शंखपुष्पी की जानकारी, उपयोग एवं लाभ
Shankhpushpi Information, Uses & Benefits in Hindi
शंखपुष्पी का वानस्पतिक नाम: Convolvulus pluricaulis
संस्कृत नाम: शंखपुष्पी, क्षीरपुष्पी, शंखमालिनी
फूलों के भेद से 3 प्रकार की होती है: (1) सफेद फूल
(2) लाल फूल
(3) नीला फूल
शंखपुष्पी का जानकारी:
शंखपुष्पी पर शंख की आकृति वाले सफ़ेद रंग के पुष्प आते है, अतः इसे शंखपुष्पी नाम दिया गया है।
भारत के समस्त पथरीली भूमि वाले जंगलों में पायी जाती है।
शंखपुष्पी का पौधा लगभग 1 फुट ऊंचा होता है और इसकी पत्तियां 1 से लेकर 4 सेमी. तक लम्बी होती है इसके पत्तों को अगर हम मसले तो हमें मूली के पत्तो जैसी सुगंध आने लगेगी| शंखपुष्पी के पौधे की शाखाएं पतली सफ़ेद रंग की होती है|
शंखपुष्पी का पौधा
शंखपुष्पी का उपयोग एवं लाभ:
स्मरण शक्ति: प्राय: छात्र -छात्राओं के पत्रों में दिमागी ताकत और स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए गुणकारी ओषधि बताने का अनुरोध पढने को मिलता रहता है l छात्र- छात्रओं के अलावा ज्यदा दिमागी काम करने वाले सभी लोगों के लिए शंखपुष्पी का सेवन अत्यन्त गुणकारी सिद्ध हुआ है l (इसका बारीक़ पिसा हुआ चूर्ण, एक-एक चम्मच सुबह- शाम मीठे दूध के साथ के साथ सेवन करना चाहिए l)
शुक्रमेह में : आधा चम्मच काली मिर्च और शंखपुष्पी का पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का 1 चम्मच चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ कुछ सप्ताह सेवन करने से शुक्रमेह का रोग खत्म हो जाता है।
हिस्टीरिया: 100 ग्राम शंखपुष्पी, 50 ग्राम वच और 50 ग्राम ब्राह्मी को मिलाकर पीस लें। इसे 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोज 3 बार कुछ हफ्ते तक लेने से हिस्टीरिया रोग में लाभ होता है।
मिर्गी में : ताजा शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का रस 4 चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से कुछ महीनों में मिर्गी का रोग दूर हो जाता है।
थायराइड-ग्रंथि के स्राव से उत्पन्न दुष्प्रभाव : शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का चूर्ण बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से धड़कन बढ़ने, कंपन, घबराहट, अनिंद्रा (नींद ना आना) में लाभ होगा।
उच्च रक्तचाप : शंखपुष्पी के पंचांग का काढ़ा 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना सेवन करते रहने से कुछ ही दिनों में उच्चरक्तचाप में लाभ मिलता है।
पागलपन : ताजा शंखपुष्पी के 20 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का रस 4 चम्मच की मात्रा में रोजाना सेवन करने से पागलपन का रोग बहुत कम हो जाता है।
ज्वर में प्रलाप : तेज बुखार के कारण कुछ रोगी मानसिक नियंत्रण खो देते है और अनाप सनाप बकने लगते है l एसी स्थिति में शंखपुष्पी और मिश्री को बराबर वजन में मिलाकर एक-एक चम्मच दिन में तीन या चार बार पानी के साथ देने से लाभ होता है और नींद भी अच्छी आती है |
केशवर्द्धन हेतु : शंखपुष्पी को पकाकर तेल बनाकर रोजाना बालों मे लगाने से बाल बढ़ जाते हैं।
बवासीर : 1 चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण रोजाना 3 बार पानी के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से बवासीर का रोग ठीक हो जाता है।
स्वरभंग : शंखपुष्पी के पत्तों को चबाकर उसका रस चूसने से बैठा हुआ गला ठीक होकर आवाज साफ निकलती है।
उच्च रक्तचाप : उच्च रक्तचाप के रोगी को शंखपुष्पी का काढ़ा बना कर सुबह और शाम पीना चाहिए l
काढ़ा बनाने की विधि: दो कप पानी में दो चम्मच चूर्ण डालकर उबालें l जब आधा कप रह जाए उतारकर ठंडा करके छान लें l यही काढ़ा है l दो या तीन दिन तक पियें उसके बाद एक-एक चम्मच पानी के साथ लेना शुरू कर दें रक्तचाप सामान्य होने तक लेतें रहें |
शंखपुष्पी (Shankhpushpi) चूर्ण बनाने की विधि:
छाया में सुखाया हुआ शंखपुष्पी (Shankhpushpi) का पंचांग 125 ग्राम और काली मिर्च 10 ग्राम लेकर इनका चूर्ण बनाएं। इसमें 125 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाएं।
- इस चूर्ण को प्रतिदिन 2 से 5 ग्राम की मात्रा में लेकर तथा बच्चे के लिए 1 से 2 ग्राम की मात्रा सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलेगा
- इसके नियमित सेवन से स्मरण शक्ति बलिष्ठ होती है।
शंखपुष्पी (Shankhpushpi) तेल बनाने की विधि:
ताज़ी शंखपुष्पी (Shankhpushpi) का रस 250 ग्राम अथवा शंखपुष्पी 250 ग्राम पीसकर गाढ़ा घोल बनाएं। इसमें 250 ग्राम तिल का तेल डालकर धीमी आंच पर पकाएं और जब पानी जल जाएं और केवल तेल ही रह जाएं तो उतार कर छान लें।
- शंखपुष्पी तेल का प्रयोग छोटे बच्चों के लिए बहुत ही लाभकारी है।
- इस तेल के उपयोग से बच्चे हष्ट, पुष्ट और चैतन्य होते हैं।
- शंखपुष्पी तेल सूखा रोग और रिकेट्स में भी अत्यंत लाभकारी है।
kripya sahi jankari de sahi photo lagaye jnhit ko dhokha na de bakee jaankari theek hal hai shankh pushpl ka pics nahi hai