कालमेघ का पौधा, उपयोग एवं लाभ
Kalmegh Tree of Uses & Benefits in Hindi
कालमेघ का वैज्ञानिक नाम: अन्द्रोग्रफिस पनिचुलाता
संस्कृत नाम: भूनिंब,कालमेघ
हिंदी नाम: कल्पनाथ
अंग्रेजी नाम: Andrographis Paniculata
वनस्पति का प्रकार: शाकीय
कालमेघ का (पौधा) परिचय:
कालमेघ आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सा में प्रयोग किया जाने वाला एक बहुवर्षीय शाक जातीय पौधा है।
इस पौधे के सभी भागो का प्रयोग ओषधि के रूप में किया जाता हैं।
कालमेघ का पौधा भारत एवं श्रीलंका का मूल निवासी है तथा दक्षिण एशिया में व्यापक रूप से इसकी खेती की जाती है।
इस पौधे की पत्तियाँ हरी एवं पत्तियाँ 5-8 से.मी. लंबी और 1-1.25 से.मी. चौड़ी और तीक्ष्ण होती है।
इसके फूल छोटे और गुलाबी रंग के दलपुंज के साथ होते है जो बाहर की ओर रेशेदार होते है।
#कालमेघ का फल 20 मिमी लंबे, 3 मिमी चौड़े, रेखिक – आयताकार और दोनो सिरो पर तीक्ष्ण होते है। इसके बीज अनेक और पीले, भूरे रंग के होते है।
#कालमेघ में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता पाई जाती है|
कालमेघ का औषधीय उपयोग एवं लाभ:
कालमेघ के सम्पूर्ण पौधे को मलेरिया, ब्रोंकाइटिस, यकृत विकार, हेपेटाइटिस, पेचिस, कब्ज, लिवर, तीव्र ज्वर, आदि बिमारियों को ठीक करने के लिए औषधीय एवं होम्योपैथिक चिकित्सा में दवाई के रूप में प्रयोग में लाया जाता हैं।
घाव और फोड़े-फुुंसी में लाभ:
कालमेघ घाव और फोड़े-फुुंसी को भी दूर करता है। इसके लिए कालमेघ को पानी में उबाल कर उस पानी से घाव को साफ करने पर घाव जल्दी ठीक होता है।
गैस व एसिडिटी में लाभ:
गैस व एसिडिटी में इसके पत्तों का रस पानी में मिला कर पीने से फायदा होता है।
बुखार में लाभ:
बुखार में इस 1-2 चम्मच इस रस का सेवन करने से फायदा होता है। दिन में 3 बार लेने से शरीर का तापमान कम हो जाता है।
पेट के कीड़े को मारने में लाभ:
बच्चों के पेट के कीड़े को मारने में भी यह फायदेमंद है। इसके लिए 1/2 चम्मच कालमेघ के पत्तों के रस में 2 चम्मच कच्ची हल्दी और चीनी मिलकार पीएं।
खून साफ करने में लाभ:
इसके पत्तों को साफ करके पानी में उबालें। फिर उन्हें छान कर रोज एक गिलास पीएं। इससे खून साफ होगा।
मलेरिया में लाभ:
मलेरिया में कालमेघ का प्रयोग काली मिर्च के साथ किया जाता है। यह मलेरिया के वक्त नष्ट हुए सैल को भी ठीक करता है।