाता है जो उच्चतर शिक्षा में समानता, पहुंच और उत्कृष्टता के मामलों को सुलझाने के लिए राज्य की कार्य योजना की व्याख्या करता है।
21 मार्च, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान‘ (RUSA) को 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2020 तक जारी रखने को स्वीकृति प्रदान की।
RUSA यानि राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान का उद्देश्य:
RUSA वर्तमान स्वायत्त विद्यालयों के प्रोन्नयन और कॉलेजों के समूहिक परिवर्तन द्वारा नए विश्वविद्यालयों को स्थापित करेगा। यह नए मॉडल कॉलेजों, नए व्यावसायिक कॉलेजों को स्थापित करेगा और विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों को सहायता प्रदान करेगा|यह संकाय भर्ती सहायता, संकाय सुधार कार्यक्रम और शैक्षिक प्रशासकों के नेतृत्व संबंधी विकास भी इस योजना के महत्वपूर्ण भाग हैं। कौशल विकास को बढ़ाने के लिए पॉलीटेक्निक की वर्तमान केन्द्रीय योजना को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान‘ के उद्देश्य को प्रस्तुत किया गया है। इनके अतिरिक्त, रूसा भाग लेने वाले राज्यों के संस्थाओं में सुधार, पुनर्गठन और क्षमता विकास संबंधी सहायता भी देता है।
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान का ढांचा:
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान को सांस्थानिक ढांचे के द्वारा कार्यान्वित और निर्देशित किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय मिशन प्राधिकरण, परियोजना अनुमोदन बोर्ड और केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परियोजना निदेशालय और राज्य स्तर पर राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद और राज्य परियोजना निदेशालय शामिल हैं।
रूसा (RUSA) के उद्देश्य और महत्व:
निर्धारित मापदंडों को सुनिश्चित करते हुए राज्य संस्थाओं की समग्र गुणवत्ता में सुधार करना और प्रत्यायन को अनिवार्य गुणवत्ता आश्वासन कार्यढांचे के रूप में अंगीकार करना।
राज्य स्तर पर योजना और मॉनीटरिंग के लिए सांस्थानिक ढांचे का निर्माण करके, राज्य विश्वविद्यालयों में स्वायत्ता प्रोत्साहित करके और संस्थाओं के अभिशासन में सुधार करके राज्य उच्चतर शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी सुधार करना।
संबंधन, शैक्षिक और परीक्षा प्रणाली में सुधारों को सुनिश्चित करना।
सभी उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं में गुणत्तायुक्त संकाय की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित करना और रोजगार के सभी स्तरों में क्षमता निर्माण को सुनिश्चित करना।
उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं को अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में समर्पित करने के लिए योग्य पर्यावरण का निर्माण करना।
वर्तमान संस्थाओं में अतिरिक्त क्षमता का निर्माण करके सांस्थानिक आधार को विस्तार प्रदान करना और नामांकन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नए संस्थानों को स्थापित करना।
असेवित और अल्पसेवित क्षेत्रों में संस्थाओं को स्थापित करके उच्चतर शिक्षा में पहुंच बनाने में क्षेत्रीय असंतुलनों को संतुलित करना।
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को उच्चतर शिक्षा के पर्याप्त अवसर प्रदान करके उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में समानता में सुधार करना; महिलाओं, अल्पसंख्यकों और नि:शक्तजनों के समावेशन को प्रोत्साहित करना।
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