एसईजेड या विशेष आर्थिक क्षेत्र क्या है?
भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक इकाईयों को स्थापित किया। इतना ही नहीं, भारत पहला एशियाई देश है, जिसने निर्यात को बढ़ाने के लिए सन 1965 में कांडला में एक विशेष क्षेत्र की स्थापना की गई थी। इसे निर्यात प्रकिया क्षेत्र (एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन/EPZ) नाम दिया गया था।
2 दशकों में भारत लगातार वैश्विक सेवा क्षेत्र में अपनी पैठ बनाता जा रहा है | इस तरह निर्यात प्रोत्साहन और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र विक्सित करने की नीति बनाई जिससे की निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा भी देश में आये और रोजगार सृजन के अवसर भी मिले |
SEZ की स्थापना कब हुई:
एसईजेड को आर्थिक विकास का पैमाना बनाने के लिए इसे उच्च गुणवत्ता तथा अधोसंरचना से युक्त किया जाता है तथा इसके लिए सरकार ने वर्ष 2000 में विशेष आर्थिक जोन नीति भी बनाई है, जिससे अधिक से अधिक विदेशी निवेशक भारत में आएं।
इस नीति का एकमात्र उद्देश्य व्यापार को बढ़ावा देना है। इससे विदेशी निवेश बढ़ेगा तथा किसी भी पूर्व निर्धारित मूल्य संवर्धन या न्यूनतम निर्यात संवर्धन निष्पादन के लिए आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा।
सरकार की दृष्टि की परिणति, विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 के रूप में पारित की गई, जिसका उद्देश्य निर्यात के लिए आधिकारिक तौर पर अनुकूल मंच प्रदान करना है। नए अधिनियम में एसईजेड इकाईयों तथा एसईजेड विकसित करने वालों के लिए कर में छूट का प्रावधान भी किया गया है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अधिनियम, 2005 के अनुसार, जो भी ईकाइयां SEZ में स्थापित की जाएंगी उन्हें पांच वर्षों तक कर में 100% की छूट दी जाएगी। इसके बाद अगले पांच वर्ष कर में 50% छूट दी जाएगी। इसके बाद के अगले पांच वर्ष तक निर्यात से होने वाले मुनाफे पर 50% की छूट दिए जाने का प्रावधान है। एसईजेड विकसित करने वालों को भी 10 से 15 वर्ष की समय सीमा के लिए आयकर में 100% छूट का प्रावधान किया गया है।
इन प्रावधानों के अलावा, यह अधिनियम, आयात-निर्यात एवं वैश्विक स्तर पर मुक्त व्यापार को स्थापित करने में सहायक है। साथ ही आयात एवं निर्यात के लिए विश्व स्तर की सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहा हे। इस अधिनियम का उद्देश्य एसईजेड को आधिकारिक रूप से सशक्त बनाने तथा उसे स्वायत्तता प्रदान करना है जिससे एसईजेड से जुड़ी जांच एवं प्रकरणों का निपटारा जल्द से जल्द किया जाए।
एसईजेड (SEZ) का क्या मॉडल है:
वर्तमान में एसईजेड को निजी या सार्वजनिक क्षेत्र स्थापित कर सकता है या फिर इसे किसी के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम के तहत भी स्थापित किया जा सकता है।
एसईजेड में वस्तुओं के निर्माण, सेवाओं की उपलब्धता, निर्माण से संबंधित प्रक्रिया, व्यापार, मरम्मत एवं पुननिर्माण इत्यादि का कार्य किया जा रहा है।
SEZ प्रबंधन का मॉडल:
एसईजेड को तीन स्तरीय प्रशासनिक व्यवस्था से नियंत्रित किया जाता है। एक शीर्ष निकाय अनुमोदन बोर्ड की तरह कार्य करता है और यह अनुमोदन समिति के साथ क्षेत्रीय स्तर पर एसईजेड से संबंधित मामलों से सरोकार रखता है। क्षेत्रीय स्तर पर एसईजेड की स्थापना के लिए ज़ोन स्तर की अनुमोदन समिति से अनुमति लेना आवश्यक है।
एसईजेड की इकाईयों के प्रदर्शन का समय-समय पर विश्लेषण किया जाता है। यह विश्लेषण अनुमोदन समिति करती है तथा अनुमोदन करने की शर्तों का अथवा विदेशी व्यापार अधिनियम (विकास एवं विनियमन) का उल्लंघन होने पर संबंधित इकाई या संगठन को दंडित करने के लिए भी यही जिम्मेदार है।
एक SEZ किसके द्वारा स्थापित किया जा सकता है:
- केंद्र सरकार
- राज्य सरकार
- प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
- लिमिटेड कंपनी
- विदेशी कंपनी
- संयुक्त रूप से ऊपर के किसी भी द्वारा
भारत सरकार द्वारा स्थापित SEZ:
- KASEZ, कांडला विशेष आर्थिक क्षेत्र गांधीधाम, गुजरात
- SEEPZ, विशेष आर्थिक क्षेत्र बम्बई, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रत्न व्यापर प्रोत्साहन हेतु |
- NSEZ, नोएडा विशेष आर्थिक क्षेत्र नोएडा, विविध व्यापर प्रोत्साहन हेतु |
- MEPZ, विशेष आर्थिक क्षेत्र चेन्नई, तमिलनाडु विविध व्यापर प्रोत्साहन हेतु |
- CSEZ, कोचीन विशेष आर्थिक क्षेत्र कोचीन, केरल विविध व्यापर प्रोत्साहन हेतु |
- FSEZ, फलटा विशेष आर्थिक क्षेत्र फलटा, पश्चिम बंगाल, विविध व्यापर प्रोत्साहन हेतु |
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में अब तक 436 विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) को औपचारिक मान्यता मिल चुकी है एवं चिन्हित कर औद्योगिक प्रोत्साहन का कार्य हो रहा है |
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