विद्यालय शिक्षा में डिजिटल साक्षरता का महत्व
Digital Literacy Meaning in Hindi
डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) क्या है?
डिजिटल साक्षरता का आशय उन तमाम तरह के साक्षरता से है, जो इंटरनेट का प्रयोग करने और डिजिटल संसार के अनुकूल बनने के लिये किसी व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं। चूँकि मोबाइल तकनीकि के कारण इंटरनेट की सुगमता और बढ़ता प्रभाव, प्रिंट माध्यम का दायरा धीरे-धीरे कम करता जा रहा है और ऑनलाइन उपलब्ध जानकारियों का दायरा व्यापक होता जा रहा है इसलिये ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी को समझने के लिये डिजिटल साक्षरता आवश्यक है।
#डिजिटल साक्षरता के महत्त्व को देखते हुए ही भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आने वाले निजता के अधिकार और शिक्षा के अधिकार का एक हिस्सा बनाते हुए इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया है।
डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) क्यों आवश्यक है?
- वर्ष 2016 के मध्य में जारी एक रिपोर्ट में सामने आया था कि भारत में डिजिटल साक्षरता की दर 10% से भी कम है।
- भारत में केवल 12.5% छात्र ऐसे हैं जिनके पास इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है।
- NSSO द्वारा शिक्षा पर किये गए सर्वे से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, भारत में केवल 27% परिवार ही ऐसे हैं जहाँ किसी एक सदस्य के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। इंटरनेट की सीमित उपलब्धता डिजिटलीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी समस्या है।
- भारत में अधिकांश मोबाइल व इंटरनेट उपयोगकर्त्ता शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि हम जानते हैं कि भारत की कुल आबादी का 67 प्रतिशत भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। इनके लिए डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) की आवश्यकता है।
- किसी व्यक्ति के पास मोबाइल फोन का होना ‘डिजिटल’ होने का प्रमाण नहीं है। यहाँ तक कि यदि कोई व्यक्ति स्मार्टफोन का उपयोगकर्त्ता है, तो भी वह स्वयं को ‘डिजिटल सेवी’ नहीं कह सकता है, जब तक कि उसके पास इंटरनेट कनेक्टिविटी न हो और वह इंटरनेट पर प्रासंगिक और समय पर जानकारी प्राप्त करना न जानता हो।
- भारत में लगभग 16 प्रतिशत महिलाएँ मोबाइल इंटरनेट से जुड़ी हैं। जो डिजिटलीकरण की दिशा में लैंगिक विभेद का स्पष्ट रेखांकन करता है।
- उपरोक्त आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि भारत का इंटरनेट का आधार काफी व्यापक है जिसके कारण यहाँ डिजिटल साक्षरता का विषय काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है।
डिजिटल साक्षरता में सरकार के प्रयास (digital literacy program in India):
भारतनेट कार्यक्रम:
यह विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण broadband सम्पर्क का कार्यक्रम है। यह शत-प्रतिशत Make in India के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है अर्थात् इसमें कोई विदेशी कंपनी का सहयोग नहीं लिया जा रहा है है। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को पंचायत स्तर तक पहुँचा देना है।
सरकार ने इस नेटवर्क को दूरसंचार सेवा के लिए उपलब्ध कराया है और ग्रामीण क्षेत्रों में आवाज, डेटा और वीडियो के संचरण के लिए एक राजमार्ग के रूप में नेटवर्क की परिकल्पना की है। इस परियोजना का उद्देश्य राज्यों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करके ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में नागरिकों और संस्थानों को सस्ती ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करना है।
- इस परियोजना का उद्देश्य राज्यों तथा निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी से ग्रामीण तथा दूर-दराज़ के क्षेत्रों में नागरिकों एवं संस्थानों को सुलभ ब्रॉडबैंड सेवाएँ उपलब्ध कराना है।
