हर क्षेत्रीय मंदिरों की समस्याएं अशिक्षा व अव्यवस्था

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हर क्षेत्रीय मंदिरों की समस्याएं अशिक्षा व अव्यवस्था

मेरे गांव में 100 वर्ष पुराना श्री सांगवेद स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय है। इस पाठशाला के फाउंडर प्रधानाचार्य रहे श्री हरिशंकर ओझा जी का नाम राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के Who is Who में सम्मिलित है। ज्योतिष के उद्भट विद्वान थे और हमारे पूरे समाज को शिक्षित करने का श्रेय इसी पाठशाला को है। मैं अपने क्षेत्र के विद्वत्ता ह्रास से बहुत दुखी रहता हूं। परंपराएं जब गुणवत्ता को विलुप्त कर दें तो संस्कृतियों का लुप्त होना रोका नहीं जा सकता। हमारे ग्राम देवता तामेश्वरनाथ भगवान शिव के दरबार में ही गौतम बुद्ध का मुंडन हुआ था। ऐसी मान्यता है की इस दरबार में मुंडन कराने से बालक मेधावी और बुद्धिमान होता है।

ब्राह्मण वर्ग की अशिक्षा:

मंदिर के संचालक इसी गांव के गोस्वामी लोग हैं। पिछली पीढ़ी तक अच्छे, ज्ञानानुरागी लोग थे फिर प्रारंभ होता है 1990 के बाद का दौर और चढ़ावे पर बंदर बांट को व्याकुल गोसाईं लोगों का दौर। आज इस मंदिर समूह के संचालकों की स्थिति का अंदाजा इन चित्रों से लगा सकते हैं जिन्हें “शिवलिंग” भी सही से लिखना नहीं आता। एक रुपए के चढ़ावे पर गिद्ध दृष्टि लगाए हाफ पैंट पहने मैले-कुचैले बच्चे और बेलपत्रों के ढेर से पैसे ढूंढते इस चढ़ावा लोलुप समाज में स्व का बोध समाप्त हो चुका है। पूरा समाज नशे की जबरदस्त गिरफ्त में है।
मंदिर के पास जितना पैसा आता है कम से कम एक उत्कृष्ट शोध संस्थान, पुस्तकालय होना चाहिए। प्रतिवर्ष कम से कम 10 मेधावी गोस्वामी समाज के बच्चों को उच्च शिक्षा हेतु तथा शांकर पीठों में धर्म की शिक्षा हेतु भेजा जाता, वो लौटकर आते एवम समाज में मंदिरों में अपना योगदान देते तो आज इस निम्नता की नौबत न आती की आराध्य भगवान का नाम ही गलत लिखा जाए।

चढ़ावे की बंदरबांट:

लेकिन चढ़ावे की बंदरबांट में इन सतत विकास के लक्ष्यों और अपने समाज को आगे बढ़ाने के बारे में कौन सोचे? साथ ही क्षेत्रीय राजनीति में इन मंदिरों को अपने प्रचार प्रसार से हाईजैक कर रखा है। समाज तेजी से ह्रास होते अपने धार्मिक आध्यात्मिक ज्ञान की ओर ध्यान नहीं दे रहा। ऐसे में मंदिर और आध्यात्मिक केंद्र ऊर्जाहीन बन जायेंगे यह चिंतनीय है और क्या यह देश में कुकुरमुत्तों की तरह फैल रहे मस्जिदों/ मजारों के विरुद्ध हिंदू समाज की धार्मिक सत्ता का नेतृत्व कर पाएंगे?

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Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

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