संसार के सबसे तेज मैग्लेव ट्रेन के बारे में कुछ रोचक तथ्य

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भारत के प्रधानमंत्री मोदी के तेज रफ़्तार वाले भारत के स्वप्न को साकार करने के लक्ष्य के साथ ही रेलवे द्वारा वायुसेवा कितनी श्रेष्ठता बनाये रखने के क्रम में सरकार ने कुछ कंपनियों से देश में द्रुतगामी नेटवर्क रेलों के लिए संपर्क किया है | इसके लिए मैग्लेव तकनिकी वाले रेल नेटवर्क के विकास की प्रबल संभावना है |

संसार के सबसे तेज मैग्लेव ट्रेन के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  1. मैग्लेव का अर्थ है मैग्नेटिक लेविटेशन, जिसमे चुम्बकीय शक्ति के आकर्षण और प्रतिकर्षण के सिद्धांत का पालन कर के ट्रेन को पटरी पर आगे की और चुम्बकीय शक्ति से सरकाया जाता है |
  2. मैग्लेव ट्रेन की पहियां जब 100 किलोमीटर प्रति घंटे का रफ्तार पकड़ लेती है तो पहियों और पटरियों के बीच चुंबकीय शक्ति के जरिये ट्रेन पटरियों से लगभग 10 सेंटीमीटर ऊपर उठकर चलने लगती है।
  3. पटरी से ऊपर चलने के कारण रोलिंग घर्षण की अनुपस्थिति का मतलब है कि रख रखाव और टूट फुट की कम से कम सम्भावना | मैगलेव ट्रेन में परंपरागत ट्रेनों जैसा इंजन नहीं होता है। इसकी तकनीक में बदलाव कर इसे दुनिया की सबसे तेज रफ्तार की ट्रेन बनाया गया है।
  4. मैग्लेव रेलवे का डिजाइन ऐसा है कि पटरी से उतरना लगभग असंभव है |
  5. मैग्लेव सामान्य रेल गाड़ियों की तुलना में 30% कम ऊर्जा का उपयोग करता है |

    TGV HIGH SPEED TRAIN FRANCE
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  6. शंघाई मैग्लेव प्रति घंटे 430 किलोमीटर (267 मील) के शीर्ष गति से यात्रा करता है। दुनिया की सबसे तेज ट्रेन, फ्रांस की मैग्लेव ट्रेन टीजीवी, अप्रैल 2007 में प्रति घंटे 574.8 किमी प्रति घंटे (357.2 मील) की रिकार्ड गति दर्ज की गई।

  7. जानकारी के मुताबिक टेस्ट रन के दौरान मैग्लेव ने महज 1.8 किमी की दूरी में ही शून्य से 600 किमी प्रति घंटा की रफ्तार हासिल कर ली थी।
  8. मैग्लेव ट्रेनों, आपरेशन के दौरान कोई वायु प्रदूषण का उत्पादन नहीं करता है क्योंकि कोई ईंधन का प्रयोग नहीं होता है | चुम्बकीय शक्ति हेतु विद्युत् का प्रयोग करते हैं |
  9. अगर थ्योरी के हिसाब से देखें तो मैगलेव ट्रेन 67 घंटे से भी कम समय में पूरी धरती के व्यास का चक्कर लगा सकती है।

  10. जापान की हाई स्पीड मैग्लेव ट्रेन इलेक्ट्रो-डायनमिक सस्पेंशन की प्रणाली का इस्तेमाल कर चलती है।
  11. जापान रेलवे सेंट्रल के मुताबिक साल 2027 तक उनकी मैग्लेव ट्रेन पूरी तरह सर्विस में आ जाएगी। इससे टोक्यो और नगोया के बीच की 286 किलोमीटर की दूरी को तय किया जा सकेगा।
  12. जापान की बुलेट ट्रेन टोक्यो से नागोया पहुंचने में 88 मिनट का समय लेती है, जबकि मैगलेव ट्रेन इस दूरी को 40 मिनट में तय करेगी। अगर ये ट्रेन भारत की पटरियों पर दौड़ेगी तो बिहार से दिल्ली तक पहुंचने में मात्र डेढ़ घंटे लगेंगे।

  13. फेराइट (एक लोहे के यौगिक) या अलनिको से बना मैग्नेट (लोहा, एल्युमीनियम, निकल, कोबाल्ट, और तांबे का मिश्र) जो इसमें लिफ्ट में मदद करता है साधारण मैग्नेट तुलना में एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र का उत्पादन करता है और निर्देशित ‘गाइडवे’ पर ट्रेन बोगियों को चैनलाइज करके चलता है |
  14. धरती पर सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर चीता भी अधिकतम 120 किमी प्रति घंटे का रफ्तार पकड़ सकता है, जबकि मैग्लेव ट्रेन की रफ्तार 603 किमी प्रचि घंटा है। इससे आप इसकी रफ्तार का अंजादा लगा सकते है।
  15. मैग्लेव ट्रेन ट्रैक के निर्माण की लागत बहुत खर्चीली है क्यों की पटरियों के निर्माण में स्कैंडियम, अट्रियम जैसे कुछ दुर्लभ पृथ्वी के तत्व और 15 लैंथेनाइड्स की आवश्यकता होती है |
  16. मैग्लेव ट्रेन के पहली रुट टोक्यो से नागोया तक को बनाने में जापान ने 100 अरब डॉलर खर्च किए थे। लागत बहुत ज्यादा हो गई तो जापान ने उसे दूसरे देशों क बेचने का फैसला किया है।

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Shivesh Pratap

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2 thoughts on “संसार के सबसे तेज मैग्लेव ट्रेन के बारे में कुछ रोचक तथ्य

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