बिना कोचिंग श्याम सुंदर ने हासिल की 6th रैंक

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तू जिंदा है, तू जिंदगी की जीत पर यक़ीन कर

मूलरूप से मथुरा के गोवर्धन के रहने वाले श्याम सुंदर पाठक पढ़ाई को लेकर हमेशा से ही होनहार रहे। जब वह बुलंदशहर के रेसकोर्स कॉलोनी में रहते थे, तब उन्होंने उत्तराखंड PCS में 20th रैंक पाई थी। इसके बाद से ही उनके घर बधाईयों की झड़ी लग गई। हालांकि उन्होंने इसे ड्रॉप कर दिया था, क्योंकि वह UPPCS में भी 6th रैंक हासिल कर चुके थे।

दरअसल श्याम सुंदर पाठक ने यूपी-पीसीएस-2012 की पीसीएस में भी छठीं रैंक हासिल की थी। उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में हमेशा से ही दिलचस्पी रही है। वह 2008 से इन परीक्षाओं की तैयारी में जुटे थे। खास बात ये है कि इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए जहां लोग कई-कई घंटों की कोचिंग करते हैं, वहीं श्याम सुंदर ने कभी किसी कोचिंग में नहीं गए। उन्होंने खुद ही इन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की।

अमर सिंह इंटर कॉलेज लखावटी में प्रवक्ता के रूप में कार्यरत थे:

आपको बता दें कि जब श्याम सुंदर को उत्तराखंड पीसीएस में 20वीं रैंक मिली थी, तब वह बुलंदशहर के अमर सिंह इंटर कॉलेज लखावटी में प्रवक्ता के रूप में कार्यरत थे। उन्हें उत्तराखंड पीसीएस में जिला शिक्षा अधिकारी का पद मिला था, लेकिन श्याम सुंदर ने यूपी पीसीएस को प्राथमिकता दी। इन दिनों वे आगरा में सेल्‍स टैक्‍स में अस‍िस्‍टेंट कम‍िश्‍नर हैं।

श्याम सुंदर के परिवार की अगर बात करें तो उनके पिता कृषि विभाग में एडीओ के पद पर काम करते हैं। उन्होंने अपनी इस कामयाबी का क्रेडिट भी अपने पिता, मां तुलसी देवी और पत्नी निधि पाठक को दिया। श्याम सुंदर के मुताबिक कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। कड़ी मेहनत करने से ही सक्सेस मिलती है।

अगर देखा जाए तो श्याम सुंदर की बात बिल्कुल सही है। कड़ी मेहनत के बिना जिंदगी में कुछ भी हासिल कर पाना मुश्किल है। उन्होंने 2008 से ही अपनी मेहनत बरकरार रखी और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होते गए। साधारण परिवार से आने वाले श्याम सुंदर ने साबित किया कि अगर इरादे बुलंद हो और सही दिशा में मेहनत की जाए तो कामयाबी जरूर मिलती है।

ऐसे की करियर की शुरुआत:

बेहद सामान्य सी पृष्ठभूमि के श्याम सुंदर पाठक ने रसायन शास्त्र से स्नातकोत्तर करने के बाद अपने करियर की शुरुआत एक टीचर के रूप में की। लेकिन दिल में जज़्बा तो सिविल सेवक बनने  का था। दो संतान होने के बाद उस उम्र में जब लोग तैयारी करके या तो थक जाते हैं या हिम्मत तोड़ जाते हैं, श्याम सुंदर पाठक ने तैयारी शुरू की।

बच्चे होने के बाद की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी:

31 साल की उम्र में श्याम सुंदर पाठक ने तैयारी शुरू की और 3.5 साल के अथक परिश्रम और साधना के बाद सिविल सेवा में पहला चयन पाया। उसके बाद तो फिर लगातार कई सिलेक्शन पाये। पीसीएस 2013 में असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर के पद पर चयन होने के बाद भी पाठक नहीं रुके हैं।

अब बच्चों को दिखाते हैं प्रतियोगी परीक्षा पास करने की राह:

अब अपने जैसे ही अभावग्रस्त, साधनहीन, ग्रामीण और सामान्य पृष्ठभूमि के हजारों प्रतियोगियों के प्रेरणाश्रोत बनकर ‘कामयाबी विद श्याम सुंदर पाठक’ नाम से यूट्यूब चैनल चला रहे हैं। इसके माध्यम से वह उनका निःशुल्क मार्गदर्शन कर रहे हैं। वे प्रतियोगियों के बीच में बेहद लोकप्रिय हैं। श्याम सुंदर पाठक एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो दर्शाते हैं कि कितने भी अभाव क्यों ना आएं, कितने भी बाधाएं आपके रास्ते में क्यों ना आएं लेकिन यदि आपने ठान लिया है तो आपका रास्ता दुनिया में कोई नहीं रोक सकता।


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Shivesh Pratap

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