- भारतनेट परियोजना के तहत 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये हाईस्पीड ब्रॉडबैंड, किफायती दरों पर उपलब्ध कराया जाना है। इसके तहत ब्रॉडबैंड की गति 2 से 20 Mbps तक निर्धारित करने का लक्ष्य रखा गया।
- इस परियोजना का वित्तपोषण Universal Service Obligation Fund (USOF) द्वारा किया गया था।
- इसके तहत स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों एवं कौशल विकास केंद्रों में इंटरनेट कनेक्शन नि:शुल्क प्रदान किया गया।
राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018:
- प्रत्येक नागरिक को 50 Mbps की गति से यूनिवर्सल ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- सभी ग्राम पंचायतों को वर्ष 2020 तक 1.00 Gbps तथा वर्ष 2022 तक 10.00 Gbps की कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- राष्ट्रीय फाइबर प्राधिकरण बनाकर राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड की स्थापना करना।
- ऐसे क्षेत्र जिन्हें अभी तक कवर नहीं किया गया है के लिये कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना।
- डिजिटल संचार क्षेत्र के लिये 100 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित करना।
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) पारितंत्र का विस्तार आपस में जुड़े 5 बिलियन उपकरणों तक करना।
- व्यक्ति की निजता, स्वायत्तता तथा पसंद को सुरक्षित रखने वाले डिजिटल संचार के लिये व्यापक डाटा संरक्षण व्यवस्था का निर्माण करना।
- वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की सक्रिय भागीदारी हेतु सहायता देना।
राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन:
राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन का मुख्य उद्देश्य पूरे राज्यों /संघ शासित प्रदेशों के, ग्रामीण क्षेत्रों में छः करोड़ लोगों को डिजिटल साक्षर बनाना है, प्रत्येक पात्र परिवार के एक सदस्य को कवर करने के द्वारा लगभग 40% ग्रामीण परिवारों तक पहुंचना है।
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों को कम्प्यूटर चलाने या डिजिटल एक्सेस डिवाइसें (जैसे टैबलेट, स्मार्ट फोन आदि), ई-मेल भेजना और प्राप्त करना, इंटरनेट ब्राउज़ करना, सरकारी सेवाओं का उपयोग करना, सूचना के लिए खोज करना, डिजिटल भुगतान शुरू करना , आदि और इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी और संबंधित अनुप्रयोगों विशेषकर डिजिटल भुगतान राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाता है ।
इस प्रकार इस योजना का उद्देश्य डिजिटल विभाजन को जोड़ने के लिए है, विशेषकर ग्रामीण आबादी लक्ष्य करते हुए, जिसमें अनुसूचित जाति (अजा) /अनुसूचित जनजाति (एसटी), गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल), महिलाएं, निःशक्तजनों और अल्पसंख्यकों जैसे समाज के हाशिये वाले वर्ग शामिल हैं।
- राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन की शुरुआत वर्ष 2020 तक भारत के प्रत्येक घर में कम-से-कम एक व्यक्ति को डिजिटल साक्षर बनाने के उद्देश्य से की गई है।
- इस परियोजना का उद्देश्य तकनीकी दृष्टि से निरक्षर वयस्कों की मदद करना है ताकि वे तेज़ी से डिजिटल होती दुनिया में अपना स्थान खोज सकें।
डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) के लाभ:
आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 तक भारत में अनुमानतः 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्त्ता मौजूद होंगे, जो कि काफी बड़ी संख्या है।
उल्लेखनीय है कि भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन बाज़ार है, जहाँ लगभग 460 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्त्ता मौजूद हैं।
डिजिटल प्लेटफार्म देश के सभी लोगों को सरकार से संवाद हेतु एक व्यापक और पारदर्शी मंच देता है।
डिजिटल साक्षरता से आर्थिक क्रांति को भी बल मिलेगा।
डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने व डिजिटल डिवाइड को दूर करने के लिये इंटरनेट का उपयोग और डिजिटल साक्षरता एक-दूसरे पर परस्पर सहयोगी सिद्ध होगा।