अर्जुन का (छाल) परिचय, उपयोग एवं लाभ | Arjun (Chaal) Information, Uses & Benefits in Hindi

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अर्जुन का (छाल) परिचय, उपयोग एवं लाभ
Arjun (Chaal) Information, Uses & Benefits in Hindi

अर्जुन का वैज्ञानिक नाम: Terminalia arjuna

अर्जुन का अन्य नाम: अर्जुनाख्या, वीर, वीरवृक्ष, धवल, ककुभ 

फैमिली: Combretaceae

अर्जुन का (छाल) परिचय:

#अर्जुन का पेड़ भारत में पाया जाने वाला एक औषधीय पेड़ हैं। लेकिन अधिकांशत: यह मध्य प्रदेश, बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में मिलता है।

अर्जुन का पेड़ 60 से 80 फुट ऊंचा होता है। इस पेड़ की छाल बाहर से सफेद, अंदर से चिकनी, मोटी तथा हल्का गुलाबी रंग लिए होती है।

इसका स्वाद कसैला, तीखा होता है तथा गोदने पर पेड़  से एक प्रकार का दूध निकलता है।

इसके तने गोल और मोटे होते है तथा पत्ते अमरूद के पत्तों की तरह 4 से 6 इंच लंबे और डेढ़ से दो इंच चौड़े होते हैं।

सफेद रंग के डंठलों पर बहुत छोटे-छोटे फूल हरित आभायुक्त सफेद या पीले रंग के और सुगन्धित होते हैं।

फल 1 से डेढ इंच लंबे, 5-7 उठी हुई धारियों से युक्त होते हैं जो कि कच्चेपन में हरे और पकने पर भूरे लाल रंग के होते हैं।

अर्जुन का (छाल) उपयोग एवं लाभ:

हृदय रोग के लिए महाऔषधि है:

-अर्जुन की मोटी छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में मलाई रहित एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।

-अर्जुन की छाल को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को किसी कपड़े द्वारा छानकर रखें। प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय का घी और मिश्री मिलाकर सेवन करने से हृदय की निर्बलता दूर होती है।

हड्डी टूटने पर लाभ:

-प्लास्टर चढ़ा हो तो अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती है।

-टूटी हड्डी के स्थान पर भी इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बांधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।

मधुमेह में लाभ:

-अर्जुन के पेड़ की छाल और जामुन के बीजों को पीस कर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण का रोज सोते समय गुनगुने पानी के साथ सेवन करें. इस उपाय से मधुमेह के रोगियों को वाकई फायदा होता है|

मुंह के छाले में लाभ:

-अर्जुन की छाल के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर छालों पर लगायें। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

खांसी में लाभ:

-अर्जुन की छाल को सुखाकर और कूट कर महीन चूर्ण बना लें। फिर ताजे हरे अडूसे के पत्तों का रस निकालकर इस चूर्ण में डाल दें और चूर्ण सुखा लें। इस चूर्ण को छोटा आधा चम्मच मात्रा में शहद में मिलाकर चटाने से रोगी को खांसी में आराम मिलता है।

ताकत को बढ़ाने में लाभ:

-दूध तथा गुड़, चीनी आदि के साथ जो अर्जुन की छाल का पाउडर नियमित रूप से लेता है, उसे हृदय रोग, जीर्ण ज्वर, रक्त-पित्त कभी नहीं सताते और वह चिरंजीवी होता है।

पीलिया में लाभ:

-आधा चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण जरा-सा घी में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम लेना चाहिए।

शरीर के सूजन में लाभ:

-इसकी छाल का बारीक चूर्ण लगभग 5 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा में क्षीर पाक विधि से (दूध में पकाकर) खिलाने से हृदय मजबूत होता है और इससे पैदा होने वाली सूजन खत्म हो जाती है।

-लगभग 1 से 3 ग्राम की मात्रा में अर्जुन की छाल का सूखा हुआ चूर्ण खिलाने से भी सूजन खत्म हो जाती है।

बुखार में लाभ:

-अर्जुन की छाल का 40 मिलीलीटर क्वाथ (काढ़ा) पिलाने से बुखार छूटता है।

दमा या श्वास रोग में लाभ:

अर्जुन की छाल कूटकर चूर्ण बना लेते हैं। रात को दूध और चावल की खीर बना लेते हैं। सुबह 4 बजे उस खीर में 10 ग्राम अर्जुन का चूर्ण मिलाकर खिलाना चाहिए। इससे श्वांस रोग नष्ट हो जाता है।

अर्जुन के छाल के नुकसान (Side Effects of Arjun Chhal):

-अधिक मात्रा में सेवन आपके लीवर को नुकसान पंहुचा सकती है|

-pregnancy और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को अर्जुन का उपयोग नहीं करना चाहिए| उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

 

 


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Shweta Pratap

I am a defense geek

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