जीआई टैग क्या होता है एवं महत्व? भारत में GI टैग कैसे प्राप्त करें? GI Tag in Hindi

Spread the love! Please share!!

जीआई टैग क्या होता है एवं इसका महत्व?

Geographical Indication का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।

GI Tag को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये Paris Convention for the Protection of Industrial Property के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीआई का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।

महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू तथा मध्य प्रदेश के झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।

जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी अलग पहचान का सबूत है। कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी GI पहचान वाले उत्पाद हैं।

वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।

वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है। भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।

हिमाचल का काला जीरा, छत्तीसगढ़ का जीराफूल और ओडिशा की कंधमाल हल्दी इत्यादि भी GI TAG वाले उत्पाद हैं।

GI यानि Geographical Indication टैग विवाद:

पाकिस्तान, यूरोपीय संघ (European Union- EU) से बासमती चावल को अपने उत्पाद के रूप मान्यता प्राप्त करने के लिये भारत के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है।

हाल ही में पाकिस्तान ने बासमती (Basmati) चावल को अपने भौगोलिक संकेतक अधिनियम, 2020 के तहत भौगोलिक संकेत (Geographical Indication- GI) का टैग दिया है।

ओडिशा के रसगुल्ले को जीआई (GI) टैग प्रदान किया गया।रसगुल्ले के लिए जीआई टैग को लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मध्य विवाद चल रहा था।पश्चिम बंगाल के रसगुल्ले को 2017 में ही जीआई टैग प्रदान कर दिया गया था।

GI Tag से होने वाले लाभ:

जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले उत्पादन को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
GI Tag के द्वारा उत्पादों के अनधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है।
यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाली वस्तुओं का महत्व बढ़ा देता है।
GI Tag के द्वारा स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है।
GI Tag द्वारा टूरिज्म और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
जीआई टैग के द्वारा सदियों से चली आ रही परंपरागत ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धन किया जा सकता है।

भारत में GI टैग कैसे प्राप्त करें:

भारत में जीआई टैग का विनियमन वस्तुओं के भौगोलिक सूचक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 के अंतर्गत किया जाता है।

वस्तुओं के भौगोलिक सूचक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 15 सितंबर, 2003 से लागू हुआ था।

जीआई टैग का अधिकार हासिल करने के लिए चेन्नई स्थित जी आई डेटाबेस में अप्लाई करना पड़ता है।

एक बार जीआई टैग का अधिकार मिल जाने के बाद 10 वर्षों तक जीआई टैग मान्य होते हैं। इसके उपरांत उन्हें फिर रिन्यूवल कराना पड़ता है।

भारत में जीआई टैग का मुख्यालय कहाँ है?

Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) के ऑफिस में चेन्नई में इस संस्था का हेडक्वाटर है। ये संस्था एप्लीकेशन चेक करेगी एवं देखेगी कि दावा कितना सही है। पूरी तरह से छानबीन करने और संतुष्ट होने के बाद उस प्रॉडक्ट को जीआई टैग मिल जाएगा।


Spread the love! Please share!!
Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is the copyright of Shivesh Pratap.