विजय मिली विश्राम न समझो ओ विप्लव के थके साथियों विजय मिली विश्राम न समझो उदित प्रभात हुआ फिर भी छाई चारों ओर उदासी ऊपर मेघ भरे बैठे हैं किंतु…
विजय मिली विश्राम न समझो ओ विप्लव के थके साथियों विजय मिली विश्राम न समझो उदित प्रभात हुआ फिर भी छाई चारों ओर उदासी ऊपर मेघ भरे बैठे हैं किंतु…