भारत में योजना आयोग का विकास क्रम | Planning Commission of India
भारत में ब्रिटिश राज के अंतर्गत सबसे पहले 1930 में आधारभूत आर्थिक योजनायें बनाने का काम शुरु हुआ। भारत की औपनिवेशिक सरकार ने औपचारिक रूप से एक कार्य योजना बोर्ड का गठन भी किया जिसने 1944 से 1946 तक कार्य किया। निजी उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों ने 1944 में कम से कम तीन विकास योजनायें बनाईं।
भारत में योजनाओं का लक्ष्य और सामाजिक उद्देश्य संविधान में वर्णित राज्य के “नीति -निर्देशक सिद्धांतो से निर्धारित” हुआ है| योजना आयोग का गठन एक मंत्रीमंडलीय प्रस्ताव के जरिए 15 मार्च, 1950 को किया गया था| आइये जानते है भारत सरकार के योजना आयोग का विकास क्रम कैसे हुआ |
महात्मा गांधी ने कहा था: ‘सतत् विकास जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति हमेशा हठ धर्मिता को बनाए रखने की कोशिश करता है, स्वयं को भटकाव की ओर ले जाता है।’
योजना का विकास क्रम:
- 1934- सर एम विश्वश्वरैया ने अपनी पुस्तक “Planned Economy for India” में 1o वर्षीय योजना प्रस्तुत की थी|
- 1938- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा “पं. जवाहरलाल नेहरू” के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया गया |
- 1944- बम्बई के 8 प्रमुख उद्योगपतियों ने मिलकर एक 15 वर्षीय योजना का प्रारूप प्रस्तुत किया जिसे “बाम्बे प्लान” के नाम से जाना जाता है |
- 1944- श्रीमन्नारायण ने एक “गांधीवादी योजना” प्रस्तुत की|
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1945- भारतीय श्रम संघ के प्रमुख श्री एम,एन. राय द्वारा साम्यवादी सिद्धांतो के आधार पर “जन योजना” प्रस्तुत की|
- 1950- श्री जयप्रकास नारायण ने शोषण विहीन समाज की स्थापना के उद्देश्य से “सर्वोदय योजना” प्रस्तुत की|
- 15 मार्च 1950- योजना आयोग का गठन |
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1951- प्रथम पंचवर्षीय योजना |
- 6 अगस्त 1952- राष्ट्रीय विकास परिषद् का गठन |
- 1966 – 69- 3 वर्षीय योजनाए |
- 1978 – 83- अनवरत योजना|(rolling plan)
- 1990 – 92- 2 वर्षीय योजनाए |
- 15 अगस्त 2014- योजना आयोग की समाप्ति |
- 1 जनवरी 2015- नीति आयोग का गठन |
2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भंग करने की घोषणा कर दी तथा 2015 जनवरी में इसके स्थान पर नीति आयोग के गठन किया गया।