|| श्री गणेश पर्व के पावन अवसर पर सभी को शुभ कामनाएं ||
मै इस गणेश चतुर्थी श्री शंकर महादेवन जी को विशेष शुभ कामनाएं देना चाहूंगा | एक ओर जहां पूरा भारतीय संगीत उद्योग अल्लाह-अल्लाह के साथ इस्लामिकरण की ओर बढ़ रहा है वहीँ श्री शंकर महादेवन जी ने श्री गुलशन कुमार जी की महान परम्परा को आगे बढाते हुए गणेश जी के स्तोत्र को तेलगु पुटों के साथ मिला कर नवीन संगीत के साथ मिलाकर जो नवोन्मेष किया है वो बहुत ही कर्ण प्रिय है |
|| गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ||
|| एकदन्ताय वक्रतुन्डाय गौरीतनयाय धीमहि ||
समय समय पर ऐसे प्रयोग होते रहने से भक्ति का प्रवाह भावना और नवीनता को साथ लेकर अधिक दूर जाती है | जैसे …..
*सुब्बलक्ष्मी और स्वराधिराज पंडित भीमसेन जोशी जी ने शास्त्रीय स्वर में सनातन भक्ति संगीत बहुत सुन्दर गायन किया था | सुब्बलक्ष्मी का विष्णु सहश्रनाम गायन अद्भुत था (यु ट्यूब देखें)| समय के साथ वो आवाज और संगीत अप्रासंगिक हुआ तो इनका स्थान ….
* द्वितीय पीढ़ी में लता मंगेशकर, हरीश भीमानी और मुकेश ने संभाली महाभारत और रामायण में कई चौपाई और श्लोक का गायन हरीश जी ने किया है |
मुकेश जी ने बिना पारिश्रमिक के पूरा रामचरित मानस गाया था| और उसके पूर्ण होने के दिन उन्हें विदेश जाना था और फिर वहाँ से उनका पार्थिव शरीर लौटा था |
* फिर आया समय रविन्द्र जैन, गुलशन कुमार और अनुराधा पौडवाल, कविता कृष्णमूर्ति का |
आज श्री हनुमान चालीसा का गायन गुलशन कुमार की पहचान है |शायद ही कोई हिन्दू हो जिसने गुलशन कुमार की हनुमान चालीसा न सुनी हो |
*अब लगता है इस महान गौरव और विरासत को अगली पीढ़ी में पहुचाने का कार्य “श्री शंकर महादेवन” और “सुश्री श्रेया घोषाल” के कन्धों पर है |
श्री गणेश जी की कृपा से श्री शंकर महादेवन जी यशस्वी हों और भारतीय हिन्दू परंपरा को गायन के माध्यम से गौरवशाली बनायें |……..
…………….एक बार फिर श्री शंकर जी को बहुत बहुत धन्यवाद ……..